आइसोलेशन से बाहर आने के बाद सुपर एक्टिव NSA डोवाल, 2 घंटे तक हुई चीन के विदेश मंत्री से वीडियो कॉल पर बात
नई
दिल्ली।
राष्ट्रीय
सुरक्षा
सलाहकार
(एनएसए)
अजित
डोवाल
ने
रविवार
को
वीडियो
कॉल
की
मदद
से
चीन
के
विदेश
मंत्री
और
स्टेट
काउंसिलर
वांग
वाई
से
बात
की
है।
सूत्रों
की
ओर
से
कहा
गया
है
कि
यह
वार्ता
अच्छे
माहौल
में
हुई
है
और
इसे
आगे
बढ़ाया
जाएगा।
एनएसए
डोवाल
और
चीनी
विदेश
मंत्री
वांग
वाई
के
बीच
वीडियो
कॉल
पर
बात
होने
की
खबर
ऐसे
समय
आई
है
जब
लद्दाख
में
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
(पीएलए)
के
जवानों
का
पीछे
हटना
शुरू
हुआ
है।
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73 दिन बाद डोवाल ने सुलझाया डोकलाम विवाद
जून 2017 में जब भारत और चीन के बीच डोकलाम में टकराव शुरू हुआ था तो उस समय भी डोवाल एक्टिव हुए थे। सोमवार को जो खबरें आई हैं उसके मुताबिक अजित डोवाल और चीनी विदेश मंत्री वांग वाई के बीच दो घंटे तक रविवार को वीडियो कॉल पर बात हुई है। इसी कॉल के बाद ही लद्दाख से पीएलए के जवानों के पीछे हटने की खबरें आई हैं। पूर्वी लद्दाख में चार बिंदुओं पर जारी टकराव के बीच ही चीन की तरफ से पहली सकारात्मक खबर आई है। बताया गया है कि एनएसए डोवाल और चीनी विदेश मंत्री के बीच जो बात हुई है उसमें इस बात पर ध्यान दिया गया है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर पूरी तरह से शांति और स्थिरता को बहाल किया जाए। दोनों पक्षों की तरफ से साथ मिलकर काम करने पर भी जोर दिया गया है ताकि आने वाले समय में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
सेल्फ आइसोलेशन से लौट हैं डोवाल
एनएसए डोवाल पिछले दिनों 14 दिनों के सेल्फ आइसोलेशन से बाहर आए हैं। शुक्रवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबको चौंकाते हुए लेह पहुंचे थे तो इसके पीछे भी डोवाल का ही मास्टरमाइंड था।विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि एनएसए डोवाल और मिनिस्टर वांग के बीच सीमा से जुड़े मसलों पर चर्चा हुई है। दोनों के बीच एक खुले और सकारात्मक माहौल में भारत-चीन के बॉर्डर के पश्चिमी सेक्टर में हाल ही में हुए घटनाक्रमों पर बातचीत हुई। दोनों के बीच हुई इस वार्ता की पहली झलक भी 6 जून को यानी लद्दाख में टकराव शुरू होने के दो माह बाद नजर आने लगी है। गलवान में दोनों देशों के जवान करीब दो किलोमीटर तक पीछे हटे हैं। पांच मई को जब लद्दाख में चीन के साथ नए संकट की शुरुआत हुई तो एक बार फिर पीएम मोदी ने अपनी उसी टीम पर भरोसा किया जिसने 73 दिन बाद डोकलाम विवाद कसे सुलझाने में सफलता हासिल की थी।
इस बार स्थितियां मुश्किल और चुनौतियां बड़ी
इस बार चुनौती डोकलाम से ज्यादा बड़ी है और मई माह में पीएम मोदी ने इन हालातों पर एक मीटिंग की थी। इस बार मीटिंग में वही लोग शामिल हुए जो तीन साल पहले इसी तरह के हालातों से कैसे जूझे, इस बारे में पीएम मोदी को सलाह दे रहे थे। जून 2017 में डोकलाम में एक निर्माण कार्य की वजह से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। इस बार भी किस्सा वही है बस जगह बदल गई है। लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर में एक पुल का निर्माण हो रहा है। चीन को डर लग रहा है कि यह पुल अक्साई चिन में स्थित ल्हासा-काश्गर हाइवे को खतरा पैदा कर सकता है। इस पुल के निर्माण में भारतीय सेना के उन जवानों को ही तैनात किया गया है जो चीन के कब्जे वाले तिब्बत के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं।
वाजपेयी के 'चहेते' डोवाल बने उनके आइडिया का हिस्सा
एलएसी पर हालात सामान्य करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उस तरीके को अपनाने का फैसला किया है जिसकी शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। सरकार अब स्पेशल रिप्रजेंटेटिव (एसआर) मंत्र को फिर से एक्टिव करने का मन बना चुकी है। इसकी शुरुआत वाजपेयी के कार्यकाल में बॉर्डर पर मुश्किल हालातों को सुलझाने के मकसद से ही की गई थी। एसआर तंत्र के तहत पीएम मोदी को राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर सलाह देने वाले एनएसए अजित डोवाल को बड़ा जिम्मा दिया जाएगा। डोवाल अपने चीनी समकक्ष के अलावा चीन के विदेश मंत्री वांग वाई से वार्ता कर सकते हैं। इस वार्ता का एकमात्र लक्ष्य डिएस्केलशन प्रक्रिया को शुरू करना और स्थिति को सामान्य करना होगा। एनएसए डोवाल, वाजपेयी के भी फेवरिट रहे हैं।
साल 2017 में डोवाल ने किया हस्तक्षेप
विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी एसआर मैकेनिज्म में शामिल किया गया है। चीनी मामलों के जानकारी जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग वाई से इस मसले पर बात की है। सूत्रों के मुताबिक मसला को जल्द से जल्द हल करना है तो फिर भारत सरकार को अपने उच्च स्तर पर चीन के साथ संपर्क करना होगा। चीन में स्टेट काउंसिलर का पद विदेश मंत्री से ज्यादा बड़ा होता है। लेकिन भारत में जयशंकर और डोवाल दोनों एक ही स्तर पर हैं और दोनों के पास कैबिनेट मंत्री का दर्जा है। साल 2017 में भी जब डोकलाम विवाद हुआ था तो चीन के स्टेट काउंसिलर यांग जेइछी स्पेशल रिप्रजेंटेटिव थे। वहीं वांग वाई उसके बाद स्टेट काउंसिलर बने और अब उनके पास साल 2017 की तुलना में कहीं ज्यादा ताकत है।