प्रधानमंत्री के कार्यालय समेत 6 अन्य विभागों के लिए करोड़ों खर्च कर खरीदे गए 140 एयर प्यूरीफायर
नई दिल्ली। बीते कई सालों में देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ गया है। इतना ही नहीं बीते दो सालों में नवंबर से जनवरी के बीच कई हफ्तों तक राजधानी गैस चेंबर बन जाती है। हर साल प्रदूषण बढ़ने से लेकर कम होने तक सरकारें और जनप्रतिनिधि अफरातफरी में रहते हैं लेकिन फिर स्थिति जस की तस हो जाती है। कुछ सरकारी दफ्तरों, वीआईपी लोगों के घर के आस पास छोड़कर शायद ही कहीं एयर प्यूरीफायर लगाया जाता है। आम जन के पास तो इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री कार्यलय ने इससे बचने के लिए रास्ता निकाल लिया है।खबर आई है कि देश के प्रधानमंत्री के दफ्तर समेत 6 अन्य सरकारी विभागों के लिए 140 एयर प्यूरीफायर खरीदे गए हैं। समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार सरकार की ओर से एक अप्रकाशित आकड़ों से यह जानकारी मिली है।
केजरीवाल ने कहा था दिल्ली को गैस चेंबर
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले साल एयरबोर्न पीएम 2.5 के स्तर पर पहुंचने के बाद दिल्ली को 'गैस चैंबर' कहा था। हर साल, जब सर्दियों के महीनों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जाता है, तो राजधानी के स्कूलों को अक्सर बंद करना पड़ता है। पिछले साल, शहर के सभी स्कूल पांच दिनों के लिए बंद थे।
फायर फाइटर्स वाटर कैनन से पानी छिड़का गया था
बीते साल नवंबर में वातावरण में जमी हुई धूल और धुएं की परत को हटाने के लिए दिल्ली में फायर फाइटर्स वाटर कैनन से पानी छिड़का गया था। वाटर कैनन ने जरिए दिल्ली के वसंत कुंज, मालवीय नगर, जोर बाग जैसे कई इलाकों में फायर फाइटर्स के जरिए पानी का छिड़काव किया गया था। दिल्ली के चांदनी चौक में भी फायर फाइटर्स के जरिए पानी छिड़का गया था, ताकि वातावरण के प्रदूषण को कम किया जा सके।
इनडोर प्रदूषण को कम करते हैं Air Purifier
बता दें कि एयर प्यूरीफायर ऐसे उपकरण होते हैं जो इनडोर वायु प्रदूषण को कम करने के लिए फिल्टर का उपयोग करते हैं। ऐसी मशीनें भारत के अधिकांश लोगों के साधनों से परे हैं, जहां , विश्व बैंक के अनुसार वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 1,709 डॉलर या 1,11,401 रुपए है। फिर भी, दिल्ली में 20 लाख से अधिक लोगों के शहर में हवा साफ करने वाली इस मशीन की बिक्री बढ़ रही है। अमेजन डॉट कॉम के भारत की वेबसाइट पर ऐसी मशीनों की बिक्री पिछले वर्ष 2016 की तुलना में 2017 में 3.5 गुना ज्यादा हो गई है।
3.6 करोड़ रुपये खर्च
रायटर के मुताबिक आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 2017 के बीच प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालयों और कम से कम छः सरकारी विभागों के लिए 3.6 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें संसद भवन में प्रधान मंत्री मोदी के कार्यालयों के अलावा, नीती आयोग और स्वास्थ्य, कृषि, पर्यटन, गृह मामलों और विदेशी मामलों के मंत्रालय शामिल थे।
गृह मंत्रालय ने 44 उपकरण खरीदे
पिछले तीन सालों में गृह मंत्रालय ने 44 उपकरणों को खरीदने के लिए लगभग 13,03,700 रुपये खर्च किए थे, जबकि प्रधानमंत्री मोदी के संसद भवनों के 25 इकाइयों के लिए 7,16,738 रूपए की लागत वाली एयर प्यूरीफायर खरीदे गए। नीती आयोग ने जो एयर प्यूरीफायर पर लगभग 717,185.54 खर्च किया। रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मिली की कि इन उपकरणों को 'संयुक्त सचिव के स्तर पर और उनके बराबर और इसके बाद के अधिकारियों को दिए गए।'
कोई सरकारी नीति नहीं थी
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि कोई सरकारी नीति नहीं थी कि अधिकारियों को एयर प्यूरीफायर खरीदने की इजाजत दीजाए और ऐसी खरीद केवल तभी की गई जब विभागों की ओर से अनुरोध किया गया। पर्यावरण मंत्री ने पिछले महीने कहा था कि प्रदूषण अब हमारी राष्ट्रीय छवि से जुड़ा है।