ओवरबुकिंग की वजह से यात्री को सीट नहीं मिलने पर एयरलाइंस को मुआवजा देना होगा
विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि वह विमानों में जरूरत से ज्यादा सीटों की बुकिंग करने की अनुमति नहीं देता है
नई दिल्ली। विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने दिल्ली हाई कोर्ट में स्पष्ट कहा उसने विमानों में ओवरबुकिंग की इजाजत नहीं दी है। कंफर्म टिकट पर भी यात्री को बोर्डिंग से रोकने वाली एयरलाइंस को मुआवजा देना होता है। एयर इंडिया ने भी कोर्ट में माना कि कंफर्म टिकट के बावजूद किसी यात्री को बोर्डिंग से इनकार करना सेवा में लापरवाही माना जाएगा और यात्री इसका मुआवजा मांग सकता है। हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका में डीजीसीए के 2010 में जारी सीएआर को चुनौती दी गई है।
ये बात पल्लव मोंगिया द्वारा दायर याचिका पर कोर्ट में कही गई। मोंगिया को कन्फर्म टिकट होने के बावजूद दिसंबर 2015 में एयर इंडिया ने उन्हें प्लेन में जगह नहीं दी थी। अब उन्होंने डीजीसीए द्वारा जारी किए गए सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (सीएआर) के पैराग्राफ 3.2 को चुनौती दी है जो कि ओवरबुकिंग की परिपाटी को स्वीकार करता है। याचिकाकर्ता का दावा है कि यह सीएआर ओवरबुकिंग की इजाजत देता है, जो स्वीकार्य नहीं है। सीएआर में डीजीसीए ने माना है कि कुछ एयरलाइंस ओवरबुकिंग करती हैं।
विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि वह विमानों में जरूरत से ज्यादा सीटों की बुकिंग करने की अनुमति नहीं देता है और कन्फर्म्ड टिकटों के बावजूद जिन यात्रियों को सवार होने से इनकार किया जाता है, उन्हें भुगतान करने के लिए एयरलाइंस उत्तरदायी होगी। एयर इंडिया ने भी अदालत के समक्ष यह स्वीकार किया कि यदि किसी यात्री की कन्फर्म्ड टिकट होने के बावजूद उसे विमान में सवार होने की अनुमति नहीं दी जाती है तो यह सेवा में त्रुटि होगी और उपभोक्ता को उसके लिए क्षतिपूर्ति के लिए दावा करने का अधिकार होता है। डीजीसीए और एयर इंडिया के स्पष्ट रुख के बाद न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने कहा कि इस सवाल की जांच जानी जरूरी नहीं है कि विमानन नियामक को क्या इस संबंध में नागरिक उड्डयन नियमों (सीएआर) को जारी करने का अधिकार है या नहीं. एक व्यक्ति ने एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने डीजीसीए द्वारा जारी की गई एक 2010 सीएआर पर सवाल उठाये थे. डीजीसीए और एयर इंडिया ने इस याचिका पर जवाब दिया।
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