कोरोना के इलाज में कितनी असरदार है रेमडेसिविर, AIIMS डायरेक्टर ने कही ये बात
नई दिल्ली, अप्रैल 19: देश में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है। देश में लगातार एक सप्ताह से रोजाना 2 लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इसी बीच एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने मौजूदा हालातों को लेकर काफी अहम बात कही है। रणदीप गुलेरिया ने कहा कि, कोरोना मैनेजमेंट के लिए 2 चीजे महत्वपूर्ण है- दवा और दवा देने की टाइमिंग। अगर आप इसे जल्दी देते हैं या लेट से देते हैं तो इसका नुकसान होगा।
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रणदीप गुलेरिया ने कहा कि, कोरोना को रोकने के लिए 2 चीजें सबसे महत्वपूर्ण हैं - वैक्सीनेशन और सही समय पर वैक्सीनेशन। यदि कोई बहुत जल्दी या देरी करता है, तो दोनों ही हालातों में नुकसान होगा। वैक्सीन की खुराक ज्यादा मात्रा में देने से मरीज मर भी सकता है। रिकवरी ट्रायल से पता चला है कि कोरोना मरीजों को स्टीरॉयड्स देना फायदेमंद है। ऑक्सीजन कम होने से पहले देने पर इसका नुकसान होता है। स्टीरॉयड्स लेने वाले कोरोना मरीजों की मत्युदर ज्यादा है।
कोरोना के इलाज में कुछ हद तक कारगर मानी जा रही रेमडेसिविर को लेकर एम्स निदेशक ने कहा, 'यह समझना बेहद जरूरी है कि रेमडेसिविर कोई जादुई गोली नहीं है और ना ही ऐसी दवा है जिससे कोरोना से मरनेवालों मरीजों में कमी आएगी। हमारे पास एंटी-वायरल दवाइयों के नहीं होने से रेमडेसिविर का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। कोरोना के बिना लक्षण या फिर हल्के लक्षण वालों को यह दवा जल्दी देने से कोई फायदा नहीं है। इसी तरह से अगर रेमडेसिविर को देर से दिया जाए, तो भी इसका कोई मतलब नहीं है।
प्लाज्मा थेरेपी से जुड़े सवालों पर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, 'अध्ययन बताते हैं कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की भूमिका एक हद तक ही है। कोरोना के दो प्रतिशत से भी कम मरीजों में Tocilizumab की जरूरत होती है, जिसका इस वक्त काफी मात्रा में उपयोग किया जा रहा है। हल्के और बिना लक्षण वाले अधिकांश कोरोना मरीजों की हालत में सामान्य इलाज से काफी सुधार हो रहा है।
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