26 जनवरी पर ना करें प्लास्टिक के 'तिरंगे' का इस्तेमाल, गृह मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
Ahead of Republic Day, MHA asks people not to use plastic flags: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गणतंत्र दिवस समारोह को देखते हुए एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें लोगों से अपील की गई है कि वो प्लास्टिक के बने तिरंगे का इस्तेमाल 26 जनवरी पर ना करें बल्कि उसकी जगह कागज या कपड़े के बने ध्वज का इस्तेमाल हो।गृहमंत्रालय ने कहा है कि प्लास्टिक के बने ध्वज प्राकृतिक रूप से नहीं सड़ते हैं, ये लंबे समय तक विघटित नहीं होते हैं और इन्हें डिस्पोज करने में भी दिक्कत होती है।
इसलिए ध्वज की गरिमा का ध्यान रखते हुए किसी को भी प्लास्टिक से बने ध्वज को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ध्वज संहिता का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
खास बातें
- आपको बता दें कि भारतीय तिरंगा महज एक ध्वज नहीं है बल्कि ये हमारी आन-बान-शान और पहचान है, हवा में लहराता तिरंगा हर भारतीय के सीने को चौड़ा देता है, ये अक्स है हर हिंदूस्तानी का, ये मान है हर भारतीय का और ये गौरव है देश के हर इंसान का, इसलिए इसकी गरिमा का ख्याल हर किसी को रखना बहुत जरूरी है।
- भारतीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां और नीले रंग का अशोक चक्र अंकित है। इन तीन रंगों का भी मतलब है, ध्वज के सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। जिनका मतलब है सुख, शांति और समृद्दि।
- सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र है जिसमें 24 तीलियां होते हैं जो समय का बोध कराते हैं।
- अशोक चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है। इसे धर्म चक्र कहते हैं।
- इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है।
- ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात 2:3 है। इस ध्वज की अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी।
- इस तिरंगे की रचना 22 जुलाई 1947 में भारतीय संविधान-सभा की बैठक में तैयार हुई थी।
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