मायावती का धारा-370 पर मोदी सरकार का समर्थन और विपक्ष पर हमलावर होने के पीछे की माया?
नई दिल्ली- जब से मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने का फैसला किया है, ऐसे कई मौके आए हैं जब बीएसपी सुप्रीम मायावती सरकार के समर्थन में खड़ी दिखाई दी हैं। लेकिन, अब तो वो विपक्षी एकता से मुंह फेरकर कई कदम आगे भी बढ़ने लगी हैं। अब तो उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मसले पर विपक्ष के खिलाफ हमला भी बोलना शुरू कर दिया है। हैरानी की बात तो ये है कि सिर्फ कश्मीर मसले पर ही नहीं, हाल में और भी ऐसे कई मौके आए हैं जब बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो ने विपक्ष को अपने अंदाज में आईना दिखाने से परहेज नहीं किया है। इसको लेकर अब उनपर मोदी-विरोधी खेमे की ओर से आरोप भी लगने शुरू हो गए हैं। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि बीएसपी चीफ की 'माया' अगर बदली है तो उसके पीछे की माया क्या हो सकती है।
कश्मीर जाने वाले विपक्षी नेताओं को लताड़ा
शनिवार
को
कांग्रेस
नेता
राहुल
गांधी
की
अगुवाई
में
कुल
12
विपक्षी
नेताओं
का
एक
प्रतिनिधिमंडल
श्रीनगर
पहुंचा
था।
लेकिन,
जम्मू-कश्मीर
प्रशासन
ने
कानून-व्यवस्था
के
नाम
पर
उस
प्रतिनिधिमंडल
को
एयरपोर्ट
से
निकलने
तक
की
इजाजत
नहीं
दी।
बाद
में
उन
सबको
बिना
अपना
मिशन
कश्मीर
पूरा
किए
बैरंग
वापस
दिल्ली
लौटना
पड़ा।
दिल्ली
वापस
आने
के
बाद
राहुल
गांधी
ने
कहा
कि
घाटी
में
हालात
सामान्य
नहीं
हैं।
हम
कश्मीर
के
हालात
का
जायजा
लेना
चाहते
थे।
इससे
पहले
प्रदेश
प्रशासन
ने
विपक्षी
प्रतिनिधिमंडल
को
श्रीनगर
आने
से
मना
भी
किया
था।
अब
बीएसपी
चीफ
ने
इन
विपक्ष
नेताओं
को
आड़े
हाथों
लिया
है।
मायावती
ने
एक
के
बाद
एक
ट्वीट
करके
विपक्षी
नेताओं
पर
निशाना
साधा
है।
उन्होंने
ट्वीट
किया
है,
"देश
में
संविधान
लागू
होने
के
लगभग
69
वर्षों
के
उपरान्त
इस
धारा
370
की
समाप्ति
के
बाद
अब
वहां
पर
हालात
सामान्य
होने
में
थोड़ा
समय
अवश्य
ही
लगेगा।
इसका
थोड़ा
इंतजार
किया
जाए
तो
बेहतर
है,
जिसको
माननीय
कोर्ट
ने
भी
माना
है।"
अगले
ट्वीट
में
उन्होंने
लिखा
है,
"ऐसे
में
अभी
हाल
ही
में
बिना
अनुमति
के
कांग्रेस
व
अन्य
पार्टियों
के
नेताओं
का
कश्मीर
जाना
क्या
केन्द्र
व
वहां
के
गवर्नर
को
राजनीति
करने
का
मौका
देने
जैसा
इनका
यह
कदम
नहीं
है?
वहां
पर
जाने
से
पहले
इस
पर
भी
थोड़ा
विचार
कर
लिया
जाता,
तो
यह
उचित
होता।"
धारा-370 के विरोध में थे अंबेडकर- माया
संसद के दोनों सदनों में संविधान के आर्टिकल 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्य में बदलने के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन करने के बाद मायावती ने अब उसका कारण भी जाहिर किया है। उनके मुताबिक डॉक्टर बीआर अंबेडकर आर्टिकल 370 के खिलाप थे, इसलिए बीएसपी सांसदों ने संसद में सरकार का समर्थन किया है। बीएसपी अध्यक्ष ने अपने ट्वीट में लिखा है, "जैसा कि विदित है कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता के पक्षधर रहे हैं, इसलिए वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे। इसी खास वजह से बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाए जाने का समर्थन किया।" गौरतलब है कि संसद में इस मुद्दे पर वोटिंग से पहले तक किसी को भी अंदाजा नहीं था कि मायावती मोदी सरकार के समर्थन में इस तरह से डटकर खड़ी हो जाएंगी।
रविदास मंदिर विवाद में भी बदला अंदाज
राजधानी दिल्ली के तुगलकाबाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संत रविदास मंदिर को गिराए जाने के मामले में भी मायावती का रुख डीडीए की कार्रवाई का विरोध करने वाले दूसरे संगठनों से बिल्कुल अलग रहा है। इस मामले में कुछ दलित संगठनों ने जिस तरह की हिंसा फैलाई है, मायावती ने स्पष्ट तौर पर उसका विरोध किया है। दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। लेकिन, मायावती ट्वीट के जरिए कह चुकी हैं कि, " बीएसपी के लोगों द्वारा कानून को अपने हाथ में नहीं लेने की जो परम्परा है वह पूरी तरह से आज भी बरकरार है जबकि दूसरी पार्टियों व संगठनों के लिए यह आम बात है। हमें अपने संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बेकसूर लोगों को किसी भी प्रकार की तकलीफ व क्षति नहीं पहुंचानी है।" अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा, "......दिल्ली के खासकर तुगलकाबाद क्षेत्र में जो तोड़फोड़ आदि की घटनाएं घटित हुई हैं वह अनुचित है तथा उससे बीएसपी का कुछ भी लेना-देना नहीं है। बीएसपी संविधान व कानून का हमेशा सम्मान करती है तथा इस पार्टी का संघर्ष कानून के दायरे में ही रहकर होता है।" मायावती ने आंदोलनकारियों को नसीहत भी दी। उनके अनुसार, "बीएसपी के लोगों को किसी भी अति दुखद घटना के घटने के बाद अगर सरकार कहीं पर धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाती है तो उसका उल्लंघन नहीं करना है व अन्य पार्टियों के नेताओं की तरह घटनास्थल पर जबर्दस्ती नहीं जाना है ताकि सरकार को निरंकुश व द्वेषपूर्ण कार्रवाई करने का मौका नहीं मिल सके।"
सोनभद्र कांड पर भी कांग्रेस-सपा को घेरा
मायावती यूपी के सोनभद्र नरसंहार कांड को लेकर भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर हमला बोल चुकी हैं। पिछले महीने 10 आदिवासियों की हुई इस जघन्य हत्याकांड में उन्होंने सीधा-सीधा इन्हीं दोनों पार्टियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मायावती के मुताबिक, "सोनभद्र काण्ड के पीड़ित आदिवासियों के मुताबिक पहले कांग्रेस व फिर सपा के भू-माफियाओं ने इनकी जमीन हड़प ली, जिसका विरोध करने पर, इनके कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। अब इस घटना को लेकर सपा व कांग्रेस के नेताओं को अपने घड़ियाली आंसू बहाने की बजाय इन्हें वहां पीड़ित आदिवासियों को, उनकी जमीन वापस दिलाने हेतु आगे आना चाहिए तो यह सही होगा।" गौरतलब है कि बीएसपी सुप्रीमो का बयान उसी लाइन पर था, जो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके सहयोगी पहले से ही कहते आ रहे थे।
आर्थिक मोर्चे पर भी सरकार के साथ
पिछले हफ्ते जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की अर्थव्यस्था को लेकर जारी आशंकाओं को दूर करने के लिए कुछ बड़े कदम उठाने का ऐलान किया तब भी मायावती का बयान विपक्षी नेता का कम और सरकार की सहयोगी पार्टी का ज्यादा नजर आ रहा था। इस बार अपने ट्वीट में उन्होंने सरकार की ओर से इकोनॉमी को दिए गए बूस्टर डोज पर अपनी पीठ थपथपाते हुए लिखा, 'देश में भीषण गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, तनाव आदि से पीड़ित करोड़ों जनता को अब आर्थिक मन्दी की मार के खतरे के सम्बंध में 18 अगस्त को बीएसपी की मांग को संज्ञान में लेकर केन्द्र ने कुछ जरूरी कदम उठाए हैं जो अच्छी बात है पर यह काफी नहीं। केन्द्र को अभी निश्चिन्त नहीं हो जाना चाहिए।'
माया पर विपक्ष का आरोप
लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने जिस तरह से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को झटका दिया है और अब मोदी सरकार के ज्यादातर कदमों का समर्थन कर रही हैं, उसको लेकर कुछ मोदी-विरोधी विचारधारा के लोग उनपर सवाल भी उठाने लगे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ लोग लिख रहे हैं कि वे सीबीआई के डर से ऐसा कर रही हैं। गौरतलब है कि मायावती के भाई आनंद कुमार पहले से ही केंद्रीय एजेंसियों की रडार पर हैं। उनकी करोड़ों रुपये की कुछ बेनामी संपत्तियां जब्त भी की गई हैं। लेकिन, कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मायावती सियासत की धुरंधर खिलाड़ी हैं। वो कोई भी ऐसा जोखिम नहीं लेना चाहतीं, जो उन्हें देश की जनभावना से दूर कर दे। खासकर पिछले तीन चुनावों से लगातार उत्तर प्रदेश में जिस तरह से पीएम मोदी का प्रभाव दिखा है, शायद मायावती उसके ठीक विपरीत धारा में बहने का खतरा मोल नहीं लेना चाहतीं। क्योंकि, उनके मन में 2007 का उनका नारा अभी भी बुलंद है- 'ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा।'