क्या अजहर मसूद को कंधार छोड़ने गए थे अजित डोवाल, जानिए राहुल गांधी के दावे का सच
नई दिल्ली। सैन्य प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस बयान को खारिज किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर के साथ 1999 में कंधार गए थे। उसके एवज में आतंकवादियों ने हाईजैक किए गए विमान को छोड़ा था। रक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया, वह (डोवाल) भारतीय एयरलाइन IC-814 के अपहृत विमान में बंधक बनाए गए 161 यात्रियों को रिहा कराने के लिए आतंकी मसूद को कंधार ले जा रहे विमान में नहीं थे।
मसूद अजहर के कंधार नहीं गए थे डोवाल
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ स्रोत ने बताया, 'मसूद अजहर को जिस विमान से कंधार ले जाया गया था डोभाल उसमें सवार नहीं थे। उस समय अजीत डोवाल इंटेलिजेंस ब्यूरो के एडिशनल डायरेक्टर हुआ करते थे। डोवाल अजहर की रिहाई से पहले कंधार गए थे ताकि आईएसआई नियंत्रित हाईजैकर्स और तालिबान के नेताओं के साथ बातचीत कर सकें। यह दावा तत्कालीन गृहमंत्री लालाकृष्ण आडवाणी और रॉ के मुखिया रहे एएस दुलात ने अपनी किताबों माई कंट्री, माई लाइफ और द वाजपेयी ईयर्स में किया है।
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राहुल गांधी का दावा सही नहीं
वहीं राहुल गांधी लगातार अपने भाषणों में दावा कर रहे हैं कि,डोवाल 1999 में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के साथ भारतीय एयरलाइंस के अपहृत विमान में बंधक बनाए गए यात्रियों को छुड़ाने के लिए कंधार गए थे। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि, कंधार अपहरण के समय तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह, मसूद अजहर और अन्य दो आतंकियों उमर शेख (जिसने बाद में अमेरिका पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या की थी) और मुस्ताक जरगर के साथ कंधार रवाना हुए थे।
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इसका जिम्मेदार किसी अधिकारी को नहीं ठहराया जा सकता है
रिपोर्ट में कहा गया है कि, मसूद अजहर को रिहा करने का फैसला वाजपेयी सरकार का था। सरकार ने अपहृत 161 भारतीयों को रिहा कराने का फैसला किया था क्योंकि अपहरणकर्ताओं ने धमकी दी थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे बंधकों की हत्या कर देंगे। यह सही फैसला था या गलत, इसे लेकर सरकार के फैसले पर सवाल उठाए जा सकते हैं, लेकिन इसका जिम्मेदार किसी अधिकारी को नहीं ठहराया जा सकता है।
मोलभाव के लिए डोवाल गए थे कंधार
बता दें कि, उस समय आतंकवादियों ने 20 करोड़ डॉलर (लगभग 14 अरब रुपए) फिरौती के साथ ही यात्रियों के बदले भारतीय जेलों में कैद 36 आतंकवादियों की रिहाई की मांग की थी। उस समय अजीत डोवाल और अन्य वार्ताकारों (जिसमें आईबी में काम कर रहे एन एस सिद्धू और वरिष्ठ रॉ अधिकारी सी डी सहाय भी शामिल थे) ने आतंकियों की मांग को कम करने को कोशिश की थी। जिसमें वे सफल भी हुए थे।
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