एयर मार्शल अमित देव बने IAF की ईस्टर्न एयर कमांड के मुखिया, चीन से सटे बॉर्डर की है जिम्मेदारी
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने नॉर्थ ईस्ट में अहम रणनीतिक ईस्टर्न एयर कमांड का जिम्मा, एयर मार्शल अमित देव को सौंपा है। एयर मार्शल देव ने गुरुवार को मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में अपनी जिम्मेदारी ग्रहण की। वह इससे पहले राजधानी दिल्ली स्थित वायु सेना के मुख्यालय की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। एयर मार्शल देव को जिस कमान की जिम्मेदारी सौंपी गई है उसे सन् 1962 में चीन की जंग के बाद तैयार किया गया था। वर्तमान समय में अगर चीन के साथ युद्ध छिड़ता है तो फिर नॉर्थ ईस्ट में इस कमान की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाएगी।
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कौन हैं एयर मार्शल देव
एयर मार्शल देव दिसंबर 1981 में नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) से ग्रेजुएट हुए थे। इसके बाद 29 दिसंबर 1982 को हैदराबाद के डुंडीगल में स्थित एयरफोर्स एकेडमी से बतौर फाइटर पायलट कमीशन हासिल कर वायुसेना का हिस्सा बने। अपने 38 साल के करियर में एयर मार्शल देव के पास कई प्रकार के फाइटर और ट्रेनर जेट्स को उड़ाने का अनुभव है। उनके पास 2500 घंटों उड़ान का अनुभव है और इसमें मिग-21 और मिग-27 जैसे फाइटर जेट्स की फ्लाइंग भी शामिल है। साउथ वेस्टर्न एयर कमांड पर वह एक ऑपरेशनल फाइटर बेस को कमान कर चुके हैं। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है।
क्यों अहम है ईस्टर्न एयर कमांड
ईस्टर्न एयर कमांड, आईएएफ की पांच ऑपरेशनल कमान में से एक है। इसका मुख्यालय शिलॉन्ग में हैं। 27 मई 1958 को इसकी शुरुआत हुई थी और उस समय यह कोलकाता में स्थित थी। सन् 1962 में चीन के साथ हुई जंग के बाद यह फैसला किया गया कि शिलॉन्ग में एक पूरी कमान होनी चाहिए। इस कमान पर 11 राज्यों की जिम्मेदारी तो है ही साथ ही इसके पड़ोस में नेपाल, भूटान, चीन, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे बॉर्डर्स भी हैं। ईस्टर्न एयर कमांड इस समय असम के छाबुआ, गुवाहाटी, बागडोगरा, बैरकपुर, हाशिमारा, जोरहट, कलाईकुंडा और तेजपुर की जिम्मेदारी संभाल रही है। यहां पर इसके स्थायी एयरबेस हैं। वहीं अगरतला, कोलकाता, पानागढ़ और शिलॉन्ग में भी फॉरवर्ड बेसेज हैं। अगले वर्ष तक राफेल का एक बेस भी ईस्टर्न एयर कमांड की जिम्मेदारी में होगा।