मोटरबाइक रेसिंग में परचम लहरातीं ऐश्वर्या पिस्साई
बेंगलुरु की ऐश्वर्या पिस्साई दो दिन पहले ही अपना 24वां जन्मदिन मनाने घर आई हैं.
इस बार उनका जन्मदिन इसलिए ख़ास था क्योंकि वह हाल ही में एफ़आईएम विश्वकप के महिला वर्ग में जीत हासिल करने वाली पहली भारतीय बनी हैं.
इस प्रतियोगिता में मोटरबाइक पर सवार होकर अलग-अलग इलाक़ों से गुज़रना होता है. इसमें कीचड़, मरुस्थल और पथरीले रास्ते शामिल हैं.
बेंगलुरु की ऐश्वर्या पिस्साई दो दिन पहले ही अपना 24वां जन्मदिन मनाने घर आई हैं.
इस बार उनका जन्मदिन इसलिए ख़ास था क्योंकि वह हाल ही में एफ़आईएम विश्वकप के महिला वर्ग में जीत हासिल करने वाली पहली भारतीय बनी हैं.
इस प्रतियोगिता में मोटरबाइक पर सवार होकर अलग-अलग इलाक़ों से गुज़रना होता है. इसमें कीचड़, मरुस्थल और पथरीले रास्ते शामिल हैं. दो दिन के अंदर 800 से 1000 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है.
रविवार को हंगरी में संपन्न हुए इस टूर्नामेंट में वह अंडर-25 वर्ग में दूसरे स्थान पर रहीं. पुरुष और महिलाएं दोनों इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं.
ऐश्वर्या ने दुबई में हुए पहले राउंड में जीत हासिल की थी. फिर पुर्तगाल में वह तीसरे नंबर पर रहीं, स्पेन में पांचवें और हंगरी में चौथे पर.
पूरी प्रतियोगिता में ऐश्वर्या के कुल अंक 65 रहे. ओवरऑल वह दूसरे स्थान पर मगर महिलाओं के वर्ग में सबसे आगे रहीं. पुर्तगाल की रीता वाइयेरिया उनसे चार अंक कम लेकर दूसरे स्थान पर आईं.
मोटरबाइक रेसिंग को लेकर ऐश्वर्या कहती हैं, "ये ठीक वैसा ही है जैसे हेलमेट पहनने के बाद पता नहीं लगा सकते कि लड़का है लड़की. उसी तरह इस मामले में इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप लड़का हैं या लड़की."
बचपन से ही थी रुचि
ऐश्वर्या जब बच्ची थीं, उन्हें नहीं मालूम था कि पापा की मोटरबाइक के हैंडल से खेलने में उन्हें इतना मज़ा क्यों आता था.
बीबीसी हिंदी को उन्होंने बताया, "जब कभी पापा मुझे अपनी बाइक की टंकी पर बिठाते थे, मुझे हैंडल के साथ खेलना अच्छा लगता था. तब मुझे नहीं पता था कि एक दिन रेसिंग में जाऊंगी."
ऐश्वर्या ने 18 साल की उम्र में एक ट्रेनिंग एकैडमी से मोटरबाइक राइडिंग की ट्रेनिंग शुरू की थी. उस समय उन्हें भी कई पुरुषों और महिलाओं ने कहा कि 'ये लड़कों का काम है, तुम कोई सामान्य काम पकड़ो. ये फ़ील्ड लड़कियों के लिए नहीं है.'
ये हाल तब है जब मोटरसाइकल प्रतियोगिताओं में सिर्फ़ पुरुषों के प्रभुत्व नहीं रहा है और महिलाएं भी इनमें हिस्सा ले रही हैं.
ऐश्वर्या कहती हैं, "मगर ट्रेनिंग के दौरान मेरे सहयोगियों, कोच और मोटर स्पोर्ट्स फ़डरेशन ने हमेशा मेरी मदद की और मुझे ट्रेनिंग दी. फिर जब किसी ने ऐसी बातें की, उनका मुझपर कोई असर नहीं पड़ा."
फिर एक ऐसी घटना हुई जिसने उनका आगे बढ़ने का इरादा और पक्का कर दिया. वह बताती हैं, "जब मैं अपनी पहली रेस हारी, मुझे उससे आगे और बेहतर करने में मदद मिली." वह कड़ी ट्रेनिंग में जुट गईं.
'द डकार' पर निगाहें
पैरिस से सेनेगल की राजधानी डकार तक होने वाली मोटरबाइक रैली को 'द डकार' कहा जाता है. इसे सबसे कड़ी क्रॉस-कंट्री रेस माना जाता है. यह अगले साल अप्रैल में होगी. ऐश्वर्या इसी की तैयारी कर रही हैं.
वह कहती हैं, "आपको बस ट्रेनिंग की ज़रूरत होती है. और अगर 'द डकार' में ड्राइव करना है तो अनुभव ही काम आता है."
हाल ही में जिस प्रतियोगिता में ऐश्वर्या ने भारत के लिए रिकॉर्ड बनाया, उसमें वह 250 सीसी की बाइक चला रही थीं जबकि अन्य प्रतियोगियों के पास 450 सीसी बाइक थी.
ऐश्वर्या कहती हैं, "मैं जहां भी जाती हूं, वहां मुझे बाक़ियों जैसी बाइक नहीं मिलती. उनके पास अपनी 450सीसी बाइक होती हैं. इससे फ़र्क तो पड़ता है. स्पीड में मदद मिलती है मगर आपका हुनर ही सबसे ज़्यादा काम आता है."
और इस हुनर को पाने के लिए ऐश्वर्या को 'मैरी कॉम' फ़िल्म से प्रेरणा मिली है जिसे वह कई बार देख चुकी हैं. वह इस फ़िल्म में मुक्केबाज़ मैरी कॉम की भूमिका निभाने वालीं प्रियंका चोपड़ा को अपनी पसंदीदा अभिनेत्री बताती हैं. हालांकि वह ये नहीं बता पातीं कि उनका पसंदीदा अभिनेता कौन है.
ऐश्वर्या को घर का खाना बहुत पसंद है. वह कहती हैं, "जब आप ज़्यादातर समय बाहर रहकर लौटते हैं तो सीधे घर का बना खाना चाहिए होता है. मसाला दोसा मेरा फ़ेवरेट है."
'द डकार' रैली के लिए ऐश्वर्या जी-जान से तैयारी कर रही हैं और इसमें उन्हें मज़ा भी आ रहा है. वह कहती हैं, "बचपन से ही मैं ऐसी चीज़ें करती थीं जिनमें रोमांच हो."