कोझिकोड हादसा: लैंड कराने से पहले कैप्टन दीपक ने एयरपोर्ट के लगाए तीन चक्कर ताकि ना लगे आग
कोझीकोड। साल 2020 में कोरोना वायरस महामारी से जूझते देश को शुक्रवार को एक दर्दनाक खबर सुनने को मिली जब दुबई से केरल आ रही फ्लाइट लैंडिंग के समय क्रैश हो गई। हादसे के समय एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट AXB1344, B737 को कैप्टन दीपक वसंत साठे उड़ा रहे थे। जो यात्री इस क्रैश में बच गए हैं वो कैप्टन का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे हैं। कैप्टन साठे, इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) से बतौर विंग कमांडर रिटायर हुए थे। कैप्टन साठे जब आईएएफ में कमीशंड हुए थे और युवा फाइटर पायलट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की तो उस समय वह एक खतरनाक जेट क्रैश का शिकार हो गए थे। उस समय जो हादसा हुआ था उसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
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मौत की खबर पर भरोसा करना मुश्किल
विंग कमांडर (रिटायर्ड) साठे के चचेरे भाई नीलेश साठे ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर अपने भाई को श्रद्धांजलि दी है। नीलेश के मुताबिक वह सिर्फ उनके भाई नहीं बल्कि दोस्त भी थे। आईएएफ के बेस्ट पायलट की लीग में शामिल कैप्टन साठे साल 2005 में बतौर कमर्शियल पायलट एयर इंडिया से जुड़े थे। उनके भाई ने लिखा है, 'इस बात पर भरोसा करना बहुत मुश्किल है कि दीपक साठे जो कजिन से ज्यादा मेरा दोस्त था, अब इस दुनिया में नहीं है। वह एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलट थे और वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से यात्रियों को लेकर लौट रहे थे जो कोझीकोड इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रनवे पर कल रात फिसल गया।' उनके मुताबिक उन्हें बताया गया है कि लैंडिंग गियर्स काम नहीं कर रहे थे।
इसलिए एयरक्राफ्ट में नहीं लग सकी आग
नीलेश ने आगे लिखा है, 'आईएएफ के पूर्व पायलट ने एयरपोर्ट के तीन चक्कर लगाए ताकि ईधन खत्म हो सके और इसकी वजह से प्लेन में आग नहीं लग सकी। इसलिए ही क्रैश हुए एयरक्राफ्ट से धुंआ नहीं दिखा। उन्होंने इंजन क्रैश से बिल्कुल पहले ही ऑफ कर दिया था। उन्होंने तीसरे राउंड में लैंडिंग कराई। प्लेन का राइट विंग पूरी तरह से कुचल गया था। पायलट 'शहीद' हो गए लेकिन उन्होंने अपने साथी 180 यात्रियों की जान बचा ली।' नीलेश ने कहा है कि दीपक के पास 36 साल का फ्लाइंग एक्सपीरयंस था। वह नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) के 58वें कोर्स से पास आउट थे और टॉपर के तौर पर स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित थे। दीपक ने 21 साल तक भारतीय वायुसेना को अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद साल 2005 में एयर इंडिया के साथ जुड़े गए।
एक हफ्ते पहले हुई थी आखिरी बार बात
नीलेश ने अपनी पोस्ट में बताया है कि एक हफ्ते पहले ही उनकी दीपक से बात हुई थी। वह हमेशा की तरह बहुत खुश थे। जब नीलेश ने दीपक से 'वंदे भारत मिशन' के बारे में पूछा तो उन्होंने गर्व से कहा कि अरब देशों से अपने देशवासियों को वापस ला रहे हैं। इसके बाद नीलेश ने उनसे पूछा, 'दीपक, क्या तुम खाली एयरक्राफ्ट लेकर जाते हो क्योंकि उन देशों ने तो यात्रियों की एंट्री बंद कर दी है।' इस पर दीपक ने जवाब दिया, 'अरे नहीं, हम फल, सब्जियां, दवाईयां और बाकी सामान इन देशों को लेकर जाते हैं और कभी भी एयरक्राफ्ट इन देशों में खाली नहीं जाता है।' नीलेश के मुताबिक भाई से हुई यह उनकी आखिरी बातचीत थी।
ब्रिगेडियर पिता की बहादुर संतान दीपक
नीलेश ने बताया है कि वह जिस समय आईएएफ के साथ थे तो नब्बे के दशक की शुरुआत में एक बुरे क्रैश में बाल-बाल बचे थे। वह छह महीने तक अस्पताल में थे और उनके सिर में काफी चोटें आई थीं। किसी को भी उस समय नहीं लगा था कि वह दोबारा फ्लाइंग कर सकेंगे। लेकिन उनकी मजबूत इच्छा शक्ति और फ्लाइंग के लिए उनके प्यार ने उन्हें टेस्ट पास कराया और फिर से फ्लाइंग में वापस लौट आए। वह बिल्कुल किसी चमत्कार की तरह था। नीलेश के मुताबिक कैप्टन दीपक अपने पीछे अपनी पत्नी और दो बेटों को छोड़ गए हैं। उनके दोनों बेटे आईआईटी मुंबई से पास आउट हैं। कैप्टन साठे के पिता ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) वसंत साठे अब नागपुर में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। उनके भाई कैप्टन विकास भी सेना में थे और जम्मू में शहीद हो गए थे। इसके बाद नीलेश ने एक भावुक कविता अपने भाई को समर्पित की है।