कृषि विधेयक राज्यसभा में पेश: कांग्रेस बोली- ये किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा
कृषि विधेयक राज्यसभा में पेश: कांग्रेस बोली- ये किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा
नई दिल्ली: संसद के मॉनूसन सत्र का रविवार (20 सितंबर) को सातवां दिन है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्यसभा में कृषि विधेयक पेश किया है। जिसका कांग्रेस ने राज्यसभा में विरोध किया है। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने राज्यसभा में कहा है कि कांग्रेस पार्टी इस बिल का विरोध करती है। उन्होंने कहा है कि ये बिल किसानों की आत्मा पर हमला करने जैसा है। ये बिल लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है।
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इस बिल पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा: कांग्रेस
कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, ये बिल हिंदुस्तान और विशेष तौर से पंजाब, हरियाणा और वेस्टर्न यूपी के जमींदारों के खिलाफ है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है। इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा होगा। किसान एपीएमसी और एमएसपी में बदलाव के खिलाफ हैं।
मोदी सरकार का मकसद किसानों को बर्बाद करना: केसी वेणुगोपाल
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने बिल के विरोध में कहा है कि यह बहुत स्पष्ट है कि इस सरकार का मकसद हमारे किसानों को नष्ट करना और कॉर्पोरेट क्षेत्र की मदद करना है। हमारी पार्टी ने कृषि विधेयक का विरोध करने का निर्णय लिया है। सरकार को विधेयकों पर पुनर्विचार करना होगा, कम से कम उन्हें इसे चुनिंदा समिति को भेजना चाहिए।
राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- दोनों बिल ल ऐतिहासिक है
राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि ये दोनों बिल ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। इस बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिए आजाद होंगे। इन विधेयकों से किसानों को महंगी फसलें उगाने का अवसर भी मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, यह विधेयक इस बात का भी प्रावधान करते हैं कि बुआई के समय ही जो करार होगा उसमें ही कीमत का आश्वासन किसान को मिल जाए। किसान की संरक्षण हो सके और किसान की भूमि के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न हो इसका प्रावधान भी इन विधेयकों में किया गया है।