अटल के निधन को बताया फांसीवाद का अंत, बिहार के प्रोफेसर की जमकर पिटाई
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद असिस्टैंट प्रोफेसर को उनके बारे में विरोधी राय रखना भारी पड़ा है। प्रोफेसर को कुछ लोगों ने 17 अगस्त को उनकी अटल विरोधी राय की वजह से जमकर पीटा, जिसके बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया है। जानकारी के अनुसार बिहार के मोतिहारी महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले सहायक प्रोफसर संजय कुमार को उनकी फेसबुक पोस्ट की वजह से लोगों ने पिटाई कर दी। पिटाई के बाद 20 अगस्त को संजय को एम्स में भर्ती कराया गया है।
भाजपा के आईटी सेल के सदस्य ने दी धमकी
घटना के बारे में संजय कुमार बताते हैं कि मुझे पूरी तरह से याद नहीं है कि किन-किन लोगों ने मुझे पीटा, मैं बस खुद को बचाने की कोशिश कर रहा था और वो लोग मुझे पीटते जा रहे थे, वो लोग मुझे मार देना चाहते थे। वो मुझे देशद्रोही बताते हुए कह रहे थे कि मैं कन्हैया कुमार बनना चाहता हूं। दरअसल संजय कुमार ने अपने फेसबुक पोस्ट पर अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद लिखा था कि अटल बिहारी के निधन के साथ ही फांसीवाद का अंत हो गया है, जिसके बाद उन्हें धमकी मिली थी। संजय कुमार के फेसबुक पोस्ट पर भाजपा आईटी सेल के सदस्य राजन श्रीवास्तव ने लिखा था कि एमजीसीयूबी के प्रोफेसर महोदय अभी आपने चंपारन वालों का मोहब्बत देखा है, अभ लातखुर्दम देखने का समय आ गया है।
फोन
पर
भी
मिली
धमकी
संजय
कुमार
ने
बताया
कि
जिस
17
अगस्त
को
उन्हें
फोन
पर
धमकी
मिली
और
उसके
कुछ
देर
बाद
ही
कुछ
लोग
मेरे
घर
पर
आए
और
मेरी
पिटाई
शुरू
कर
दी।
संजय
कहते
हैं
कि
मेरे
जो
विचार
हैं
उसमे
मैंने
सम्मान
के
साथ
साथ
व्यक्त
किया
थता,
मैंने
यह
भी
लिखा
था
कि
अटल
स्वर्ग
के
लिए
रवाना
हो
गए
हैं,
उनकी
आत्म
को
शांति
मिले।
मुझे
अपना
विचार
रखने
का
पूरा
अधिकार
है,
मुझे
समझ
नहीं
आता
आखिर
इसपर
इतना
हल्ला
क्यों
हुआ।
निजी
अंगों
को
भी
नहीं
छोड़ा
संजय
बिहार
के
सहरसा
गांव
में
रहते
हैं,
उनका
एक
छह
महीने
का
बेटा
है,
साथ
ही
उनकी
पत्नी
और
मां
भी
उनके
साथ
रहती
हैं।
इस
घटना
के
बारे
में
बिहार
के
उपमुख्यमंत्री
सुशील
कुमार
ने
बताया
कि
मामले
को
बढ़ा
चढ़ाकर
बताया
जा
रहा
है,
मामूली
चोट
को
बड़ा
बताया
जा
रहा
है,
जिससे
कि
मीडिया
और
लेफ्ट
लिबरल
की
सहानुभूति
हासिल
की
जा
सके।
लेकिन
संजय
कुमार
का
कहना
है
कि
मैं
बायीं
आंख
से
दिख
नहीं
रहा
है,
मुझे
हर
वक्त
पीठ
में
दर्द
हो
रहा
है।
उन
लोगों
ने
मेरे
निजी
अंगों
तक
को
नहीं
छोड़ा
है।
विश्वविद्यालय
के
खिलाफ
उठाई
आवाज
कुमार
जोकि
जेएनयू
के
छात्र
रह
चुके
हैं
का
कहना
है
कि
उनपर
यह
हमला
उनके
आंदोलन
की
वजह
से
हुआ
है।
जब
पिछले
वर्ष
दो
शिक्षकों
को
निकाल
दिया
गया
था,
तो
मैंने
खुलकर
इसके
खिलाफ
आवाज
उठाई
थी,
मैंने
प्रशासन
और
यूनिवर्सिटी
में
भ्रष्टाचार
की
बात
को
भी
उठाया
था,
इसी
वजह
से
मुझपर
यह
हमला
हुआ
है,
फेसबुक
पोस्ट
सिर्फ
बहाना
है,
उन्हें
लगता
है
कि
मुझे
पीटकर
वह
मेरे
अंदर
भय
को
बैठा
देंगे।
मैं
सुरक्षित
नहीं
हूं
संजय
कुमार
पर
हमले
के
बाद
यूनिवर्सिटी
को
वीसी
ने
अनिश्चितकाल
के
लिए
बंद
कर
दिया।
जिसपर
संजय
का
कहना
है
कि
यह
भी
मेरे
अभियान
को
रोकने
के
लिए
किया
गया
है,
जब
विश्वविद्यालय
ही
बंद
है
तो
कैसे
लोग
मेरे
समर्थन
में
इकट्टा
होंगे।
वीसी
ने
यह
सबकुछ
भ्रष्टाचार
को
दबाने
के
लिए
किया
है।
उन्होंने
कहा
कि
पुलिस
अपना
काम
नहीं
कर
रही
है,
आखिर
मैं
कैसे
सुरक्षित
महसूस
कर
सकता
हूं,
जबतक
मुझे
पुलिस
सुरक्षा
नहीं
मिलती,
मोतिहारी
में
मैं
सुरक्षित
नहीं
हूं।
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