कोरोना वायरस: कश्मीर और कुवैत से लोगों को सुरक्षित निकालने वाले पायलट अब वुहान में बने भारतीयों के संकटमोचक
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के प्रकोप को झेलते चीन के वुहान से भारतीयों को एयरलिफ्ट करने के लिए एयर इंडिया का एक और जेट शनिवार को रवाना किया गया है। शुक्रवार देर रात हुबेई के वुहान से भारतीयों का पहला बैच दिल्ली आ गया है। सात घंटे में इन भारतीयों को देश लाया गया है। यहां पर हर भारतीय का चेकअप होगा। शुक्रवार को एयर इंडिया का जो जेट वुहान गया था उसमें 20 सदस्यों वाली टीम की अगुवाई कैप्टन अमिताभ सिंह ने की थी। कैप्टन सिंह, एयर इंडियन के डॉयरेक्टर ऑफ ऑपरेशंस भी हैं। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में बताया है कि एयरलिफ्ट करते हुए उन्हें किन-किन चुनौतियों से जूझना पड़ा।
सात घंटे तक रहे वुहान में
कैप्टन सिंह ने बताया, 'जमीन पर हम करीब सात घंटे थे और इस दौरान हमें कई जरूरी प्रक्रियाओं का पालन करना था जिसमें मेडिकल स्क्रीनिंग से लेकर इमीग्रेशन तक शामिल था। इसके बाद ही देशवासी फ्लाइट में सवार हो सके।' उन्होंने बताया कि लोगों को यूनिवर्सिटीज से सीधे दूतावास लाया गया था। इसके बाद जब हमारे एयरक्राफ्ट ने लैंड किया तो उन्हें एयरपोर्ट भेजा गया था। कैप्टन सिंह के मुताबिक उन्हें इस बात की जानकारी मिली गई कि लोगों को एयरपोर्ट के करीब या शहर के आसपास जाने की इजाजत नहीं है।
डॉक्टरों ने दूर किया डर
इवैक्युएशन में उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, इस बारे में भी कैप्टन सिंह ने विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पूरा क्रू उस इलाके में जा रहा था जो महामारी का सामना कर रहा है। यह पहली बार था और ऐसे में क्रू की सुरक्षा को सुनिश्चित करना सबसे अहम था। कैप्टन सिंह ने कहा, 'हमारे पास राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों की टीम थी। इस टीम ने हमारे डर को दूर किया और बताया कि कैसे प्रोटेक्टिव कपड़ों और गियर्स के जरिए हम खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।'
एयर स्पेस था पूरा खाली
कैप्टन सिंह ने दिल्ली से वुहान के बीच एयर ट्रैफिक सिचुएशन के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि एक बार जब फ्लाइट ने टेक ऑफ कर लिया था तो इसके बाद उसे पूरे सफर में कोई परेशानी नहीं हुई। उन्होंने बताया, ' एयरस्पेस खाली पड़ा था और मुश्किल से एक या दो एयरक्राफ्ट ही थे। वुहान का एयरपोर्ट पूरी तरह से खाली पड़ा था। हमें हर जगह प्राथमिकता मिली और एटीसी ने भी काफी सहयोग किया।' वैसे यह पहला मौका नहीं था कि कैप्टन अमिताभ को ऐसे मुश्किल समय में लोगों को बचाने का श्रेय दिया जा रहा है।
कुवैत और कश्मीर में बचाई लोगों की जान
अगस्त 1990 में वह उन पायलटों में शामिल थे जिसने इराक और कुवैत में युद्ध के दौरान भारतीयों को इवैक्युएट किया था। इसके अलावा जब जम्मू कश्मीर की घाटी बाढ़ से घिर गई थी तो उस समय भी उन्होंने वहां से लोगों को रेस्क्यू किया था। दूसरे बैच के साथ भी कैप्टन सिंह को ही वुहान भेजा गया है।