क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

तीर्थयात्रियों पर हमले के बाद कश्मीर घाटी के लोगों में क्या बदला?

  • तीर्थयात्रियों की बस पर हुए इस हमले में सात लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए.
  • दावा है कि पाकिस्तानी चरमपंथी लश्कर-ए-तैयबा ने इन हमलों को अंजाम दिया था.
  • लेकिन लोकल मीडिया को दिए गए बयान में लश्कर ने आरोपों से इनकार किया.

By बशीर मंजर - श्रीनगर से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
Google Oneindia News
अमरनाथ यात्रा
TAUSEEF MUSTAFA/AFP/Getty Images
अमरनाथ यात्रा

घाटी में अमरनाथ यात्रियों पर हमले के बाद अगले दिन के खामोशी से गुजर जाने पर बहुत से लोगों ने राहत की सांस ली होगी.

दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग में तीर्थयात्रियों की बस पर हुए इस हमले में सात लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए.

अधिकारियों का दावा है कि पाकिस्तानी चरमपंथी अबू इस्माइल के नेतृत्व वाले लश्कर-ए-तैयबा ने इन हमलों को अंजाम दिया था.

लेकिन लोकल मीडिया को दिए गए बयान में लश्कर ने आरोपों से इनकार किया.

'अब अपनों के बीच अकेले दिखते हैं राजनाथ सिंह'

कार्टून: कश्मीरियत पर फेसबुकियत

हिंसा के ख़ि लाफ़

एक ओर जहां निर्दोष और बेकसूर तीर्थयात्रियों के मारे जाने से पूरा देश स्तब्ध है, वहीं पूरी कश्मीर घाटी में भी इसकी गूंज सुनी गई.

राजनेताओं से लेकर आम लोगों ने, प्रोफेसरों से लेकर पत्रकारों तक ने, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से लेकर कारोबारियों तक ने, सभी ने साफ़ शब्दों में इन हमलों की निंदा की.

कश्मीर घाटी
Getty Images
कश्मीर घाटी

हाल ही में देश के कुछ हिस्सों में हुए भीड़ की हिंसा के विरोध में आयोजित किए गए 'नॉट इन माई नेम' कैम्पेन जैसी आवाज़ें घाटी में भी सुनी गईं.

कश्मीरी चाहे किसी भी राजनीतिक विचारधारा के हों, उन्होंने कश्मीर या उसके लोगों के नाम पर हिंसा का नंगा नाच दिखाने वालों को कड़ा संदेश दिया.

कश्मीर: मुठभेड़ में तीन चरमपंथियों की मौत

500 साल पहले मुसलमान ने खोजी थी अमरनाथ गुफा!

अख़बारों की आवाज़

घाटी के अख़बारों ने अपने संपादकीय लेखों में साफ़ लफ्ज़ों में इस चरमपंथी हिंसा की निंदा की. नीचे कुछ उदाहरण हैं कि घाटी के अंग्रेजी और उर्दू अख़बारों की प्रतिक्रियाओं का.

ग्रेटर कश्मीर- 'एक निंदनीय हमला'

कश्मीर इमेजेज- 'नॉट इन माई नेम'

राइजिंग कश्मीर -'साफ़ तौर पर निंदनीय'

डेली आफ़ताब -'इंसानियत का कत्ल'

श्रीनगर टाइम्स -'कश्मीरियत पर कड़ी ज़राब'

जब तक बंदूक चलेगी, बात नहीं होगी: निर्मल सिंह

राजनाथ के इस बयान से विरोधी भी हैं गदगद

आम कश्मीरियों की प्रतिक्रिया

कश्मीर की राजनीति पर नज़र रखने वाले लोगों की राय में अमरनाथ तीर्थयात्रियों की हत्या के ख़िलाफ़ आम कश्मीरियों की प्रतिक्रिया उम्मीद की किरण जैसी है. उन्हें उम्मीद है कि इससे ट्रेंड बदलेगा और हिंसा के ख़िलाफ़ समाज की खामोशी टूटेगी.

कश्मीर यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के एक प्रोफेसर कहते हैं, "कश्मीर में सिविल सोसायटी बहुत बिखरा हुआ है. दूसरी बात ये कि हिंसा की निंदा करते समय समाज की रवैया बहुत सेलेक्टिव रहा है. जून में चरमपंथियों ने छह पुलिसवालों को निर्दयता से मार दिया लेकिन कहीं भी विरोध का कोई सुर सुनाई नहीं दिया."

अनंतनाग हमला केंद्र की नाकामी: संघ

अमरनाथ यात्रियों और मुसलमानों के बीच है भावनात्मक रिश्ता

समाज की खामोशी

वे आगे कहते हैं, "शब-ए-कद्र के मौके पर श्रीनगर के जामिया मस्जिद के बाहर एक पुलिसवाले को क़ातिल भीड़ ने मार डाला, इसकी निंदा भी दबी जबान में की गई. लेकिन इस बार हमने देखा कि लोग हमलों की साफ़ तौर पर निंदा कर रहे हैं. इससे ये लगता है कि एक समाज के तौर पर कश्मीर ने हिंसक घटनाओं की सेलेक्टिव आलोचना के बारे में सोचना शुरू कर दिया है."

प्रोफेसर साहब को उम्मीद है कि कश्मीर की सिविल सोसायटी हिंसा की एक घटना की निंदा और दूसरी घटना को नजरअंदाज करने के बजाय सभी तरह की हिंसा के ख़िलाफ़ स्टैंड लेगी. एक खामोश समाज बिना ये सोचे कि हमलावर कौन है, खुलकर हिंसा के ख़िलाफ़ हिम्मत से आवाज़ उठा सकता है.

क्या कश्मीर का मुद्दा अब फीका पड़ गया है ?

अमरनाथ यात्राः आख़िर सुरक्षा में चूक कहाँ हुई?

विरोध प्रदर्शन

वे कहते हैं कि तीर्थयात्रियों पर हालिया हमले की आलोचना इसी दिशा में एक क़दम है. हालांकि कुछ ऐसे भी प्रेक्षक हैं जो इससे इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते.

मंगलवार को हमले के ख़िलाफ़ श्रीनगर में हुए एक विरोध प्रदर्शन में शरीक होने वाले एक डॉक्टर ने कहा, "एक समाज के तौर पर हम बंटे हुए लोग हैं और इस बंटवारे ने हमें अमानवीय बना दिया है. हम विरोधी की हिंसा की निंदा करते हैं लेकिन उन लोगों की हिंसा को समर्थन देते हैं जिन्हें विचारधारा के स्तर पर अपना करीबी समझते हैं."

अमरनाथ यात्रा: जानिए कि अब तक क्या कुछ हुआ

'ड्राइवर से कहा, तू गाड़ी भगा रोकना मत'

कश्मीर घाटी
Getty Images
कश्मीर घाटी
कश्मीर घाटी
Getty Images
कश्मीर घाटी

दलीलें चाहे जो कुछ भी दी जाएं लेकिन इस बात का ज़िक्र नहीं हो रहा है कि कश्मीरियों ने पहले ही काफ़ी हिंसा देख ली है और मुमकिन है कि इसी वजह से वे एक समाज के तौर पर अंसवेदनशील हो गए हैं.

लेकिन इस बार तीर्थयात्रियों की हत्या के ख़िलाफ़ जिस तरह से वे खुलकर सामने आए हैं, उसे एक सकारात्मक बदलाव कहा जा सकता है और सिविल सोसायटी को इस पर काम करना होगा ताकि हिंसा जैसी भी हो, जिस रूप में भी हो, उसे ख़ारिज किया जाए और उसकी निंदा की जा सके.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
After the attack on pilgrims, what changed the people of the Kashmir Valley?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X