वोडाफोन-आइडिया कंपनी ग्राहकों को अप्रैल FOOL बनाने के लिए बना चुकी है प्लान !
बेंगलुरू। दीवालिया होने के कगार पहुंच चुकी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया ने आगामी 1 अप्रैल को मोबाइल डेटा के लिए शुल्क बढ़ाकर न्यूनतम 35 रुपए प्रति जीबी कर सकती है। वोडाफोन-आइडिया कंपनी ने मोबाइल डेटा के शुल्क की नई दर तय करने की मांग की है, जो कि मौजूदा दर का करीब सात-आठ गुना है।
इसके अलावा भी कंपनी एक निर्धारित मासिक शुल्क के साथ कॉल सेवाओं के लिए छह पैसे प्रति मिनट की दर तय करने की भी मांग की है। कंपनी को अगर मोबाइल डेटा के शुल्क बढ़ाने की मंजूरी मिल गई तो वोडाफोन-आइडिया को मौजूदा ग्राहकों का 1 अप्रैल को अप्रैल फूल जैसा अनुभव होना तय हैं।
गौरतलब है अभी मोबाइल डेटा की दरें चार-पांच रुपए प्रति जीबी है। कंपनी ने कहा है कि उसे समायोजित सकल आय (एजीआर) बकाया का भुगतान करने में सक्षम बनाने और उसके कारोबार को ऑपरेशनल बनाने के लिए आगामी एक अप्रैल, 220 से नई दरें लागू करनी होगी।
सूत्र कहते हैं कि वोडाफोन-आइडिया कंपनी के ऊपर सबसे अधिक एजीआर का बकाया है और उसने एजीआर बकाए के भुगतान के लिए 18 साल की समय-सीमा की मांग की है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा है कि उसे ब्याज व जुर्माने के भुगतान से तीन साल की छूट भी मिलनी चाहिए।
दरअसल, अभी हाल में वोडाफोन आइडिया ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाए के 53, 038 करोड़ रुपए में से एक हजार करोड़ रुपए दूरसंचार विभाग को भुगतान किया है। इससे पहले 17 फरवरी 2020 को भी कंपनी ने 2,500 करोड़ रुपये जमा किए थे।
माना जा रहा है कि करीब 3500 करोड़ रुपए के भुगतान के बाद अब वोडाफोन आइडिया पर कुल 49,538 करोड़ रुपए का बकाया शेष है, जिसके जल्द भुगतान के लिए कंपनी मोबाइल डेटा दर में वृद्धि करने की मांग की है। हालांकि वोडाफोन-आइडिया पर पहले बकाया रकम 53,038 करोड़ रुपए थी। इसमें ब्याज नहीं जुड़ा था।
हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ वोडाफोन आइडिया को ही एजीआर का बकाया भुगतान करना है। इस क्रम में भारतीय एयरटेल भी है, जिसके ऊपर एजीआर का करीब 35, 586 करोड़ रुपए बकाया है। वैसे वोडाफोन-आइडिया की तरह ही भारती एयरटेल ने भी एजीआर बकाए में आंशिक भुगतान किया है।
एक आकलन के अनुसार दूर संचार विभाग को कंपनियों को करीब 1.47 लाख करोड़ रुपए चुकाने हैं। बताया जाता है कि आंशिक भुगतान के बाद वोडाफोन आइडिया के शेयर में बढ़त देखने को मिली थी।
उल्लेखनीय है सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, वोडाफोन आइडिया पर करीब 53 हजार करोड़ रुपए का एजीआर बकाया दूर संचार विभाग को चुकाना है, जिसको चुकाने के लिए सुप्रीम कोर्ट कई बार समय सीमा बढ़ा चुकी है। वोडाफोन कंपनी ने अब तक दूरसंचार विभाग को महज 3,500 करोड़ रुपए का ही भुगतान किया है।
सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक 'वोडाफोन आइडिया ने परिचालन में बने रहने के लिए सरकार से कई मांगें की है, जिसमें पहली मांग एक अप्रैल 2020 से मोबाइल डेटा के शुल्क वृद्धि है। इसके अलावा कंपनी की मांग है कि मोबाइल डेटा शुल्क दर न्यूनतम 35 रुपए प्रति गीगाबाइट (जीबी) हो और न्यूनतम 50 रुपए का मासिक कनेक्शन शुल्क निर्धारित हो।
हालांकि वोडाफोन-आइडिया की उक्त मांगें पूरी तरह से अव्यवहारिक है, जो मौजूदा परिदृष्य को देखते हुए बिल्कुल प्रतिस्पर्धी नहीं कही जा सकती है, वो भी तब जब मोबाइल डेटा लगभग मुफ्त उपभोक्ताओं को मिल रही हैं। कंपनी के उक्त मांगों पर सहमति बन पाना मुश्किल ही है, क्योंकि कई मांगों में से एक कंपनी द्वारा कॉल सेवाओं के लिए न्यूनतम 6 पैसे प्रति मिनट की दर तय की जाने की डिमांड की गई है।
वोडाफोन-आइडिया कंपनी की दलील है कि मोबाइल कॉल और डेटा की दरें बढ़ाने से उसे राजस्व का वह स्तर पाने में मदद मिलेगी, जो 2015-16 में आइडिया और वोडाफोन अलग-अलग कमा पा रही थी। कंपनी ने कहा कि उसे राजस्व का वह स्तर पाने में तीन साल लगेंगे, इसी कारण उसने एजीआर जुर्माने व ब्याज के भुगतान में तीन साल की छूट की मांग की है।
बड़ी बात यह है कि भारत की तीनों शीर्ष कंपनियों ने अभी पिछले तीन महीने के भीतर मोबाइल सेवाओं की दरें 50 प्रतिशत तक बढ़ा चुकी है, ऐसे में प्रस्तावित नई दरें उपभोक्ता दृष्टि से बेहद घातक होंगी।
यह भी पढ़ें- AGR मामला: वोडाफोन-आइडिया को सुप्रीम कोर्ट से झटका, 2500 करोड़ चुकाने का प्रस्ताव ठुकराया, कार्रवाई से भी राहत नहीं
क्या होता है एजीआर?
एजीआर का मतलब अजस्टेड ग्रास रेवन्यू। यानी सरकार दूरसंचार कंपनियों को राजस्व का कुछ हिस्सा सरकार को स्पेक्ट्रम फीस, जिसे स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज ( SUC)और लाइसेंस फीस के रूप में जमा करना होता है। टेलीकॉम कंपनियों का डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस(DOT)से लाइसेंस एग्रीमेंट होता है। एग्रीमेंट में ही एजीआर से जुड़े कंडीशंस होते हैं।
एजीआर बकाया चुकाने वाली इकलौती कंपनी बनी जियो
रिलायंस जियो पहली और वर्तमान में इकलौती ऐसी टेलीकॉम कंपनी है, जिसने दूरसंचार विभाग को 31 जनवरी, 2020 तक का एजीआर बकाए का भुगतान कर दिया है। कंपनी पर एजीआर का करीब 195 करोड़ रुपए बकाया था, जिसे कंपनी ने जमा कर दिया है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाए भुगतान की आखिरी तारीख 23 जनवरी तक की थी।
किन-किन टेलीकॉम कंपनियों पर कितना है एजीआर बकाया
दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार आंकड़ों के मुताबिक एयरटेल पर लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के तौर पर करीब 35,586 करोड़ रुपए का बकाया है। वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपए का बकाया है। इसमें 24,729 करोड़ रुपए स्पेक्टूम बकाया और 28,309 करोड़ रुपए लाइसेंस फीस का बकाया है। टाटा टेलिसविर्सिज पर 13,800 करोड़ रुपए और बीएसएनएल पर 4,989 करोड़ रुपए व एमटीएनएल पर 3,122 करोड़ रुपए का बकाया है।
सुनील भारती मित्तल ने समय से पहले भुगतान का वादा किया
भारती एयरटेल ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के बकाया 35,586 करोड़ रुपए में से 10,000 करोड़ का भुगतान दूरसंचार विभाग को कर दिया है। का भरोसा दिलाया है। भारती एयरटेल के एमडी सुनील भारती मित्तल ने आश्वस्त किया है कि एयरटेल निर्धारित 17 मार्च से पहले ही बकाए का भुगतान कर देगी।
टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड ने चुकाए है 2,197 करोड़ रुपए
टाटा टेलीसर्विसेज लि ने सरकार को ग्रोस इनकम के बकाए के निपटान के लिए 2,197 करेाड़ रुपए का भुगतान किया है। हालांकि टाटा टेलिसविर्सिज को एजीआर का कुल बकाया 13,800 करोड़ रुपए है।
17 मार्च तक नहीं चुकाए तो एमडी के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित 17 मार्च तक बकाया भुगतान नहीं करने पर कंपनियों की एमडी पर अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी थी। अदालत ने रिकवरी के अपने आदेश पर रोक लगाने की वजह से दूरसंचार विभाग के अधिकारी के खिलाफ भी नाराजगी जताई और कहा था कि कंपनियों पर मेहरबानी के लिए कोर्ट के आदेशों को रोका जा रहा है। देश में कोई कानून नहीं रह गया। देश में रहने से बेहतर इसे छोड़कर चले जाना चाहिए।