नवजोत कौर सिद्धू के बाद अब क्या नवजोत सिंह सिद्धू भी कहेंगे 'गुडबाय कांग्रेस'!
बेंगलुरू। पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू क्रिकेट से लेकर कॉमेडी तक की कमेंट्री सुपरहिट थी, लेकिन बतौर पॉलिटीशियन उनकी कमेंट्री फेल गई लगती है। बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने के बाद से ही सिद्धू के राजनीतिक ही नहीं, व्यक्तिगत जीवन में स्यापा लगा हुआ है। कहा जा सकता है कि सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा और पाकिस्तानी आर्मी चीफ जरनल बाजवा को गले लगाना उनके राजनीतिक अवसान की प्रमुख कारण हो सकता है।
अच्छे खासे प्रोफेशनल कैरियर छोड़कर राजनीति में घुसे नवजोत सिंह सिद्धू से गलती यह हुई कि उन्होंने सत्ता की ऊंचाई तक पहुंचने की ललक में पंजाब के मौजूदा सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को आंख दिखाने लग गए। हालांकि सिद्धू की स्यापा का प्रमुख अध्याय पाकिस्तान यात्रा पर शुरू हुआ। पाकिस्तान में चुनकर आए पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की प्रधानमंत्री पद की ताजपोशी में आमंत्रित किए गए सिद्धु की उलटी गिनती यहीं से शुरू हुई।
पाकिस्तान यात्रा पर गए अतिउत्साही सिद्धू यह भूल गए कि वो ऐसे पड़ोसी देश की यात्रा पर है, जो पिछले 70 वर्षों से हमवतन भारत में आतंकवाद परोस रहा है। पूर्व क्रिकेटर और पाकिस्तानी के नए प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान खान के शपथ ग्रहण में जाने में कोई बुराई नहीं थी, लेकिन पाकिस्तान यात्रा के दौरान सिद्धू अपने वतन और पाकिस्तान की अदावत को भूल गए।
पाकिस्तानी सेना के चीफ जनरल बाजवा के साथ गले मिलकर मुस्कारने वाले देखते ही देखते उस सिद्धू उस दहलीज पर खड़े हो गए, जहां से उनके लिए सभी रास्ते बंद होना स्वाभाविक ही था। सिद्धू ऐसा करके कांग्रेस से ही दूर नहीं हुए बल्कि भारत से भी दूर हो गए। उन्हें उन लोगों में शुमार किया जाने लगा, जिनको हवा देकर कभी पाकिस्तान ने पंजाब को आग में झुलसा दिया था।
सिद्धू की दशा वर्तमान में ऐसी हो गई है कि उनका राजनीतिक कैरियर के साथ क्रिकेट और कॉमेडी में कमेंट्री करने का कैरियर भी चौपट हो चुका है। जिस बड़बोलेपन ने सिद्धू को सफलता की ऊंचाईयों पर पहुंचने के लिए सीढ़ियां प्रदान की, उसी बड़बोलेपन के चलते उनका राजनीतिक जीवन अवसान की ओर अब बढ़ चला है।
यह सिद्धू का बड़बोलापन ही था जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा के गले लगने को सिद्धू जस्टीफाई करने लग गए। हालांकि उनके लिए यह इशारा काफी था जब मौजूदा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी बचाव में नहीं उतरी, जिनके पांव छूकर सिद्धू पंजाब प्रदेश की राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की थी।
नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीतिक पारी की शुरूआत वर्ष 2004 में बीजेपी के साथ हुई और बीजेपी में रहते हुए सिद्धू एक नहीं, बल्कि दो-दो अमृतसर से सांसद चुने गए। वर्ष 2004 से 2014 तक बीजेपी की टिकट पर सांसद चुने गए नवजोत सिंह सिद्धू वर्ष 2017 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में चले गए। सिद्धू वर्तमान में पूर्वी अमृतसर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक हैं, लेकिन उनके बड़बोलेपन के चलते पंजाब कैबिनेट से निकालकर इसलिए फेंक दिए गए, क्योंकि उनके लगता था कि अगर सैंया (राहुल गांधी) भये कोतवाल को डर (कैप्टन अमरिंदर सिंह) कैसा।
वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव के बाद पूरे देश में चुनाव दर चुनाव हार रही कांग्रेस को पंजाब में सत्ता तक पहुंचाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ अदावत सिद्धू पर भारी पड़ा। कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में बिजली मंत्री रहे सिद्ध को न केवल पंजाब कैबिनेट से हाथ धोना पड़ा बल्कि पंजाब कांग्रेस संगठन में भी कोई पद नहीं मिला।
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के स्टार प्रचारक की लिस्ट भी दूर रखा गया। सिद्धू के राजनीतिक ही नहीं, व्यक्तिगत जीवन का भी यह सबसे खराब दौर था, क्योंकि सिद्धू की हाजिर जवाबी और तुकबंदी ने राजनीतिक मंच प्रदान करने में बड़ा योगदान किया था, लेकिन बड़बोलेपन से अधिक उनकी अपरिपक्वता ने सिद्धू कॉमेडी शो और पावर शो दोनों से दूर हो गए हैं।
कांग्रेस में सिद्धू को लाने वाले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अभी हॉलीडे मोड पर हैं। सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष पद पर आसीन होने के बाद राहुल गांधी के कार्यकाल में फर्श से अर्श पर बिठाए गए नेताओं को चुन-चुनकर हटाया जा रहा है। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के मुखिया अशोक तंवर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेता संजन निरूपम को नजीर के रूप में लिया जा सकता है। सिद्धू पंजाब कैबिनेट अथवा संगठन में होते तो उनका भी नंबर आता, लेकिन इससे पहले ही बड़बोलेपन में सिद्धू कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की कुर्सी गंवा चुके थे।
सिद्धू एंड फेमिली का राजनीतिक कैरियर कांग्रेस में अवसान पर है। यही वजह था कि सिद्धू की पत्नी और पंजाब में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहीं नवजोत कौर सिद्धू ने कांग्रेस से किनारा करने की घोषणा कर दी है। माना जा रहा है कि सिद्धू भी जल्द कांग्रेस को टाटा और बॉय-बॉय बोल देंगे।
कांग्रेस से किनारा करने वाली सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने पार्टी छोड़ते हुए कहा कि अब वह किसी भी पार्टी की सदस्य नहीं हैं। उन्होंने यह आरोप जरूर लगाया कि पार्टी के कुछ नेताओं की वजह से ही उनके पति सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच मतभेद पैदा हुए हैं, लेकिन यह भूल गईं कि सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा के खिलाफ खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह थे।
नवजोत कौर सिद्धू को अगर याद करेंगी तो पाकिस्तान जाने को उतावले सिद्धू ने सूबे के मुखिया और कैबिनट के सिरमौर कैप्टन अमरिंदर सिंह को दरकिनार सिद्धू ने तब कहा था कि उनका कप्तान कोई और उन्हें पाकिस्तान यात्रा की इजाजत किसी और से नहीं लेनी है।
यही वह बयान था, जिसकी वजह से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच बनी खाई को गहरा करने बड़ा योगदान किया। इसकी परिणित ही थी कि सिद्धू का न केवल पंजाब कैबिनेट से पत्ता साफ हुआ बल्कि नौबत अब यह आ गई है कि सिद्धू कल कांग्रेस को भी गुडबॉय बोल दें तो आश्चर्य नहीं होगा।
हालांकि अटकले थी कि कांग्रेस कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ खड़े सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस संगठन में कोई बड़ा पद सौंप सकती है, लेकिन हरियाणा में पहले से ही गुटबाजी की शिकार कांग्रेस आलाकमान पंजाब प्रदेश संगठन में सिद्धू को कोई पद सौंपकर वहां गुटबाजी को पनपने नहीं देना चाहती थी। यही कारण था कि पंजाब कैबिनेट से हटने के बाद अबतक सिद्धू को न पंजाब प्रदेश कांग्रेस को पद दिया गया और न ही केंद्रीय संगठन में कोई जिम्मेदारी सौंपी गई है।
यही वजह है कि नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू पार्टी में अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने कांग्रेस से किनारा करके संदेश दे दिया है। पार्टी की ओर से कोई पहल नहीं हुई तो नवजोत सिंह सिद्धू भी गुडबॉय मोड में तैयार बैठे हैं।
वैसे, नवजोत कौर सिद्धू के पार्टी से किनारा करने की वजहें कुछ और भी बताई जा रही हैं। इनमें पहला यह है कि वो लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की ओर से टिकट नहीं मिलने से नाराज हैं, लेकिन यह हाजमे लायक नहीं है, क्योंकि इसका फैसला तो पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव से एक दो महीने पहले ही ले चुकी थी और तब नवजोत कौर सिद्धू की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई थी।
कहा जा रहा है कि नवजोत कौर ने पार्टी से चंडीगढ़ की सीट मांगी थी, लेकिन पार्टी ने पवन कुमार बंसल को टिकट दे दिया। हालांकि नवजोत कौर सिद्धू के कांग्रेस से किनारा करने का मूल कारण पति नवजोत सिंह सिद्धू के प्रति पार्टी की अनदेखी मानी जा रही है।
पति नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए नवजोत कौर ने कहा कि पंजाब कैबिनेट से इस्तीफे के बाद वो अपने विधानसभा का कामकाज देख रहे हैं, लेकिन हाल में न्यू प्रीतनगर विधानसभा क्षेत्र में लगे पोस्टर बताते हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू राजनीतिक कोपभवन में हैं।
आरोप है कि विधायक बनने के बाद सिद्धू एक बार भी विधानसभा क्षेत्र का दौरा करने अब तक नहीं पहुंचे हैं, जिससे वहां के स्थानीय नेताओं के साथ विधानसभा के लोग भी सिद्धू से खासा नाराज है, जिससे पार्टी की छवि खराब हो रही है। कांग्रेस से किनारा कर चुकी नवजोत कौर सिद्धू ने फिलहाल राजनीतिक भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा है, लेकिन इसकी पूरी संभावना है कि अगर कांग्रेस पार्टी की ओर कोई पहल नहीं की गई तो नवजोत सिंह सिद्धू भी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर एक अलग रास्ता चुन सकते हैं।
उल्लेखनीय है सिद्धू इससे पहले भी एक अलग राजनीतिक पार्टी बनाने की कवायद कर चुके हैं और अधिक संभावना है कि हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के बाद सिद्धू नई पार्टी की घोषणा कर सकते है। फिलहाल नवजोत कौर सिद्धू और नवजोत सिंह सिद्धू दोनों पार्टी आलाकमान की ओर देख रहे हैं।
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