महाराष्ट्र में शिवसेना से बिगड़े संबंध के बाद अन्य सहयोगी दलों ने भाजपा के सामने रखी ये मांग
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जिस तरह से तकरीबन तीन दशक का भाजपा-शिवसेना का गठबंधन टूट गया उसके बाद एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के भीतर भी बगावती सुर उठने लगे हैं। एनडीए के अन्य सहयोगी दलों ने सम्मान व बेहतर समन्वय की मांग की है। बिहार में एनडीए के सहयोगी दल जदयू और पंजाब में एनडीए के सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से नई मांग सामने रखी है। शिरोमणि अकाली दल के नेता और राज्य सभा सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि एक समय ऐसा था जब कोई भी भाजपा के साथ गठबंधन में नहीं था और उस समय भी शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल भाजपा के साथ थे। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि जब आप पूर्ण बहुमत हासिल कर लें तो आप अपने सहयोगी दलों को कम महत्व दें। हर किसी का आत्मसम्मान होता है और ये नेता अपने लिहाज से सही हैं। गठबंधन के हर सहयोगी को यह उम्मीद है कि उसके साथ समानता का व्यवहार किया जाए और उन्हें सम्मान दिया जाए। गुजराल ने कहा कि वाजपेयी जी और आडवाणी जी की यही ताकत थी।
जदयू ने भी रखी मांग
जदयू के जनरल सेक्रेटरी केसी त्यागी ने कहा कि अच्छा होता अगर भाजपा, जदयू, एलजेपी ने एक साथ मिलकर झारखंड में चुनाव लड़ा होता। ऐसा लगता है कि गठबंधन में सामंजस्य नहीं है। त्यागी ने शिकायत की है कि ऐसा लगता है कि यह एनडीए नहीं है, बल्कि अलग अलग पार्टियों के साथ भाजपा का अलग-अलग गठबंधन है। त्यागी ने कहा कि हमे नहीं पता है कि भाजपा और शिवसेना या फिर भाजपा व ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के बीच क्या हुआ है। हम काफी लंबे समय से कोऑर्डिनेशन कमेटी के गठन की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन इस तरह का मंच जरूर होना चाहिए जहां हम लोग अपने राजनीतिक व वैचारिक विचारों को साझा कर सके।
झारखंड में एनडीए से अलग हुई एलजेपी
बता दें कि झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में एलजेपी को एनडीए ने 6 सीटें दी हैं, जिससे नाराज एनलजेपी ने एनडीए से अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। एलजेपी यहां अलग चुनाव लड़ेगी और 50 उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। देवघर पहुंचे एलजेपी नेता चिराग पासवान ने कहा कि हम एनडीए के साथ ही चुनाव लड़ना चाहते थे, हमने जरमुंडी, नाला, हुसैनाबाद, बड़कागांव में छह सीटों की मांग की थी। लेकिन हमारी मांग को स्वीकार नहीं किया गया, जिसके बाद हमने फैसला लिया है कि हम एनडीए से अलग झारखंड में चुनाव लड़ेंगे, लेकिन केंद्र में हम एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे।
महाराष्ट्र में बिगड़ा साथ
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में भाजपा शिवसेना ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद शिवसेना प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की मांग करने लगी। जिसके बाद शिवसेना ने एनडीए से अपना गठबंधन खत्म कर लिया और प्रदेश में एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है।