निर्भया केस: चौथे डेथ वारंट के बाद फांसी से बचने के लिए क्या कोई तिकड़म कर पाएंगे निर्भया के दरिंदें?
After the fourth death warrant, Nirbhaya's convicts will not be able to do any tricks to avoid hanging. चौथे डेथ वारंट के बाद क्या निर्भया के दरिंदें फांसी से बचने के लिए कोई तिकड़म नहीं चल पाएंगे।
बेंगलुरु। दिल्ली के निर्भया गैंगरेप और हत्या केस में तीसरी बार फांसी टलने की खबर से सबका गुस्सा चरम पर पहुंच चुका हैं। निर्भया के चारों दरिंदों के सभी कानूनी विकल्प समाप्त होने के बावजूद ये दरिंदे फांसी पर लटकाए जाने से फिर बच गए। इस बार दोषी पवन गुप्ता की राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित होने के कारण पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक दोषियों की फांसी टाल दी है।
इस दया याचिका के खारिज होने के बाद फांसी के लिए अदालत फिर एक नया डेथ वारंट जारी करेगी और आरोपियों को कम से कम 15 दिन का समय मिल जाएगा। ऐसे में सबके मन में सवाल उठ रहा हैं कि क्या चौथे डेथ वारंट के बाद फांसी से बचने के लिए निर्भया से बचने के लिए क्या कोई तिकड़म लगा पाएंगे या फिर ये ही डेथ वारंटआखिरी होगा?
चारों दोषियों के पास नहीं बचे हैं कोई कानूनी विकल्प
बता दें निर्भया के साथ 16 दिसंबर 2012 को वहशियत करने वाले चारों दोषियों पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और विनय शर्मा ने अपने सभी कानूनी विकल्प सोमवार तक पूरी तरह आजमा लिए हैं। अब चारों के पास कोई भी कानूनी विकल्प बचा नहीं हैं। कानून के अनुसार इन चारों दरिंदों के पास फांसी को टलवाने के लिए कोई भी पुख्ता पैंतरा बचा नही है।
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इसलिए चौथे डेथ वारंट पर रोक नहीं लगवा सकेंगे दरिंदें
ये अभी कानूनी रूप से अब दोषियों के पास फांसी को ज्यादा दिनों तक टलवाने के लिए कोई पुख्ता पैंतरा नहीं बचा है। अभी तक वो सारे पैतरें अजमा चुके हैं। इसलिए इस बार जब कोर्ट चौथा डेथ वारंट जारी करेगा तो उस पर दोषी रोक नहीं लगवा सकेंगे। निर्भया के चारों दरिंदों को मौत से बचाने के लिए उनके वकील कानूनी विकल्पों को अलग-अलग समय पर प्रयोग करके अब तक तीन बार फांसी टलवा चुके हैं। लेकिन माना जा रहा हैं कि इस बार कोर्ट जारी करेगा उसी तारीख को निर्भया के चारों दरिंदें फांसी पर लटका दिए जाएंगे।
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फांसी टालते हुए कोर्ट ने कही ये बात
बता दें निर्भया केस के पटियाला हाउस कोर्ट के जज ने डेथ वारंट पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि भले ही पीड़िता का पक्ष फांसी न टालने के लिए जोर दे रहा है लेकिन मुझे लगता है कि जब दोषी अपने रचयिता (भगवान) से मिले तो इस दुख या क्षोभ के साथ न मिले कि इस देश की अदालत ने उसके साथ सही नहीं किया और कानूनी विकल्प इस्तेमाल करने का फेयर चांस नहीं दिया। इसलिए मुझे लगता है कि फांसी तब तक नहीं हो सकती, जब तक दया याचिका लंबित है। इसलिए यह निर्देश दिया जाता है कि तीन मार्च को होने वाली दोषियों की फांसी को अगले आदेश तक रोक दिया जाए। वहीं इस केस की जिरह के दौरान निर्भया की मां की ओरे से केस लड़ रहे वकील ने कहा था कि अदालत के पास अब दोषियों की फांसी पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ही दोषियों की फांसी पर रोक लगा सकता है।
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सुनवाई लंबित होने पर भी होगी फांसी
निर्भया केस में पवन की सुधारात्मक याचिका सुप्रीम कोर्ट में भले ही खारिज हो गई हो, मगर पांच मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दायर उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा, जिसमें निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी पर लटकाने को लेकर दिशानिर्देश देने की मांग की गई है। लेकिन बता दें अगर इस पर पांच मार्च को अंतिम फैसला अगर नहीं भी आता है तो भी इन्हें चौथे डेथ वारंट में जारी की गई तारीख को फांसी पर लटका दिया जाएगा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में दोषियों को अलग-अगल फांसी देने की जो याचिका दायर है उसके बारे में खुद उच्चतम न्यायालय ने 14 फरवरी के आदेश में कहा था कि इस कोर्ट में कोई याचिका लंबित हो तो उसका असर फांसी की तारीख पर नहीं पड़ेगा।
निर्भया के बाबा ने कही ये बात
बलिया जिले के नरही थाना क्षेत्र में निर्भया के गांव के लोगों में मायूसी छाई है। क्योंकि सोमवार को निर्भया के दरिंदों की तीसरी बार फांसी टलग गई। निर्भया के बाबा ने कहा कि जिस बात की आशंका थी, वही हुआ और आखिरकार पवन गुप्ता के मामले में फिर फांसी टल ही गई। निर्भया के बाबा ने कहा कि फांसी टलने से आज मर्माहत जरूर हैं लेकिन न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। अब पवन गुप्ता का आखिरी दांव भी राष्ट्रपति के यहां बचा है, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इसका निपटारा भी जल्दी हो जाएगा, इसके बाद चारों दरिंदे नहीं बचेंगे।
निर्भया की मां ने कहा मैं हार नहीं मानूंगी, आखिरी दम तक लडूंगी
सोमवार को तीसरी बार फांसी टलने पर निर्भया की मां बिफर पड़ी। निर्भया की मां आशा देवी ने कोर्ट के फैसले पर नाराजगती जातते हुए कहा कि यह सिस्टम और सरकार की नाकामी है। कोर्ट का फैसला लोगों को संदेश दे रहा है कि देश में न्याय व्यवस्था अपराधियों का सपोर्ट करता है। हमारा सिस्टम भी दोषियों के बचाव के लिए हैं। कोर्ट के फैसले और दोषियों की फांसी मे हो रही देरी से नाराज निर्भया की मां ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट, पटियाला कोर्ट और सरकार से पूछना चाहिए कि सभी दोषियों को फांसी कब तक होगी। उन्होंने कहा कि मैं थकी नहीं हुई। मैं तो रोज हारती हूं, लेकिन फिर भी मैं खड़ी हो जाती हूं। उन्होंने कहा कि मैं हार नहीं मानूंगी और आखिरी दम तक लडूंगी। उन्होंने कहा कि मैं दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका कर ही दम लूंगी। उन्होंने कहा कि कोर्ट को दोषियों को फांसी देनी पड़ेगी, क्योंकि अगर उन्होंने बताया है कि संविधान में सजा जैसा कोई प्रावधान है तो निर्भया से ज्यादा भयावह जुर्म और कोई नहीं हो सकता।
फांसी देने के खिलाफ याचिका खारिज
फांसी देने की वैधता की जांच की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दी है। याचिका में अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 354 (5) को चुनौती दी गई थी, जिसके मुताबिक जब किसी भी व्यक्ति को मौत की सजा दी जाती है, तो उसे तब तक गर्दन से लटकाए रखने का प्रावधान है, जब तक उसकी मौत न हो जाए। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे की पीठ ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट पहले तय कर चुका है और मौत की सजा बरकरार रख चुका है। याचिका में कहा गया है कि यह प्रावधान संविधान की मूलभूत संरचना और मौलिक विशेषताओं के खिलाफ है। केरल निवासी 88 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एस परमेश्वरम नमपोथरी द्वारा दायर याचिका में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 354 (5) को खत्म करने की मांग की थी।
फांसी पर लटकाने की हो चुकी थी तैयारी
बता दें तीन मार्च को फांसी दी जानी थी इसलिए इनको फांसी देने के लिए पवन जल्लाद दो दिन पहले ही तिहाड़ जेल तीसरी बार पहुंचा था। जल्लाद के रविवार शाम तिहाड़ जेल में पहुंचने के बाद से ही निर्भया के दोषियों के चेहरे पर मौत का खौफ नजर आने लगा। रविवार रात चारों बेचैन थे और रातभर सेल में चहलकदमी करते रहे।उन्हें इस बात का यकीन नहीं था कि अदालत सोमवार को उनके डेथ वारंट पर रोक लगा देगी। जल्लाद के तिहाड़ जेल पहुंचने के बाद दोषियों के गले का नाप, वजन और लंबाई नापी गई। यह सब अगले दिन होने वाली फांसी के ट्रायल के लिए किया गया। जब यह सब प्रक्रिया चल रही थी तो दोषियों को यकीन हो गया कि 3 मार्च को उन्हें फांसी पर लटका दिया जाएगा। हालांकि डेथ वारंट पर रोक की जानकारी जैसे ही उन्हें मिली तो चेहरे के भाव बदल गए।
क्या होता है डेथ वारंट और कब जारी होता है
दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) का फॉर्म नंबर 42 दोषी को फांसी की सजा का अनिवार्य आदेश है। इसे डेथ वारंट या ब्लैक वारंट कहा जाता है। इसे 'वारंट ऑफ एक्जीक्यूशन ऑफ ए सेंटेंस ऑफ डेथ' भी कहा जाता है। किसी भी अपराधी को जिसे अदालत ने मृत्युदंड दिया है, फांसी से पहले अदालत डेथ वारंट जारी करती है। इस वारंट के बिना किसी भी कैदी को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती। डेथ वारंट फांसी की सजा से 2 हफ्ते पहले जारी किया जाता है। डेथ वारंट जारी करने से पहले जज दोषी या उसके वकील से बात करता है। दोषी को बता दिया जाता है कि उसे फांसी की सजा कब दी जाएगी। इससे वह व्यक्ति जिसे फांसी की सजा दी जा रही है, खुद से मानसिक रूप से इसके लिए तैयार कर लेता है।