कृषि मंत्री बताएं कि बगैर डेटा के किसानों को कैसे मिलेगा MSP: चिदंबरम
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने रविवार को राज्यसभा में पास हुए कृषि बिल पर सवाल उठाते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर निशाना साधा है। उन्होंने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से पूछा कि वह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि किसानों को उनके उपज का न्यूनतम मूल्य कैस दिया जाए जबकि सरकार के पास निजा व्यापा का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। चिदंबरम ने यह टिप्पणी कृषि मंत्री के उक्त बयान पर किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार गांरटी देती है कि किसानों को एमएसपी मिलेगा।
कृषि बिलः किसानों, सहयोगियों और विरोधियों को शांत करने के लिए अनाजों की MSP बढ़ा सकती है सरकार
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सरकार गारंटी देती है कि किसानो को एमएसपी मिलेगा: नरेंद्र सिंह तोमर
दरअसल, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि सरकार गारंटी देती है कि किसानो को एमएसपी मिलेगा। निजी व्यापार आज भी होता है। किसानों को अदा की जाने वाली कीमत एमएमपी से कम है। इस सवाल उठाते हुए एक ट्वीट में पी चिदबंरम ने कहा कि अगर कृषि मंत्री जादुई तरीके से एमएसपी सुनिश्चित कर सकते हैं तो उन्होंने अब तक ऐसा क्यों नहीं किया है?
मंत्री को कैसे पता चलेगा कि किसान ने अपने उत्पाद किस व्यापार को बेचे
बकौल पी चिदंबरम, मंत्री को कैसे पता चलेगा कि किसान ने अपने उत्पाद किस व्यापार को बेचे, वह देश में प्रतिदिन होने वाले लाखों लेन-देन को कैसे जानेंगे। अगर उनके पास डेटा नहीं तो वह प्रत्येक ट्रांजेक्शन में एमएसपी की गारंटी कैसे देंगे। क्या मंत्री और यह सोचती है कि किसान इतने बेवकूफ हैं कि वो सरकार के खोखले वादों पर विश्वास कर लेंगे।
चिदंबरम ने वादों को पूरा नहीं करने को लेकर सरकार पर हमला किया
वहीं, मोदी सरकार वादों को पूरा नहीं करने को लेकर निशाना साधते हुए चिंदबरम ने पूछा कि क्या सरकार प्रत्येक भारतीय के खाते में 15 लाख रुपए डालने में सक्षम हो सकी?, क्या सरार किसानों की आय दोगुनी कर सकी और क्या सरकार प्रत्येक वर्ष 2 करोड़ नौकरियां पैदा कर सकी?
राजनीति का चश्मा उतारकर किसान का चश्मा लगा लोः केंद्रीय कृषि मंत्री
उल्लेखनीय है केंद्रीय कृषि मंत्री ने गत 17 सितंबर को विपक्षी दलों से किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से दो कृषि संबंधी बिलों को राजनीतिकरण नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य रहेगा। उन्होंने दो कृषि बिल पर बहस के लिए लोकसभा में अपने जवाब के दौरान कहा कि राजनीति का चश्मा उतारकर किसान का चश्मा लगा लो।