Privatization of Air India: 70,000 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबी कंपनी को भला कोई क्यूं खरीदेगा?
बंगलुरू। भारत की ध्वजवाहक विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया वर्तमान समय में बेहद ही खराब दौर से गुजर रही है। विमान में ईंधन भराने तक के लिए पैसा नहीं होने के चलते एयर इंडिया को कई जगहों से अपनी उड़ान तक रद्द करनी पड़ रही है। सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया पर तेल विपणन कंपनियों को करीब 4500 करोड़ रुपए बकाया है और 70, 000 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबी एयर इंडिया 6 माह से तेल कंपनियों को ईंधन का पैसा नहीं दिया है।
यही कारण है कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन समेत अन्य तेल कंपनियों ने देश के कुल 6 हवाई अड्डों पर एयर इंडिया की विमान को ईंधन देने से मना कर दिया है। कंगाली के दौर से गुजर रही एयर इंडिया पिछले 7 माह से पुराना बकाया तेल कंपनियों को नहीं चुका पाई है, जिसके चलते तेल कंपनियों ने ईंधन आपूर्ति रोकने का फैसला करना पड़ा है।
फिलहाल देश के 6 हवाई अड्डों पर एयर इंडिया की विमानों को ईंधन आपूर्ति पर रोक लगाई गई है, जिनमें कोच्चि, पुणे, पटना, रांची, विशाखापत्तनम और मोहाली के हवाई अड्डे शामिल हैं। आरोप है कि एयर इंडिया को 90 दिन तक की अवधि में ईंधन आपूर्ति का भुगतान करना होता है, लेकिन 200 दिन बाद भी एयर इंडिया ने जब बकाया भुगतान नहीं किया तो तेल कंपनियों को उक्त कठोर कदम एयर इंडिया के विमानों के खिलाफ उठाना पड़ा है।
हालांकि एयर इंडिया ने तेल आपूर्ति को बहाल करने के लिए तेल कंपनियों को फौरी राहत के लिए 60 करोड़ रुपए भुगतान करने की पेशकश की थी, तेल कंपनियों ने उक्त फैसला लेने के लिए इसलिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि 'एयर इंडिया भुगतान के बारे में स्पष्ट रूपरेखा प्रदान करने में असफल रही।
गौरतलब पिछले कई वर्षों से संकट के दौर से गुजर रही एयर इंडिया के पास अपने कर्मचारियों को पैसे देने तक के पैसे नहीं हैं और सरकार ने कंपनी में व्यापक स्तर पर सभी नियुक्तियों और पदोन्नतियों को रोकने का निर्देश जारी कर दिया था। एयर इंडिया को संकट से उबारने के लिए सरकार एयर इंडिया के निजीकरण के रास्ते भी तलाशने लगी है।
एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए सरकार ने हाल ही में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM)का गठन किया है और संभवतः अगले हफ्ते में होने वाली GoM की बैठक होने वाली है। अपुष्ट खबरों की मानें तो सरकार एयर इंडिया के लिए बोली लगाने वालों को ढूंढ़ रही हैं और एयर इंडिया की 100 फीसदी शेयर बेचने की पूरी तैयारी में है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया पर 58000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है और पूरा नुकसान तकरीबन 70000 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है। यही नहीं, एयर इंडिया को हर महीने 300 करोड़ केवल कर्मचारियों की सैलरी के लिए चाहिए। एयर इंडिया के पास पिछले अक्टूबर के बाद से कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं बचे हैं।
ऐसे परिस्थितियों में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स जल्द ही एयर इंडिया के भविष्य पर चर्चा कर सकते हैं। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रेलवे मिनिस्टर पीयूष गोयल और नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है तेल कंपनियों द्वारा ईंधन की आपूर्ति बंद किए जाने से एयर इंडिया ने दिल्ली-पटना- दिल्ली के बीच ऑपरेट होने वाली एयर इंडिया की एक फ्लाइट को 15 सितंबर तक रद्द कर दिया है। यह फ्लाइट एआई 415 दिल्ली से रवाना होकर रोज शाम 6.20 में आती थी और एआई 416 बनकर 7 बजे दिल्ली जाती थी, जिससे यात्रियों के लिए बड़ी मुश्किल हो गई है।
लेकिन एयर इंडिया की दो फ्लाइट दिल्ली-पटना-दिल्ली के बीच अभी ऑपरेट कर रही है और शाम को दिल्ली जाने वाले यात्रियों को अब एयर इंडिया दोपहर 12:50 बजे जाने वाली एआई 410 और 4:00 बजे की एआई 408 से भेज रही है। हालांकि शाम की फ्लाइट रद्द होने की सूचना के बाद दोपहर की फ्लाइट पकड़ने को मजूबर यात्रियों के लिए यह राहत की खबर जरूर है।
वर्ष 2007 में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार-1 के कार्यकाल के दौरान घरेलू उड़ान सेवा उपलब्ध कराने वाली सरकारी विमानन कंपनी इंडियन एयरलाइंस और सस्ती विमानन सेवा कंपनी एलायंस एयर का एयर इंडिया में विलय कर दिया गया था। हालांकि दोनों कंपनियों के विलय होने में काफी वक्त लगा, जिससे एयर इंडिया कंपनी को हर साल लगभग 5 हजार करोड़ रुपयों के घाटे से गुजरना पड़ा और घरेलू फ्लाइट क्षेत्र में एयर इंडिया की हिस्सेदारी घटकर 14% हो गई। आज स्थित यह है कि एयर इंडिया अब इंडिगो और जेट के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच गई है।
बड़ा सवाल है कि 70, 000 करोड़ के नुकसान में चल रही एयर इंडिया की खरीदारी में कौन रूचि दिखाएगा। स्टार एलायंस की सदस्य एयर इंडिया में टाटा संस रुचि दिखा सकती है. स्टार एलायंस अमरीका और ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया की 44 जगहों के लिए अपनी हवाई सेवा देती है, जिसके पास अन्य अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस के साथ एक प्रभावशाली कोड शेयरिंग समझौता भी है, जो यात्रियों को सस्ते किराए पर छोटी जगहों पर पहुंचने में मदद करता है।
हालांकि कई और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां एयर इंडिया में बोली लगाने की इच्छुक हैं, लेकिन टाटा संस के लिए विस्तारा के जरिए बोली लगाने का एक बड़ा कारण यह है कि जेआरडी टाटा ने ही भारत में वर्ष 1948 में एयर इंडिया को लॉन्च किया था, जिसका नियंत्रण बाद में भारत सरकार ने अपने हाथों में ले लिया था इसलिए टाटा संस के लिए अपनी पुरानी विरासत को दोबारा पाने के लिए एयर इंडिया पर बड़ा दांव लगा सकती है।
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