डेंगू से हुई थी डॉक्टर की मौत, एम्स को देना पड़ेगा 50 लाख का हर्जाना
नई दिल्ली। कुछ समय पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक मेडिकल छात्र के डेंगू के इलाज के समय मौत हो गई थी। इसपर उपभोक्ता आयोग ने पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। एम्स ने 2 लाख रुपये पहले ही दे दिए हैं अब बचे हुए 48 लाख रुपये देने हैं। उपभोक्ता आयोग ने साफ किया है कि- यदि दो माह के भीतर मुआवजा नहीं दिया जाता तो ये मुआवजा अस्पताल को 9 फीसदी ब्याज के साथ देना होगा।
गंभीर हालत में नहीं मिला था छात्र को बेड
हैदराबाद के चैतन्यपुरी निवासी विजय कुमार ने एम्स के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में केस दायर किया था। उनका कहना था कि उनका बेटा राज किरण एम्स में 7वें सेमेस्टर में पढ़ता था और यहीं के हॉस्टल में रहता था। साल 2006 के 27 सिंतबर को राज किरण को बुखार आया। वो एम्स के इमरजेंसी वार्ड में गया तो उसे वापस हास्टल भेज दिया गया। अगले दिन पता लगा कि उसकी प्लेटलेट्स कम हैं। उसे बेड नहीं मिला 29 सितंबर को एक जूनियर डॉक्टर ने उसे आईसीयू में भर्ती किया। हालत बिगड़ी और 30 सिंतबर को राज की मौत हो गई।
अस्पताल पर लगा था ये आरोप
एम्स पर आरोप लगाया जा रहा है कि इलाज में देरी की गई जिसके चलते राज की मौत हो गई। एम्स का कहना है कि क्योंकि एम्स सेवा शुल्क नहीं लेता इसलिए वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के भीतर नहीं आता। फिर भी एम्स ने खुद जांच कमेटी बैठाई है। मामले को लेकर बनाई गई इस जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इलाज में देरी मतलब उपचार में लापरवाही का प्रमाण नहीं है। फिर भी संस्थान ने पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये का मुआवजा दिया है। हालांकि एम्स की ये दलील उपभोक्ता आयोग के आगे नहीं चल सकी।
क्या कहा उपभोक्ता आयोग ने?
उपभोक्ता आयोग ने कहा कि एम्स की खुद की कमेटी ने भी कहा है कि इलाज में देरी हुई है। ऐसे में सेवा में खामी की जुर्माना लगाया जा सकता है। 20 साल के बच्चे की मौत हो गई जो कि अपने परिवार के लिए बड़ी उम्मीद था, ये उनके लिए सदमे से कम नहीं है। ऐसे में 50 लाख का मुआवजा दिया जाना जायेज है।
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