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बीएसपी में मायावती के बाद नंबर-2 पर कौन....सतीश मिश्रा, भाई आनंद या भतीजा आकाश ?

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नई दिल्ली- 2007 में मायावती को उत्तर प्रदेश की सत्ता तक पहुंचाने में बीएसपी के ब्राह्मण चेहरे सतीश चंद्र मिश्रा की बहुत बड़ी भूमिका रही थी। तब 'दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण' फॉर्मूले ने मायावती को कामयाबी दिलाई थी। 2022 के लिए मायावती ने जिस तरह से अखिलेश यादव को झटका दिया है, उससे भी यही लगता है कि वह लोकसभा चुनावों में मुस्लिमों का समर्थन मिलने के बाद फिर से कुछ वैसा ही मंसूबा पाल रही हैं। लेकिन, जिस तरह से बहनजी ने अपनी पार्टी में अचानक अपने भाई-भतीजे के अलावा एक और दलित चेहरे को टॉप पोस्ट पर नवाजा है, उसके बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि बीएसपी सुप्रीमो के बाद अब पार्टी में नंबर दो माने जाने वाला पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा का स्थान कहां है? पार्टी के अंदरखाने यह चर्चा उठना लाजिमी है कि बहनजी के बाद अब किसका सिक्का चलेगा? सतीश चंद्र मिश्रा का या आनंद कुमार और आकाश आनंद का?

2022 के लिए 2007 वाली रणनीति

2022 के लिए 2007 वाली रणनीति

2019 में पश्चिम यूपी की सीटों पर जिस तरह से मुसलमानों ने बीएसपी को समर्थन दिया है, उसके बाद लगता है कि मायावती ने 2007 के फॉर्मूले को अपनाना ही आगे के लिए बेहतर समझा है। उनके दिमाग में यह सब कैसे चल रहा है, इसका अंदाज उनके कुछ फैसलों से लगाया जा सकता है। उन्होंने जेडीएस छोड़कर आए अमरोहा से अपने सांसद दानिश अली को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त कर दिया है। वह पार्टी के मुस्लिम फेस नसीमुद्दीन सिद्दीकी के रिप्लेसमेंट माने जा रहे हैं, जो अब कांग्रेस में जा चुके हैं। मायावती ने यह भी कहा है कि समाजवादी पार्टी ने उन्हें मुसलमानों को टिकट देने से रोकने की कोशिश की थी। यानी वह बीजेपी के खिलाफ मुस्लिम वोट बैंक का खुद को एकमात्र दावेदार बताना चाह रही हैं। इसी बीच उन्होंने अपने परिवार के दो सदस्यों और एक अन्य दलित चेहरे को पार्टी में अपने बाद बड़ा ओहदा देकर यह भी साबित करने की कोशिश की है कि वह मुस्लिमों और दलितों का गठबंधन चाहती हैं। लेकिन, इसके साथ ही उन्होंने सतीश चंद्र मिश्रा को फिर से 'भाईचारा समितियां' शुरू करने की जिम्मेदारी भी सौंप दी है। इस आइडिया ने 2007 में उनके हक में बहुत काम किया था। यानी मिश्रा की जिम्मेदारी है कि वह 2022 के लिए भी 'दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण' फॉर्मूले को बहनजी के पक्ष में जुटाने की कोशिश करें। लेकिन, बदले माहौल में पार्टी में मिश्रा का दबदबा कितना रहेगा, सवाल तो ये उठ रहे हैं।

बीएसपी में नंबर-2 को लेकर क्यों उठी है चर्चा?

बीएसपी में नंबर-2 को लेकर क्यों उठी है चर्चा?

अब तक बीएसपी में मायावती के बाद राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा का ही सिक्का चलता था। पार्टी में बहनजी के बाद उनकी ही तूती बोलती थी। लेकिन उब बहनजी ने ही अपने भाई और भतीजे को उनके समकक्ष लाकर उनके इस ओहदे पर सवालिया निशान लगा दिया है। माया ने अपने भाई एवं आय से अधिक संपत्ति के आरोप झेल रहे आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष और लंदन से मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुके भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय संयोजक बनाया है। इनके अलावा पार्टी के एक और दलित चेहरे रामजी गौतम को भी आकाश की तरह ही राष्ट्रीय संयोजक नियुक्त किया गया है। यानी पार्टी में 4 टॉप पोस्ट पर परिवार और दलितों का वर्चस्व कायम हो चुका है। इसमें सतीश चंद्र मिश्रा अपने लिए कौन सा स्थान सुरक्षित समझेंगे?

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क्या संकेत देना चाहती हैं मायावती?

क्या संकेत देना चाहती हैं मायावती?

ऐसा नहीं है कि मायावती के फैसले पर सिर्फ पार्टी से बाहर के लोग सवाल पूछ रहे हैं। पार्टी के अंदर भी इसको लेकर चर्चा हो रही है, लेकिन खबरों के मुताबिक कोई खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं जुटा रहा है। पार्टी में कुछ लोग पहले भी सतीश मिश्रा के बढ़ते दबदबे के कारण उन्हें निशाने पर ले रहे थे। हालांकि, फिलहाल बीएसपी अध्यक्ष ने मिश्रा को पार्टी का मजबूत स्तंभ बताकर और 'भाईचारा कमिटी' की जिम्मेदारी देकर नेताओं को सुधर जाने की नसीहत देकर शांत कराने की कोशिश की है। लेकिन, आज नहीं तो कल यह सवाल उनके सामने भी जरूर उठने वाला है कि बहनजी के बाद नंबर- 2 कौन?

सतीश मिश्रा का नंबर-2 पर बने रहने में ये है मुश्किल

सतीश मिश्रा का नंबर-2 पर बने रहने में ये है मुश्किल

बीएसपी में कभी बाबू सिंह कुशवाहा और कभी नसीमुद्दीन सिद्दीकी मायावती के सबसे करीबी माने जाते थे। तब सतीश मिश्रा की तरह पार्टी के सभी बड़े फैसलों में उनका भी रोल रहता था। लेकिन, यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि जब भी बसपा में किसी नेता का कद जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगता है, तो बहनजी उसका पर कतरना भी बखूबी जानती हैं। कुशवाहा और सिद्दीकी दोनों की छुट्टी कर दी गई। पिछले 12 साल से सतीश मिश्रा बीएसपी सुप्रीमो के सबसे करीब हैं। राज्यसभा से माया के इस्तीफे के बाद वहां भी पार्टी के नेता हैं। लेकिन, अब अगर पार्टी में आनंद कुमार और आकाश आनंद आधिकारिक तौर पर मायावती के करीब रहेंगे, तो सतीश चंद्र मिश्रा अपनी जगह बचाए रख सकेंगे? इसका जवाब खुद उनके पास भी नहीं होगा।

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English summary
After Mayawati who is number two in BSP, Satish Mishra, brother Anand or nephew Akash
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