कहां गायब हैं तेजस्वी यादव? क्या बर्दाश्त नहीं कर पा रहे चुनावी हार का सदमा ?
पटना। क्या तेजस्वी यादव चुनाव में राजद की करारी हार के बाद बिल्कुल टूट गये हैं? क्या हार बर्दाश्त नहीं कर पाने की वजह से वे किसी का सामना नहीं करना चाहते ? या फिर पार्टी में उनका रुतबा खत्म हो गया है? क्या राजद की कमान अब राबड़ी देवी ने संभाल ली है? दरअसल ये सवाल इस लिए पूछे जा रहे हैं क्यों कि तेजस्वी यादव का पिछले कई दिनों से अता-पता नहीं है। वे कहां हैं, क्या कर रहे हैं और पटना से क्यों बाहर हैं? इन सवालों का जवाब राजद के नेता भी नहीं दे पा रहे है।
निमंत्रण पत्र से तेजस्वी का नाम गायब
बीते रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने पटना स्थित अपने सरकारी आवास पर इफ्तार पार्टी आयोजित की थी। इस दावत के लिए जो निमंत्रण पत्र छपा था उसमें केवल राबड़ी देवी का नाम था। तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव का नाम निमंत्रण पत्र से गायब था। इसके बाद ये अटकलें लगायी जाने लगी कि तेजस्वी और तेज प्रताप के झगड़े के बाद पार्टी की कमान राबड़ी देवी ने संभाल ली है। राजद के बड़े नेताओं ने राबड़ी-लालू से शिकायत की थी कि घरेलू झगड़े की वजह से पार्टी को चुनाव में बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। इस शिकायत के बाद निमंत्रण पत्र वाली घटना हो गयी। इस इफ्तार पार्टी में शामिल होने के लिए अरसे बाद तेजप्रताप यादव राबड़ी आवास पहुंचे थे। वे पिछले छह महीने से अलग रह रहे हैं। लेकिन इस मौके पर तेजस्वी यादव का कहीं अता पता नहीं था। तेजप्रताप का आना और तेजस्वी का गायब रहना, खटकने वाली बात थी। उस पर तुर्रा ये कि तेजप्रताप ने तेजस्वी के गायब रहने पर तंज भी कस दिया। मीडियाकर्मियों ने जब तेजप्रताप से कहा गया कि तेजस्वी दिल्ली में हैं और बीमार हैं, इस लिए दावत में नहीं आये। तो इस पर तेज प्रताप ने कहा कि मैं भी बीमार हूं लेकिन यहां मौजूद हूं। फिर तो ये चर्चा चल पड़ी कि चुनावी हार ने तेजस्वी की हैसियत कम कर दी है। हालांकि राबड़ी देवी ने ऐसी किसी भी बात से इंकार किया है।
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तेजस्वी की कम हुई हैसियत
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद गठबंधन के घटक दल तेजस्वी को नेता मानने से इंकार कर रहे हैं। हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि तेजस्वी राजद के नेता हैं, महागठबंधन के नहीं। कांग्रेस ने भी तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाये। तेजप्रताप यादव ने भी कहा था कि जिन लोगों ने टिकट बांटा है वे राजद की हार की जिम्मेवारी लें। इस तरह तेजस्वी अपनी पार्टी और महागठबंधन में में अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। हालांकि अब जीतन राम मांझी ने रंग बदलते हुए फिर राजद से मेलजोल बढ़ा लिया है। वे नीतीश को महागठबंधन में लाने के लिए खूब भाग-दौड़ कर रहे हैं। तो क्या यह माना जाय कि राजद अब तेजस्वी को सीएम इन वेटिंग नहीं मान रहा है। लालू और राबड़ी क्ई बार यह कह चुके हैं कि हर हाल में तेजस्वी ही उनके सीएम उम्मीदवार होंगे। तो फिर नीतीश को महागठबंधन में बुलाने की आपाधापी क्यों ? अगर खुदा न खास्ते नीतीश आ गये तो तेजस्वी का क्या होगा ?
कहां हैं तेजस्वी?
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद तेजस्वी करीब सात दिनों तक ओझल रहे। रिजल्ट के सात दिनों के बाद वे मीडिया से रू-ब-रू हुए और कहा कि एक चुनाव हार जाने के सब कुछ खत्म नहीं हो जाता। हम और मुस्तैदी से चुनाव लड़ेंगे। महागठबंधन को भी एकजुट बताया। लेकिन इसके बाद तेजस्वी यादव पटना में नहीं दिखे हैं। कोई कहता है कि वे दिल्ली में हैं। कोई कहता है कि वे किसी खास स्थान पर छुट्टियां मना रहे हैं। इस पर भाजपा और जदयू ने तेजस्वी पर खूब चुटकी ली है। जदयू ने कहा है कि तेजस्वी हार बर्दाश्त नहीं कर पाये हैं इस लिए लोगों से नजरें चुरा रहे हैं। हद ते ये है कि उनकी पार्टी को भी ये पता नहीं है कि वे कहां हैं ? विरोधी तंज कस रहे हैं कि राजद समर्थक उन्हें लालटेन लेकर खोज रहे हैं। भाजपा ने तेजस्वी को पार्ट टाइम पोलिटिशिन कहा है। तेजस्वी को हार के बाद उसके कारणों की समीक्षा करनी चाहिए थी लेकिन वे तो गर्मी की छुट्टियां मना रहे हैं। ऐसे लोग जब पार्टी की चिंता नहीं कर रहे तो राज्य की चिंता क्या करेंगे। एनडीए के नेताओं ने तेजस्वी की तुलना राहुल गांधी से की है । तेजस्वी भी राहुल गांधी की तरह चुनाव के बाद छुट्टियां मनाने बाहर चले गये हैं। पिछले साल भी तेजस्वी कुछ दिनों के लिए इसी तरह पटना से गायब हुए थे। तब यह चर्चा चली थी कि वे होलीडे पर विदेश गये हैं।