एयर इंडिया के नए मालिक को इतना कर्ज चुकाना होगा, जानिए बिक्री की पूरी प्रक्रिया
पहले चरण में मूल एयर इंडिया के साथ इसके पूर्ण स्वामित्व वाली एयर इंडिया चार्टर और किफायती सर्विस कैरियर एयर इंडिया एक्सप्रेस जैसी इकाइयों को बिक्री के लिए पेश किया जाएगा।
नई दिल्ली। सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने घाटे में चल रही एयर इंडिया और इसकी दो सब्सिडियरी में हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। मिनिस्ट्री के मेमोरेंडम के मुताबिक, सरकार एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के साथ मैनेजमेंट का कंट्रोल भी ट्रांसफर करने की तैयारी में है। मेमोरेंडम के मुताबिक, एयर इंडिया का कोई कर्मचारी या मैनेजमेंट या कंसोर्शियम नीलामी में शामिल हो सकता है। एयर इंडिया पर टोटल 470 अरब का कर्ज है। इसके नए मालिक को इसका 48 फीसदी यानी 245.76 अरब कर्ज का बोझ उठाना होगा। इस नीलामी में शामिल होने के लिए 14 मई तक अपनी दिलचस्पी दिखानी होगी। नीलामी लगाने वालों को 28 मई को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। एयर इंडिया की बोली लगाने के लिए न्यूनतम बोली 50 अरब रुपए तय किया गया है। भारत सरकार ने अर्नेस्ट एंड यंग को इस ट्रांजैक्शन के लिए एडवाइजर नियुक्त किया है।
ऐसे होगी बिक्री
पहले चरण में मूल एयर इंडिया के साथ इसके पूर्ण स्वामित्व वाली एयर इंडिया चार्टर और किफायती सर्विस कैरियर एयर इंडिया एक्सप्रेस जैसी इकाइयों को बिक्री के लिए पेश किया जाएगा। जबकि बाद के चरणों में एयर इंडिया ट्रांसपोर्ट सर्विसेज, होटल कॉरपोरेशन और एयर इंडिया एलाइड सर्विसेज का नंबर आएगा।प्रत्येक के लिए अलग से एक्सप्रेशन आफ इंट्रेस्ट बिड आमंत्रित की जाएंगी। इस विधि से सरकार को बेहतर रकम प्राप्त होने की संभावना है। विमानन क्षेत्र से जुड़े वित्तीय सलाहकारों के अनुसार सरकार को एयर इंडिया के विनिवेश से 70 हजार करोड़ रुपये तक की रकम प्राप्त हो सकती है। एयर इंडिया पर 50 हजार करोड़ रुपये के भारी कर्ज को देखते हुए इस रकम को कम नहीं माना जा रहा।
बोलीदाताओं के पास न्यूनतम नेटवर्थ 5,000 करोड़ रुपए होना चाहिए
विनिवेश प्रक्रिया की शुरूआत करते हुए विदेशी एयरलाइंस समेत विभिन्न इकाइयों से रूचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किये गए हैं। ईओआई जमा करने की अंतिम तिथि 14 मई है और पात्र बोलीदाताओं को सूचना 28 मई को दी जाएगी। बोली में एक कंपनी या समूह शामिल हो सकती है। बोलीदाताओं के पास न्यूनतम नेटवर्थ 5,000 करोड़ रुपये होना चाहिए। साथ इकाइयों की श्रेणी के आधार पर कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी है।
घाटे में चल रही है एयर इंडिया
आपको बता दें कि एयर इंडिया साल 2016-17 में करीब 5,765 करोड़ रुपए के घाटे में रही है और इस पर 2016-17 तक कुल 48,781 करोड़ रुपए का कर्ज हो चुका है। एयर इंडिया के घाटे में जाने का कारण निजी एयरलाइन्स जैसे इंडिगो एयरलाइन्स, जेट एयरवेज लिमिटेड से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा को माना जा रहा है। यही वजह है कि केन्द्र की मौजूदा एनडीए सरकार ने एयर इंडिया का निजीकरण करने का फैसला किया है। एयर इंडिया के रेवेन्यू की बात करें तो साल 2016-17 में एअर इंडिया ने 22,177 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। इसमें से 18,255 करोड़ रुपए खर्च हुए। बता दें कि एयर इंडिया के खरीददार को करीब 115 एयरक्राफ्ट मिलेंगे, जिनमें से 46 बड़े एयरक्राफ्ट और 69 छोटे एयरक्राफ्ट होंगे।
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