क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

CAA Protest: आंदोलनकारियों ने 'सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा' कहावत को चरित्रार्थ कर दिया

Google Oneindia News

बेंगलुरू। पिछले दो महीने से राजधानी दिल्ली का एक हिस्सा नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लॉकडाउन पड़ा हुआ था और रविवार को दिल्ली के दूसरे हिस्से को भी आंदोलनकारियों द्वारा लॉकडाउन करने की कोशिश में हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल समेत अब तक कुल 24 लोगों की जान जा चुकी है।

caa

आंदोलनकारी पिछले दो महीने से तीन इस्लामिक देश के सताए गए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने वाले कानून का इसलिए विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उसमे मुस्लिम समुदाय को क्यों नहीं शामिल किया गया। सीएए में चिन्हित तीनों देशों में क्रमशः अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल हैं, जो कि मुस्लिम बहुसंख्यक और इस्लामिक स्टेट हैं।

caa

गौरतलब है सीएए में कुल छह अल्पसंख्यकों को सुगम भारतीय नागरिकता देने के लिए 1955 में निर्मित भारतीय नागरिकता कानून में संशोधन किया गया है। सीएए में चिन्हित तीन देशों से प्रताड़ित होकर भारत में शरणार्थियों का जीवन जी रहे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी को भारतीय नागरिकता का रास्ता सुगम हुआ है।

caa

आंदोलनकारियों की मांग है कि सुगम भारतीय नागरिकता की छूट मुस्लिम समुदायों को (चिन्हित तीनों देशों के बहुसंख्यकों को) भी मिलनी चाहिए, जिनकी प्रताड़ना के शिकार होकर सभी भारत में शरणार्थी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। यहां सीएए का विरोध करने वाले भूल गए कि वो जिन तीनों देशों के मुस्लिम बहुसंख्यकों की हिमायती बन रहे हैं, वर्ष 1947 में स्वेच्छा से धर्म के आधार पर हिंदुस्तान को बांटकर ऐसे ही लोगों ने एक अलग देश बना लिया था।

caa

सवाल उठता है उन्हें सीएए के तहत हिन्दुस्तान की सुगम नागरिकता में प्राथमिकता क्यों दी जानी चाहिए? जबकि चिन्हित देशों के ऐसे इच्छुक मुस्लिम समुदायों को भारत की नागरिकता हासिल के लिए सामान्य रास्ता पहले की तरह अभी खुला हुआ है, जिसके जरिए कोई भी मुस्लिम भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।

caa

यह बात दीगर है कि भारत सरकार ने उपरोक्त तीनों देशों के बहुसंख्यक मुस्लिम समदायों को किसी ब्लैक या ग्रे लिस्ट में अभी तक नहीं डाला है। सिंगर अदनान सामी की तरह कई पाकिस्तानी नागरिक को ऐसी ही भारत की नागरिकता मिली है। यह खिड़की आज भी खुली है, जहां औपचारिक तरीके से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया जा सकता है। इसमें किसी को कोई संशय भी नहीं है, फिर विरोध क्यों हो रहा है, यह सवाल लाजिमी हो जाता है।

caa

कुछ लोग सीएए को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के खिलाफ बता रहे हैं जबकि अनुच्छेद 14 में उचित वर्गीकरण (रिजनेबल क्लासिफिकेशन) की इजाजत है। यही वजह है कि धारा 14 होने के बावजूद अनुसूचित जाति, जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों, महिलाओं, और विकलांगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण दिया जाता है।

caa

माना जा रहा है कि सीएए के खिलाफ आंदोलन न ही समानता के अधिकार का मामला है और न ही सेक्युलरिज्म का, बल्कि यह मामला मानवीय संवेदना, मानवाधिकारों और सिविलाइजेशनल स्टेट के रूप में भारत की जिम्मेदारियों का है। चूंकि भारत में हर समस्या को सेक्युलरिज्म के चश्मे से देखा जाता है इसलिए गुमराह हुए लोग सड़कों पर आज भी जमा हैं।

caa

उल्लेखनीय है गजेटेड नागरिकता संशोधन कानून अब ऑनलाइन है और कोई भी सीएए से संबधित दुविधाओं का निस्तारण अपनी सुविधानुसार कर सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर कैंपेन चलाकर लोगों को सीएए के प्रति जागरूक किया।

caa

लेकिन सीएबी के सीएए बनने के दो महीने बाद भी आंदोलन का नहीं थमना और अब उसका हिंसक रूप ले लेना बड़ा सवाल खड़ा करता है। दिलचस्प बात यह है कि यह कानून किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता पर सवाल खड़ा नहीं करता है इसके बावजूद भ्रमित लोग हिंसा पर उतारू हैं।

caa

भारत के अंचलों में एक प्रचलित कहावत 'सूत न कपास और जुलाहों में लट्ठम लट्ठा' को चरित्रार्थ कर रहे आंदोलनकारी आज भी शाहीन बाग में धरने पर बैठे हैं। यही नहीं, पूरे देश में ऐसे आंदोलनकारी सीएए के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली में हुए हिंसक प्रदर्शन में अब तक काफी खून बह चुका है।

caa

दिल्ली में हिंसक प्रदर्शन में कई लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है, लेकिन आंदोलन अभी भी किसी थमने की ओर बढ़ता नहीं दिखाई दे रहा है। हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में सेना फ्लैग मार्च कर रही है और हिंसा प्रेरित प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश हैं।

यह भी पढ़ें-Shaheen Bagh: तो क्या देश में छुपकर बैठे मुस्लिम घुसपैठियों के लिए धरने पर बैठे हैं भारतीय मुस्लिम?

सियासी रोटियां सेंकने CAA को एक टूल की तरह इस्तेमाल किया गया

सियासी रोटियां सेंकने CAA को एक टूल की तरह इस्तेमाल किया गया

सीएए के खिलाफ अब तक हुए धरना-प्रदर्शनों की हकीकत यही है कि यह पूरी तरह सियासी थी, जिसे विभिन्न राजनीतिक दल अपनी सियासी रोटियां सेंकने और सरकार को बदनाम करने के लिए भीड़ को एक टूल की तरह इस्तेमाल किया। एक खास वर्ग मुस्लिम को लक्ष्य करके शुरू हुआ यह धरना-प्रदर्शन अभी भी जारी है। मुस्लिमों को गुमराह करने के बताया गया कि सीएए से उनकी नागरिकता छीनने का सरकार प्रयास कर रही है, लेकिन केंद्रीय मंत्री अमित शाह द्वारा भारतीय मुस्लिमों को संसद और संसद के बाहर दोनों जगहों से आश्वस्त करने के बाद भी हिंसा नहीं रूकी और अभी तक जारी है।

भ्रांतियों को दूर करने के लिए सड़क पर उतरे केंद्रीय मंत्री अमित शाह

भ्रांतियों को दूर करने के लिए सड़क पर उतरे केंद्रीय मंत्री अमित शाह

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सीएए के खिलाफ फैली भ्रांतियों को दूर करने और लोगों की जानकारी बढ़ाने के लिए गत 5 जनवरी से डूर टू डूर कैंपेन चलाने की घोषणा की। सारे बीजेपी नेताओं को उनके इलाकों में खासकर मुस्लिम वर्ग को सीएए के बारे में विस्तृत जानकारी देने को कहा गया। पिछले दो दिनों से बीजेपी नेता, सांसद और विधायक अपने-अपने इलाकों के लोगों को सीएए के बारे में जागरूक कर रहे हैं, जिसका नतीजा हुआ है कि लोगों में सीएए के खिलाफ खौफ कम होता दिख रहा है, जिसकी तस्दीक पूरे देश में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन और हिंसा मे कमी देखी गई है।

गुमराह करने के इरादे से मुस्लिमों में फैलाई गई गलतफहमी

गुमराह करने के इरादे से मुस्लिमों में फैलाई गई गलतफहमी

राजनीतिक दलों और असमाजिक तत्वों द्वारा सीएए के खिलाफ सबसे बड़ी गलतफहमी यह फैलाई गई कि सीएए में मुस्लिम को बाहर रखा गया है, लेकिन लोगों को यह नहीं बताया गया कि मुस्लिम को क्यों बाहर रखा गया। मुस्लिमों को यह जानने का पूरा हक है कि सीएए से उन्हें क्यों बाहर रखा गया। चूंकि सीएए में चिन्हित तीनों देश पूरी तरह इस्लामिक देश हैं, जहां बहुसंखयक मुस्लिम हैं। सवाल यह है कि एक इस्लामिक और मुस्लिम बहुसंख्यक देश में कौन प्रताड़ना का शिकार हो सकता है। निः संदेह मुस्लिम नहीं होंगे, क्योंकि मुस्लिम इस्लाम को मानते है और तीनों चिन्हित राष्ट्र इस्लामिक हैं, जहां उन्हें धार्मिक प्रताड़ना का सवाल ही नहीं पैदा होता है।

इस्लामिक देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक, वो कैसे प्रताड़ित हो सकते हैं

इस्लामिक देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक, वो कैसे प्रताड़ित हो सकते हैं

इस्लामिक देशों में अल्पसंख्यक पीड़ित और प्रताड़ित हो सकते हैं, जहां उनके धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक पूजा और शादी और कर्मकांड करने में अवरोध पैदा किया जाता हो। चूंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जहां सभी धर्मों के अनुयायियों को पूरी स्वतंत्रता मिला हुआ और धार्मिक आधार पर किसी समुदाय विशेष से भेदभाव नहीं किया जाता है।

इस्लामिक देशों में प्रताड़ित हिंदुओं व अन्य का एक मात्र सहारा है भारत

इस्लामिक देशों में प्रताड़ित हिंदुओं व अन्य का एक मात्र सहारा है भारत

भारत में मौजूद 22 करोड़ मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति से समझा जा सकता है, जिन्हें पूरी तरह से धार्मिक आजादी है। चूंकि तीनों चिन्हिंत देश इस्लामिक राष्ट्र हैं इसलिए प्रताड़ना के शिकार हुए वहां मौजूद हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसियों का एक मात्र सहारा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हिंदुस्तान था, जहां वो अपने कर्मकांडों के साथ सुखी से रह सकते है। सीएए में इसलिए तीनों इस्लामिक देशों के अल्पसंख्यकों को जगह दी गई, लेकिन तीनों देशों के बहुसंख्यक मुस्लिमों को जगह नहीं दी गई। खुद से सवाल कीजिए, आखिर वो क्यों भला हिंदुस्तान आना चाहेंगे, जो एक इस्लामिक देश में रह रहे हैं।

इस्लामिक देशों के इच्छुक नागरिकों के लिए अभी भी खुली है खिड़की

इस्लामिक देशों के इच्छुक नागरिकों के लिए अभी भी खुली है खिड़की

सीएए में इस्लामिक देशों के इच्छुक नागरिकों को हिंदुस्तान की नागरिकता लेने और आवेदन करने से रोकने का प्रावधान नहीं है और पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हजारों मुस्लिमों को हर वर्ष भारत सरकार की ओर से भारतीय नागरिकता प्रदान की जाती है। राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री ने हाल में बताया कि वर्ष 2019 में कुल 561 पाकिस्तानी नागरिकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई, इनमें पाकिस्तानी सिंगर अदनाम सामी शामिल हैं। अभी जब सीएए के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन चल रहे थे, तो गुजरात में एक मुस्लिम महिला को हिंदुस्तान की नागरिकता प्रदान की गई।

CAA पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर लौटे हिंदू शरणार्थियों के लिए है

CAA पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर लौटे हिंदू शरणार्थियों के लिए है

बड़ा सवाल यह है कि सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का औचित्य क्या है अगर इससे किसी भी भारतीय समुदाय की नागरिकता नहीं छिन रही है। क्योंकि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले से हिंदुस्तान के बहुसंख्यक हिंदुओं के बीच यह संदेश जा रहा है कि भारतीय मुस्लिम चिन्हित तीनों इस्लामिक देशों में अल्पसंख्यकों की प्रताड़ना से खुश हैं जबकि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक श्रेणी शुमार मुस्लिमों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है। उन्हें किसी भी तरह की धार्मिक प्रताड़ना नहीं होती, लेकिन एएमयू और जामिया में अल्पसंख्यक मुस्लिम हिंदुओं की कब्र खुदेगी के नारे लगाने के बाद भी स्वतंत्र हैं। हिंदुस्तान के बहुसंख्यक हिंदू हितों के खिलाफ लगाया गया उक्त नारा भी अभिव्यक्ति की आजादी नाम पर स्वीकार्य है।

भारत सरकार ने 70 वर्ष बाद राष्ट्रपिता द्वारा किया वादा किया पूरा

भारत सरकार ने 70 वर्ष बाद राष्ट्रपिता द्वारा किया वादा किया पूरा

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1947 में धर्म के आधार पर हिंदूस्तान के दो टुकड़े करके अलग हुए पाकिस्तान में छूट गए हिंदू और सिख समेत अल्पसंख्यकों से वादा किया था कि जब भी वो हिंदुस्तान में आना चाहेंगे, हिंदुस्तान उनका दोनों हाथों से स्वागत करेगा। सीएए महात्मा गांधी के वादों की परिणिति है, लेकिन राजनीतिक दलों द्वारा निजी स्वार्थ में भ्रांतियों और गलतफहमियों की खड़ी की गई दीवार ने सभी लोगों को सड़क पर पहुंचा दिया। हालांकि हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यकों के को भारत की नागरिकता देने के लिए लिए पहले से ही हिंदूस्तान में कानून था। 1955 में लाए गए भारतीय नागरिकता कानून में मोदी सरकार में इसलिए संशोधन किया ताकि हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता सुगमता से हासिल हो सके।

Comments
English summary
The CAA agitators demand that Muslim communities (majority of the three countries identified) should be given easy access to Indian citizenship, whose victims are all living in India as refugees. Here, those opposing the CAA forgot that the three countries where they are becoming advocates of the Muslim majority, they had divided India into a separate country in 1947 on the basis of religion.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X