कमाल का बंदा: रिकॉर्ड 14 बार डोनेट किया प्लाज्मा, कभी नहीं आई कमजोरी, अभी और भी करना है दान
पुणे, 13 मई। महामारी काल में संक्रमितों की जान बचाने के लिए जहां अस्पताल में डॉक्टर अपनी पूरी ताकत झोंक दे रहे हैं वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी जान की परवाह किए बिना अस्पताल के बाहर से मरीजों को नई जिंदगी देने की लड़ाई लड़ रहे है। आज हम आपको ऐसे ही एक शख्स में मिलाने जा रहे हैं जिन्होंने एक-दो बार नहीं बल्कि 14 बार कोविड मरीजों के लिए अपना प्लाज्मा डोनेट किया है, वो भी सिर्फ नौ महीने के भीतर। ऐसा करके उन्होंने नया रिकॉर्ड भी बना दिया है।
50 वर्षीय अजय मुनोत के जज्बे को सलाम
हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र में पुणे के रहने वाले 50 वर्षीय अजय मुनोत की जिन्होंने अब तक 14 बार प्लाज्मा दान किया है। अजय मुनोत बताते हैं कि उनके इस जज्बे के पीछे उनकी मां के प्रेरणा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अजय ने अब तक कोविड वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली है ताकि वह अपना प्लाज्मा डोनेट करते रहे। शरीर में लगातार बन रही एंटीबॉडी से कोरोना मरीजों की जान बचाने वाले अजय मुनोत के जज्बे को सभी सलाम कर रहे हैं।
रिकॉर्ड 14 बार डोनेट किया प्लाज्मा
ऐसे समय में जहां लोग प्लाज्मा डोनेट करने के लिए काबिल होने के बावजूद कोरोना के डर से घर से नहीं निकल रहे हैं, वहीं अजय रिकॉर्ड 14 बार ये महान कार्य करने के बाद भी नहीं थके हैं। अजय का कहना है कि प्लाज्मा डोनेट करने के बाद भी अब तक उन्हें कमजोरी महसूस नहीं हुई है और वह आगे भी यह काम करने के लिए तैयार हैं। इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड के मुताबिक किसी एक शख्स द्वारा महज नौ महीने के भीतर 14 बार प्लाज्मा डोनेट करने का यह देश का पहला मामला है।
अजय पिछले साल हुए थे कोरोना संक्रमित
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अजय पिछले साल 2020 में कोरोना संक्रमित हुए थे, इसके बाद से वह लगातार लोगों की मदद के लिए अपना प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं। अजय ने कहा, 'जब तक शरीर में एंटीबॉडी बनती रहेगी, तब तक मैं प्लाज्मा डोनेट करता रहूंगा।' बता दें कि एक स्वस्थ्य व्यक्ति 14 दिनों के अंतराल के बाद अपना प्लाज्मा दान कर सकता है। अजय मुनोत ने बताया कि प्लाज्मा डोनेट करने की यह प्रेरणा उन्हें अपनी मां से मिली है।
ओ नेगेटिव ब्लड डोनर थी मां
अजय कहते हैं, 'मेरी मां का ब्लड ग्रुप ओ नेगेटिव था, ऐसे ब्लड वालों को यूनिवर्सल डोनर कहा जाता है। मेरी मां को अक्सर पुणे का आर्मी ऑफिस से ब्लड डोनेट करने के लिए कॉल आते थे। जब भी मेरी मां रक्तदान करने जाती थीं मैं उनके साथ जाता था, तब से मैंने प्रण किया कि मैं भी भविष्य में ऐसा ही करूंगा जिससे लोगों की जान बचाने में सहयोग कर सकूं। मेरी मां की ही प्रेरणा है जो मैं आज प्लाज्मा डोनेट कर रहा हूं। मेरे दोस्त और परिजन मुझे प्लाज्मा बैंक के नाम से बुलाने लगे हैं।'
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