शुजा के सनसनीखेज खुलासे के बाद EVM पर रह पाएगा भरोसा?
नई दिल्ली। भारतीय मूल के हैकर सैयद शुजा ने जो सनसनखेज खुलासा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया है, खुद को छिपाते हुए किया है और जिस तरीके से लंदन में इसे प्रेस वार्ता के जरिए दुनिया के सामने लाया गया है उससे इस खुलासे में कई पहलू और जुड़ जाते हैं। इन पहलुओं में आरोप की टाइमिंग, आरोप लगाने का तरीका, आरोपों से जुड़े सबूत मुख्य रूप से शामिल हैं। बीजेपी इन्हीं पहलुओं की ओर ध्यान दिला रही है। जो खुलासे हैकर सैयद शुजा ने किए हैं उन्हें तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है-
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पहला हिस्सा - चुनाव में हुई ईवीएम हैकिंग
2014 का आम चुनाव, 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव और बाद में यूपी, गुजरात और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी ईवीएम को हैक करने की कोशिश की गयी, लेकिन शुजा का दावा है कि उसने इंटरसेप्ट कर इस कोशिश को विफल कर दिया।
दूसरा
हिस्सा
-
ईवीएम
हैकिंग
ने
ली
कई
लोगों
की
जान
ईवीएम
हैकिंग
का
राज
जानने
की
वजह
से
बीजेपी
नेता
व
केंद्रीय
मंत्री
गोपीनाथ
मुंडे
की
हत्या
हुई
(जिसे
दुनिया
दुर्घटना
मानती
रही
है),
पत्रकार
गौरी
लंकेश
की
हत्या
की
वजह
भी
ईवीएम
हैकिंग
का
राजदार
होना,
ईवीएम
हैकिंग
से
जुड़े
लोगों
की
हत्या
की
कोशिशें
जिनमें
खुद
हैकर
सैयद
शुजा
भी
शामिल
है।
तीसरा
हिस्सा
-
ईवीएम
के
कारण
लोकतंत्र
ख़तरे
में
ईवीएम
को
हैक
किया
जा
सकता
है।
इस
दावे
ने
लोकतंत्र
के
अपहरण
की
आशंका
को
पुख्ता
कर
दिया
है।
शुजा
ने
हैकिंग
को
लेकर
जो
अन्य
दावे
किए
हैं
उन
पर
भी
ध्यान
देना
बहुत
जरूरी
है।
शुजा ने हैकिंग को लेकर किए हैं ये दावे
-
ग्रेफाइट
आधारित
ट्रांसमीटर
से
हैक
हो
सकता
है
ईवीएम
-
ब्लू
ट्रूथ
और
वाईफाई
के
बिना
ईवीएम
की
हैकिंग
सम्भव
-
हैकिंग
के
लिए
ईवीएम
चिपसेट
को
बाइपास
करना
जरूरी
-
2014
चुनाव
में
ग्रेफाइट
आधारित
ट्रांसमीटर
युक्त
ईवीएम
इस्तेमाल
हुए
-
2014
लोकसभा
चुनाव
में
ईवीएम
में
हेरफेर
की
गयी
सैयद शुजा पर न करें विश्वास, मगर जरूरी है जांच
यह सवाल बीजेपी की ओर से उठाए जा रहे हैं कि कोई विदेश की धरती पर कुछ भी उल-जलुलू आरोप लगा दे तो क्या हर आरोप की जांच होगी? आरोप उल-जुलूल नहीं है। आरोप गम्भीर हैं। सिर्फ ईवीएम हैकिंग ही नहीं, इसका राज जानने वालों की हत्या तक के आरोप हैं। इन आरोपों को यह कहकर खारिज नहीं किया जा सकता कि ये विदेशी धरती से लग रहे हैं। शुजा से जुड़े से कई पहलुओं की जांच जरूरी है
-
अगर
षडयंत्र
का
पहलू
भी
इन
आरोपों
में
जुड़ा
है
तो
वह
षडयंत्र
सामने
आए,
इसके
लिए
भी
जांच
जरूरी
है।
-
सैय्यद
शुजा
के
ईवीएम
डिजाइनिंग
टीम
का
हिस्सा
होने,
भारत
छोड़ने
की
परिस्थिति,
उसकी
शैक्षणिक
योग्यता
और
पता-ठिकाना
सबकी
जांच
करने
की
आवश्यकता
है।
-
इसके
अलावा
सैय्यद
शुजा
को
गोली
लगने
से
लेकर
अमेरिका
के
अस्पताल
में
इलाज
चलने,
अमेरिकी
संस्थानों
की
रिपोर्ट
आदि
की
भी
जांच
किए
जाने
की
आवश्यकता
है।
हैकेथलॉन में शामिल हुए थे कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल
सैयद शुजा के हैकेथलॉन में भारत के निर्वाचन आयोग को भी बुलाया गया था। इसका आयोजन ब्रिटेन स्थित भारतीय पत्रकारों ने किया था। आयोग ने वहां जाने की जरूरत नहीं समझी। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को भी बुलाया गया था। वे गये। अब उनकी मौजूदगी के उदाहरण से बीजेपी इसे अपनी सरकार के ख़िलाफ़ बता रही है। सैयद शुजा के खुलासे के बाद से ईवीएम पर लग रहे लांक्षन अब काले धब्बों में बदल गये हैं। उन धब्बों को धोए बिना ईवीएम से दोबारा चुनाव कराना मतदान का मजाक होगा और भारतीय लोकतंत्र व चुनाव पद्धति पर बड़े सवाल खड़े होंगे। शुजा के लिए यह जरूरी नहीं हैं कि भारत में होने वाले चुनाव में पारदर्शिता और पवित्रता रहे, यह जरूरत स्थानीय जनता के लिए है। इसलिए शुजा को भारत लाने से लेकर उसके आरोपों की जांच की कोशिश होनी चाहिए और यह मामला उच्चस्तरीय जांच का है, सीबीआई से ऊपर का है। शुजा के आरोपों के सामने आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या आम मतदाताओं को भरोसा ईवीएम पर रह पाएगा?
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