नसें फटने की बीमारी का एम्स ने खोज निकाला सस्ता इलाज
नई दिल्ली। नसें फटने की बीमारी का एम्स ने इलाज खोज निकाला है। खून की नसों में गुब्बार (एन्यूरिज्म) का इलाज अब आसान हो जाएगा। क्योंकि एम्स ने पाइप लाइन तकनीक से इस बीमारी का इलाज शुरू कर दिया है। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि मेडिकल के भाषा में इस तकनीक को फ्लो डायवर्टर स्टेंट कहा जाता है। चूकिं इसका साइज 10 से 24 एमएम तक होता है इसलिए इसे पाइपलाइन तकनीक से भी जाना जाता है। एम्स के डॉक्टरों की माने तो इस तकनीक में एन्यूरिज्म इलाज की सफलता रेट में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है।
अब तक 40 से ज्यादा केस का इलाज
एम्स की डॉक्टरों की माने तो वे अब क 40 से ज्यादा केस का इलाज कर चुके हैं। जिसमें उनको सफलता भी मिली है। बता दें कि पहले इस तकनीक का इलाज स्टेंट क्वाइलिंग के जरिए होता था जिसमें स्टेंट डाला जाता था। जहां पर गुब्बार बना है उसे खत्म करने के लिए उसके अंदर क्वाइल डाल दिया जाता है। इसलिए इसे प्रक्रिया को स्टेंट असिस्टेड क्वाइलिंग कहा जाता है। इसके बाद कुछ बेहतर तकनीक आई जिसमें बलून असिस्टेड क्वाइलिंग कहा जाता है। इसमें स्टेंट की जगह बलून का उपयोग किया जाता है।
थोड़ी महंगी है यह तकनीक
डॉक्टरों की माने तो नसें फटने की बीमारी के इलाज की यह तकनीक बाकियों से थोड़ी महंगी है। एम्स के डॉक्टर ने कहा है कि स्टेंट क्वाइलिंग का खर्च लगभग 1.5 लाख रुपए के आसपास आता है। जबकि बलून तकनीक से इलाज में यह खर्च तीन लाख तक पहुंच जाता है। जबकि फ्लो डायवर्टर तकनीक से इलाज में 7 लाख रुपए के आसपास खर्च होता है। लेकिन यह तकनीकि पहले की तुलना में ज्यादा अच्छा है और रिजल्ट भी बेहतर है।
क्या है नसें फटने की बीमारी?
डॉक्टरों के अनुसार जब खू की नस आर्टरी (धमनी) में किसी कारण से सूजन आ जाती है और खून की दीवार कमजोर होने लगती है। इसकी वजह से नस गुब्बारे की तरह फूल जाती है और समय पर इलाज नहीं हुआ तो इनके फटने का भी डर रहता है जोकि बहुत ज्यादा मुश्किल खड़ी कर सकता है। पहले इस बीमारी का इलाज स्टेंट क्वाइलिंग के जरिए होता था।
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