चुनावी मोड में मोदी सरकार और संघ का बदला-बदला हिंदुत्व, कुछ यूं तैयार हो रहा रण
नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम, तेलंगाना, मिजोरम) के विधानसभा चुनाव मोदी सरकार के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं हैं। तेलंगाना, मिजोरम में बीजेपी की हार-जीत से ज्यादा अंतर नहीं पड़ने वाला, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उसके सामने सत्ता बचाने की कठिन चुनौती है। इसी चुनौती से पार पाने के लिए मोदी सरकार अभी से चुनाव मोड में आ गई है। एक तरफ मोदी सरकार ने पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि समेत कई छोटी बचत योजनाओं में बढ़ाई ब्याज दर बढ़ा दी हैं, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय सेवक संघ नई जमीन तलाश रहा है। बीजेपी के लिए चुनावी दुर्ग तैयार करने वाला संघ अब मुसलमानों को हिंदुत्व का हिस्सा, समलैंगिकों को समाज का अभिन्न अंग बता रहा है। वहीं, योगी आदित्यनाथ ने भी यूपी में बड़ा दांव चला है। विस्तार से जानिए क्या हैं ये फैसले:
ब्याज दरों में बढ़ोतरी का लोक-लुभावन फैसला
केंद्र सरकार ने छोटे निवेशकों को बड़ी राहत देते हुए सभी सेविंग डिपॉजिट स्कीमों में ब्याज दर बढ़ा दी हैं। छोटी बचत स्कीमों पर नई ब्याज दर एक अक्टूबर से लागू होंगी। केंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक, एक से तीन साल तक की छोटी बचत स्कीम में डिपॉजिट पर ब्याज दर में 30 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की गई है, जबकि 5 साल की बचत स्कीमों में डिपॉजिट पर ब्याज दर 40 बेसिस पॉइंट तक बढ़ा दी गई है।
बचत स्कीमों पर ब्याज दर से जुड़ी अहम जानकारियां
-PPF पर ब्याज दर 7.6 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी कर दी गई है।
- किसान विकास पत्र पर ब्याज दर 7.3 फीसदी (118 माह में परिपक्व होने वाली) से बढ़ाकर 7.7 फीसदी (112 माह में परिपक्व होने वाली) कर दी गई है।
- सुकन्या समृद्धि स्कीम में सालाना ब्याज 8.1 फीसदी से बढ़ाकर 8.5 फीसदी कर गई है।
तीन तलाक पर अध्यादेश लाकर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश
मुस्लिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) से मुक्ति दिलाने के लिए मोदी सरकार अध्यादेश लेकर आई। तीन तलाक बिल लोकसभा से पहले ही पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के रवैये के चलते यह अटका हुआ था। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने तीन तलाक को तत्काल प्रभाव से लागू करने करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अध्यादेश लाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी यह कुप्रथा बंद नहीं हो रही थी। आंकड़ों के मुताबिक, तीन तलाक के करीब 201 के मामले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सामने आए।
योगी आदित्यनाथ ने यूपी में चला बड़ा दांव, जाटों को दिया आरक्षण का भरोसा
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाल में यह कहकर विरोधियों को चौंका दिया कि सरकार जाटों को आरक्षण देने की पक्षधर है। भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के बैनर तले विश्वेश्वरैया सभागार में आयोजित 'सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन' में बीते मंगलवार को जाट समाज के प्रतिनिधि आमंत्रित किए गए। कार्यक्रम में योगी ने कहा कि जाट आरक्षण के मुद्दे पर सरकार आपके साथ है। सपा सरकार नहीं चाहती थी कि जाटों को आरक्षण मिले, इसलिए अपने ही लोगों से कोर्ट में याचिका दाखिल करा दी। हमारी सरकार ने सामाजिक न्याय समिति बनाई है और आपका हक मिलेगा। योगी ने आगे कहा कि मुगलों और अंग्रेजों से जाट समाज मजबूती से लड़ा और अपनी संस्कृति को बचाए रखा। पिछली सरकार में हर हफ्ते दंगे होते थे लेकिन, अब कैराना और कांधला जैसी घटना कोई दोहरा नहीं सकता। हम सुरक्षा सबको देंगे, लेकिन तुष्टीकरण किसी का नहीं करेंगे।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के हिंदुत्व में अब मुसलमानों का अहम स्थान
नई
दिल्ली
के
विज्ञान
भवन
में
राष्ट्रीय
स्वयं
सेवक
संघ
की
तीन
दिवसीय
कार्यक्रम
में
'भविष्य
का
भारत-आरएसएस
का
दृष्टिकोण'
विषय
पर
विचार
रखते
हुए
संघ
प्रमुख
मोहन
भागवत
ने
बड़ा
बयान
दिया।
भागवत
ने
संघ
के
हिंदुत्व
को
पारिभाषित
करते
हुए
कहा,
'अगर
ये
कहें
कि
इस
देश
में
मुसलमान
नहीं
रहेंगे,
तो
ये
हिंदुत्व
नहीं
होगा।
हम
कहते
हैं
कि
हमारा
हिंदू
राष्ट्र
है।
'हिंदू
राष्ट्र
है'...
इसका
मतलब
इसमें
मुसलमान
नहीं
चाहिए,
ऐसा
बि
ल्कुल
नहीं
होता,
जिस
दिन
ये
कहा
जाएगा
कि
यहां
मुस्लिम
नहीं
चाहिए,
उस
दिन
वो
हिंदुत्व
नहीं
रहेगा।
मोहन
भागवत
ने
कहा
कि
'हिंदुत्व
संघ
का
विचार
है,
इसे
संघ
ने
नहीं
खोजा,
देश
में
चलता
आया
विचार
है।
हिंदुत्व
विविधता
में
एकता,
भारत
एक
स्वभाव
का
नाम
है।
संघ
अब
तक
कड़े
मुस्लिम
विरोध
के
तौर
पर
पहचाना
जाता
रहा
है,
लेकिन
भागवत
के
नए
बयान
ने
स्पष्ट
कर
दिया
है
कि
2019
से
पहले
बीजेपी
नई
सिरे
से
रणनीति
बनाने
में
जुट
गई
है।
समलैंगिकता पर भी संघ ने मारा यू-टर्न
मोहन भागवत ने कहा कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति भाषा, जाति, संप्रदाय के साथ समाज का अंग है। इनमें कुछ विशिष्टता के साथ कुछ लोग समाज में हैं। उनकी व्यवस्था करने का काम समाज ने पहले भी किया है, आगे भी करना चाहिए। उनके लिए कोई व्यवस्था बने, ताकि स्वस्थ्य समाज बन सके। यह हो हल्ला करने से नहीं होगा। इन्हें सहृदयता से देखने की बात है। जितना उपाय हो करना चाहिए। या जो जैसा है, उसे स्वीकार करें, ताकि वे समाज से अलग-थलग न हो जाएं। समय बदला है, ऐसे में उन पर विचार करना होगा। इसलिए सरलता से इन सब को देखते हुए उनकी व्यवस्था कैसे की जाए, यह समाज को देखना चाहिए। भागवत का यह बयान समलैंगिकता को लेकर आरएसएस के विचारों में आमूलचूल परिवर्तन है। संघ के विचारों में इस प्रकार के क्रांतिकारी परिवर्तन बताते हैं कि संगठन दायरा बढ़ाना का प्रयास कर रहा है, क्योंकि 2019 चुनौती और उससे पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने चुनौती बेहद कठिन है