उपचुनाव से पहले बढ़ सकती हैं अखिलेश-मायावती की मुश्किलें, CBI कर रही है इस बड़े मामले में जांच
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनावों की तारीखों की घोषणा जल्द होने की उम्मीद है। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव एक बड़ी मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। दोनों ही प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ सीबीआई भ्रष्टाचार के दो नए मामलों की जांच कर रही है। जिसमें इन दोनों नेताओं की इन घोटालों संलिप्तता बताई जा रही है।
चीनी मिल घोटाल में सीबीआई कर रही है जांच
बसपा सुप्रीमो के खिलाफ 1,100 करोड़ रुपये के चीनी मिल घोटाले में नौकरशाहों और राजनेताओं की सांठगांठ का मामला एक बार फिर से खुल गया है। सरकारी संपत्तियों की बिक्री में बसपा सुप्रीमो मायावती के पूर्व सचिव नेतराम इसमे फंसे हैं। जबकि करोड़ों रुपये के रेत खनन घोटाले मामले में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सहयोगी गायत्री प्रजापति समेत 6 अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है।
खनन मामले में फंसे अखिलेश
सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और तीन आईएएस अधिकारियों के विभिन्न परिसरों की बुधवार को तलाशी के बाद एजेंसी अखिलेश यादव से उनके कार्यकाल (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) में हुए रेत खनन घोटाले के सिलसिले में पूछताछ कर सकती है। सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि गायत्री प्रजापति को कैबिनेट मंत्री नियुक्त किए जाने से पहले मार्च, 2012 से लेकर जुलाई, 2013 तक अखिलेश यादव के पास खनन मंत्रालय था। इस दौरान कथित तौर पर सीएमओ ऑफिस ने खनन पट्टे से जुड़ी कई फाइलों को मंजूरी दी थी।
खनन घोटाले की आंच अखिलेश तक पहुंची
सूत्रों ने बताया कि, एजेंसी यह पता लगाने के लिए इन फाइलों का ऑडिट कर रही है कि सीएम कार्यालय ने निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया था या नहीं। वहीं गायत्री प्रजापति के मामले में सीबीआई ने जांच में पाया कि अनिवार्य ई-टेंडर नियमों उनके समय में पूरी तरह से उल्लंघन किया गया। मंत्री के रूप में प्रजापति ने कथित तौर पर अपनी पसंद के ठेकेदारों को सीधे पट्टों का आवंटन किया। इसके बाद प्रजापति के निर्देश पर उनके अधीनस्थों, खनन सचिव और जिलाधिकारियों ने पट्टा संबंधी फाइलों पर हस्ताक्षर किए।
नेतराम के बयानों पर निर्भर होगा मायावती का भविष्य
राज्य में अखिलेश के अलावा अब मायावती के खिलाफ भी सीबीआई अपना फंदा कसती नजर आ रही है। सूत्रों की मानें तो चीनी मिल घोटाले में उनके सबसे भरोसेमंद अधिकारी नेतराम के परिसरों की सीबीआई ने तलाशी ली है। सूत्रों ने बताया कि मायावती की किस्मत अब 21 चीनी मिलों के विनिवेश को मंजूरी देने के संबंध में नेतराम के खुलासे वाले बयान पर निर्भर करती है। सूत्रों ने बताया कि मायावती के मुख्यमंत्री रहते उत्तर प्रदेश में नेतराम का दबदबा हुआ करता था। इससे पहले कर चोरी के 100 करोड़ रुपये के संदिग्ध मामले में नेतराम पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी, मायावती के एक अन्य करीबी सहयोगी विनय प्रिय दुबे की भी सीबीआई ने चीनी मिल घोटाले में तलाशी ली है।
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