हवा में प्रदूषण ने जिंदगी से कम किए 10 साल, शोध में हुआ हैरान करने वाला खुलासा
हवा में प्रदूषण के चलते दिल्ली-एनसीआर के लोगों का सांस लेना पहले ही मुश्किल हो चुका है। ऐसे में हाल ही में हवा की गुणवत्ता को लेकर हुआ शोध और परेशान करने वाला है।
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नई दिल्ली। हवा में प्रदूषण के चलते दिल्ली-एनसीआर के लोगों का सांस लेना पहले ही मुश्किल हो चुका है। ऐसे में हाल ही में हवा की गुणवत्ता को लेकर हुआ शोध और परेशान करने वाला है। दिल्ली की हवा को लेकर हाल ही में हुए शोध में खुलासा हुआ कि साल 2016 में शहर की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी। इस साल हवा का गुणवत्ता इतनी खराब थी कि इससे व्यक्ति की औसतन आयु में 10 साल तक कम हो गए हैं। शोध में दिल्ली को देश का सबसे दूसरा प्रदूषित शहर बताया गया है। वहीं भारत इस वक्त दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है।
यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (EPIC) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्रदूषण से व्यक्ति की जिंदगी के औसतन 1.8 वर्ष कम हो रहे हैं। मानव स्वास्थ्य के लिए प्रदूषण सबसे बड़ा वैश्विक खतरा बनकर उभर रहा है। रिपोर्ट में भारत को दुनिया का सबसे दूसरा प्रदूषित देश बताया गया है। पहले नंबर पर नेपाल है। इसके अनुसार औसतन आयु में कमी एशिया में सबसे ज्यादा है, जहां चीन और भार में व्यक्ति के जीवन के 6 साल तक कम हो रहे हैं।
वहीं भारत में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के बाद दिल्ली दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है। अध्ययन में बताया गया है कि पिछले दो दशकों में, भारत में सूक्ष्म कणों के घनत्व में 69 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो 1998 में 2.2 वर्षों की तुलना में भारतीय की औसतन आयु 4.3 साल तक कम करती है।
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भारत के उत्तरी राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कण प्रदूषण का घनत्व काफी अधिक है, जिससे औसतन आयु पर छह साल से अधिक का असर पड़ता है। रिपोर्ट में बताया गया कि वैश्विक आबादी का 75 फीसदी या 5.5 बिलियन लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहां कण प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइन्स के ऊपर है।
एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) पर हुई स्टडी में खुलासा हुआ कि 1998-16 के बीच इन 18 सालों में एक व्यक्ति की औसतन आयु में 10 साल तक की कमी आई है। एक्यूएलआई इंडेक्स है, जो जीवन पर प्रदूषण के कारण पड़ने वाले असर का आकलन करता है।
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