मध्य प्रदेश के बाद क्या पश्चिम बंगाल में भी ऑपरेशन लोटस? भाजपा नेता के ट्वीट से मची सियासी हलचल
नई दिल्ली। लंबे समय से कांग्रेस का हिस्सा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए हैं। जिससे मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार संकट में पड़ गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्योतिरादित्य के पार्टी से इस्तीफा देने के साथ ही 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया। अब माना जा रहा है कि ऐसा ही कुछ पश्चिम बंगाल में भी हो सकता है। दरअसल 2 मार्च को ममता बनर्जी की अध्यक्षता में प्रशांत किशोर की एक बैठक हुई थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कई नेता शामिल नहीं हुए।
बैठक में नहीं आए कई नेता
पार्टी से जुड़े सूत्रों का दावा है कि कुछ नेता वास्तविक कारणों के चलते बैठक में नहीं आ सके। जबकि इनमें से एक ने मुख्यमंत्री और पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी से कहा कि वह उनके अलावा किसी अन्य का आदेश नहीं मानेंगे। इस बीच भाजपा नेता अनुपम हजरा ने भी ट्वीट कर इस बात की हिंट दी कि जो हालात इस वक्त मध्यप्रदेश में हैं, वैसी ही स्थिति पश्चिम बंगाल में भी बन रही है।
हजरा ने ट्वीट में क्या कहा?
हजरा ने ट्वीट कर कहा, 'ऐसी रिपोर्ट हैं कि कांग्रेस नेतृत्व ने ज्योतिरादित्य से संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाए। फिर उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। मुझे ऐसा लग रहा है कि अब दीदी (ममता बनर्जी) को यह देखना चाहिए कि क्या वह सुवेंदु अधिकारी (टीएमसी नेता) से फोन पर बात कर रही हैं या नहीं।' अधिकारी के भाजपा में शामिल होने के सवाल पर भाजपा के राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, 'भाजपा में शामिल होने का मौसम चल रहा है। अगर कोई पार्टी से जुड़ना चाहता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।' वहीं भाजपा सांसद सुकंता मजूमदार का कहना है कि कुछ टीएमसी नेता भाजपा के संपर्क में भी हैं।
मजूमदार ने क्या कहा?
मजूमदार ने कहा, 'मैं ये बीते छह साल से सुन रहा हूं। जब भी वो (टीएमसी नेता) अपनी पार्टी में किसी परेशानी का सामना करते हैं, तब रिपोर्ट आती हैं कि वो भाजपा में शामिल हो रहे हैं। एक बार फिर, मैं ये कह रहा हूं कि अगर कोई भाजपा में शामिल होना चाहता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।' बीते साल भी कई नेताओं ने लोकसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की थी। तब बनर्जी ने 42 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी।
कुछ नेताओं ने जताई थी नाराजगी
बनर्जी ने 18 नए चेहरों को शामिल करने के लिए 10 तत्कालीन सांसदों को सूची से हटा दिया था। जिसके बाद कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने की बातें कही गईं। बनर्जी ने पहले भी कई मौकों पर पार्टी नेताओं को अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है, अगर वह भाजपा और वामपंथी दलों के संपर्क में पाए जाते हैं।