Akshay Tritiya की वजह से ही आज साथ हैं ऐश्वर्या-अभिषेक, जानिए कैसे?
नई दिल्ली, 13 मई । अभिनेत्री ऐश्वर्या राय और एक्टर अभिषेक बच्चन बॉलीवुड के लविंग और हैप्पी कपल्स में से एक हैं। इनकी शादी शुदा जिंदगी कभी भी बॉलीवुड के गॉसिप का विषय नहीं रही। इसके पीछे इनके बीच की अंडरस्टैंडिग तो वजह है ही इन दोनों के खुश होने की लेकिन साथ ही एक और बड़ा कारण है दोनों की सुखी वैवाहिक जीवन का और वो है 'अक्षय तृतीया'। दरअसल दोनों ही सितारों के शादी इसी शुभ दिन हुई थी और इसलिए दोनों आज साथ में काफी खुश हैं। मालूम हो दोनों ने 20 अप्रैल 2007 को पारंपरिक अंदाज में एक-दूसरे से शादी की थी, जिस दिन दोनों ने सात फेरे लिए वो दिन 'अक्षय तृतीया' का था।
दोनों की शादी 'अक्षय तृतीया' के दिन हुई
आपको बता दें कि अभिषेक और ऐश्वर्या राय बच्चन को लेकर ये भी कहा जाता है कि उनकी कुंडलियां आपस में नहीं मिल रही थीं और दोनों की कुंडलियों में मांगलिक दोष था इसलिए अमिताभ बच्चन ने फैसला किया कि दोनों की शादी 'अक्षय तृतीया' के दिन हो और इसलिए उन्होंने कई पंडितों से विचार विमर्श करने के बाद अभिषेक और ऐश्वर्या की शादी का दिन तय किया था।
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बिग बी ने अपने बेटे की शादी के लिए 'अक्षय तृतीया' का दिन चुना
अमिताभ ने अपनी लाइफ में फर्श से अर्श और अर्श से फर्श तक का सफर देखा है, इसलिए वो भगवान को बहुत मानते हैं और उनका रुझान हमेशा धार्मिक प्रवृत्ति की ओर रहता है। कहते हैं कि 'अक्षय तृतीया' के दिन शादी करने से हर तरह के दोषों का निवारण हो जाता है और इसी वजह से बिग बी ने अपने बेटे की शादी के लिए 'अक्षय तृतीया' का दिन चुना था।
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देवी माधुरी ने भगवान सुंदरेसा से की थी शादी
माना जाता है कि 'अक्षय तृतीया' के दिन देवी माधुरी ने भगवान सुंदरेसा (शिव जी का पुनर्जन्म) के साथ शादी की थी, इसलिए जो भी कपल इस दिन शादी करते हैं वो जिंदगी भर सुखी रहते हैं।
अक्षय यानी कभी खत्म न होना
अक्षय शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है और इसका मतलब होता है कभी खत्म न होने वाला या जिसका कभी क्षय न हो, माना जाता है कि यह दिन लोगों की जिंदगी में गुडलक और सफलता लेकर आता है। इस दिन शादी के बंधन में बंधने वाली जोड़ियां अगले सात जन्मों तक साथ रहती हैं और उन्हें ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है।
गणेश जी ने शुरू की महाभारत की रचना
'अक्षय तृतीया' को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश ने इसी दिन से महाभारत को लिखना शुरू किया था। भगवान गणेश ने वेद व्यास जी के सामने शर्त रखी थी कि जिस समय वह महाभारत को लिखना शुरू करेंगे, तब उनकी कलम एक क्षण भी नहीं रुकेगी।