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रोज 25 KM दूर जंगल में जाकर राशन बांट रही ये महिला, 11 साल तक रही नक्सली फिर बनीं विधायक

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हैदराबाद: कोरोना वायरस से तेलंगाना भी बुरी तरह प्रभावित है, जहां अब तक 1400 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। तेलंगाना के कई इलाके ऐसे हैं, जो जंगलों के बीच में बसे हैं, जहां पहुंचने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। ऐसे में इन इलाकों में रहने वाले लोगों को लॉकडाउन में मदद नहीं मिल पा रही थी। अब माओवादी से विधायक बनीं दानसारी अनसूया ने ऐसे लोगों तक मदद पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। वो और उनकी टीम 20-25 किलोमीटर दूर स्थित इलाकों में पैदल ही मदद पहुंचा रहे हैं।

11 साल बाद किया सरेंडर

11 साल बाद किया सरेंडर

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दानसारी अनसूया को लोग सीतक्का के नाम से बुलाते हैं। 80-90 के दशक में उन्होंने माओवादियों का साथ पकड़ लिया था। इस दौरान वो तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा पर राइफल लेकर घूमती रहीं। उसके बाद उन्होंने 1997 में आत्मसमर्पण कर दिया। फिर उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल की और वारंगल जिला अदालत में अभ्यास शुरू कर दिया, लेकिन उनकी किस्मत को कुछ और मंजूर था। 2018 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर मुगुलु से चुनाव लड़ा और 23500 वोटों से जीत दर्ज की। ये दूसरा मौका था जब वो चुनाव जीती थीं।

गरीबों की मदद का उठाया जिम्मा

गरीबों की मदद का उठाया जिम्मा

मार्च में वो पीएचडी करने का मन बना रहीं थी, तभी लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया। 26 मार्च को उनके मुलुगु स्थित कैंप कार्यालय में बड़ी संख्या में लोग मदद की आस में पहुंचने लगे। तब उन्हें एहसास हुआ कि देश में गरीबी और भूख, महामारी से बड़ी समस्या है। उसके बाद उन्होंने गरीबों की मदद करने की ठानी। रिपोर्ट के मुताबिक 14 मई तक उन्होंने अपनी टीम के साथ 475 गांवों को कवर किया। इस दौरान उन्होंने 25000 परिवारों को 70 हजार किलो चावल, 1.10 लाख किलो सब्जियां, 1000 लीटर तेल, 1000 किलोग्राम दाल और 500 किलो नमक की आपूर्ति की है। स्थानीय लोगों के मुताबिक 48 वर्षीय विधायक कभी ट्रैक्टर, तो कभी बैलगाड़ी या फिर कभी मोटरसाइकिल से राहत सामग्री ले जाती नजर आती हैं।

सोशल मीडिया पर शुरू किया अभियान

उन्होंने बताया कि उनके जिले के कुल नौ मंडलों में सात तो जंगली इलाके थे, जिसमें 650 गांव लॉकडाउन के बाद से राज्य के बाकी हिस्से से कट गए थे। इसके बाद उन्होंने फेसबुक और ट्विटर पर ‘GoHungerGo' नाम से अभियान चलाया। जिसमें उन्होंने लोगों से गरीबों की मदद करने की अपील की। जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने विधायक की टीम से संपर्क किया और गरीबों तक मदद पहुंचाई।

कई किलोमीटर चलना पड़ता है पैदल

कई किलोमीटर चलना पड़ता है पैदल

मुलुगु के उप रजिस्ट्रार तस्लीमा मोहम्मद ने बताया कि दूरदराज के इलाके इस लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हैं। कुछ दिनों पहले वो छत्तीसगढ़ की सीमा पर गोदावरी नदी के पास पहाड़ी पर स्थित पेनुगोलु गांव विधायक के साथ गए थे। इस दौरान उन्होंने 16 किलोमीटर का पैदल सफर जंगलों के अंदर से तय किया। इसके बाद उन्होंने वहां पर रह रहे 20 परिवारों को राशन और सब्जियां दी। तस्लीमा के मुताबिक उस गांव में कई सालों से कोई जनप्रतिनिधि नहीं गया था। विधायक के टीम के सदस्यों के मुताबिक लगभग 90 गांवों तक सड़क नहीं हैं। वो रोजोना 7 बजे अपना काम शुरू करते हैं। इस दौरान वो 15-20 किलोमीटर जंगलों में पैदल चलकर लोगों तक मदद पहुंचाते हैं। तब जाकर एक दिन में 20 गांव कवर हो पाते हैं। अब जिले के लोग विधायक की इस पहल का स्वागत कर रहे हैं।

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English summary
after surrender Maoist Danasari Anasuya become MLA, now helping people
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