हैदराबाद चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद क्या है BJP का अगला एजेंडा, जिससे बढ़ेगी कांग्रेस की मुश्किल
नई दिल्ली- ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव के परिणाम आने के बाद भाजपा यह इंतजार कर रही है कि निगम की गवर्निंग बॉडी के लिए बाकी दलों का अगला कदम क्या होता है। किसी भी दल को बहुमत नहीं है, इसलिए पार्टी अभी देखना चाहती है कि टीआरएस और एमआईएम किस तरह से सार्वजनिक तौर पर एक साथ आते हैं। 150 सीटों वाले निगम चुनाव में टीआरएस को 55, बीजेपी को 48 और एमआईएम को 44 सीटें मिली हैं। इसके बाद ही बीजेपी तेलंगाना में अपने जनाधार के विस्तार का नया और आक्रामक अभियान छेड़ने की तैयारी में है। शुरू में पार्टी की नजर उन कांग्रेस नेताओं पर है, जो आसानी से उसके खेमे में आने को तैयार हो सकते हैं।
टीआरएस के अगले कदम का इंतजार कर रही है बीजेपी
हैदराबाद में बीजेपी को मिली अप्रत्याशित जीत के बाद पार्टी की रणनीति पर बात करते हुए इसके ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और तेलंगाना के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के लक्ष्मण ने निगम की गवर्निंग बॉडी को लेकर ईटी से कहा है कि,'हम टीआरएस या एआईएमआईएम के साथ नहीं जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम यह इंतजार करेंगे कि उनका कदम क्या होता है।' उन्होंने कहा कि, 'टीआरएस अब कह रही है कि वह इसके बारे में सोच रही है, क्योंकि उसके पास समय है। लेकिन, सवाल है कि ऐसी स्थिति में समय से पहले चुनाव करवाने की क्या जरूरत थी?' गौरतलब है कि ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के लिए चुनाव असल में अगले साल फरवरी के लिए निर्धारित था, लेकिन राज्य की केसी राव की सरकार ने उसे समय से पहले ही करवाने का फैसला किया। इससे पहले वह पिछले विधानसभा चुनाव में ऐसा कर चुके हैं और तब उन्हें इसका लाभ भी मिला था।
अगले एमएलसी और विधानसभा उपचुनाव पर फोकस
पूरे चुनाव अभियान में बीजेपी यह दावा करती रही कि टीआरएस और एआईएमआईएम के बीच एक गुप्त गठबंधन है। अगर दोनों अब साथ आते हैं तो उसके दावों पर मुहर लग जाएगी। इससे भाजपा को अपना चुनावी एजेंडा सेट करना ज्यादा आसान हो जाएगा। ताजा चुनाव परिणामों से उत्साहित पार्टी का तात्कालिक एजेंडा तो ग्रैजुएट सीट पर होने वाले विधान परिषद की दो सीटों का चुनाव और उसके बाद अगले साल की शुरुआत में विधानसभा की खाली हुई एक सीट पर होने वाले उपचुनाव पर फोकस करना है। ग्रैजुएट सीट पर एमलएसी का चुनाव अगले साल फरवरी या मार्च होने हैं। इसमें से हैदराबाद-रंगारेड्डी-महबूबनगर की सीट तो अभी भी भाजपा के पास है और उसे भरोसा है कि यह सीट उसके हाथ से कहीं नहीं जाएगी। दूसरी सीट वारंगल-खम्मम-नालगोंडा अभी टीआरएस के पास है और भाजपा यहीं पर उसे पटखनी देने के लिए जोर लगा सकती है। भाजपा नेता का कहना है, 'बेशक ये चुनाव हमारे एजेंडे पर हैं और हम जीतने के लिए पूरी ताकत के साथ काम करेंगे।'
कांग्रेस के कई नेता भाजपा की रडार पर
भाजपा का दूसरा महत्वपूर्ण एजेंडा नागार्जुन सागर विधानसभा क्षेत्र में होने वाला उपचुनाव है, जो सीट टीआरएस विधायक नोमुला नरसिम्हा के निधन की वजह से हाल ही में खाली हुई है। बीजेपी यहीं पर बड़ा खेल करना चाहती है। सूत्रों की मानें तो इस सीट के लिए राज्य के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता के जना रेड्डी के साथ संपर्क में है, जो पहले इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। माना जा रहा है कि पार्टी उनके बेटे रघुवीर रेड्डी को टिकट दे सकती है। वैसे भी टीआरएस सरकार में अपने-आपको उपेक्षित महसूस कर रहे संपन्न रेड्डी समाज को भाजपा कांग्रेस से अपने खेमे में लाने की कवायद में काफी पहले से जुटी हुई है और हाल के दिनों में उसे उत्साहजनक नतीजे भी देखने को मिले हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कि डिप्टी जी किशन रेड्डी को हाईप्रोफाइल मंत्रालय देकर पार्टी रेड्डी समाज को बड़ा संदेश दे रही है।
2023 का चुनाव है भाजपा का असल एजेंडा
सिर्फ के जना रेड्डी ही नहीं, भाजपा कई कांग्रेस नेताओं के साथ संपर्क में है और पार्टी के नेता लगातार इस कोशिश में लगे हुए हैं कि उन सबको 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले अपने साथ ले आया जाए। पूर्व तेलुगू अभिनेत्री विजयशांति भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ चुकी हैं और आने वाले समय में ऐसे कई नेता हैं, जो भाजपा के इस एजेंडे का हिस्सा बन सकते हैं।
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