जेएनयू में हिंसा के बाद बोले IISc बेंगलुरु के छात्र- कौन कह सकता है कि आगे ऐसा हमारे संस्थान में नहीं होगा?
बेंगलुरु। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 5 जनवरी को नकाबपोश हमलावरों ने छात्रों और शिक्षकों की पिटाई कर दी थी, जिसके बाद से इस मामले को लेकर देश के कई विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं, जेएनयू में हिंसा की घटना के बाद अब बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) के नोटिस बोर्ड पर एक पोस्टर चिपकाया गया है।
आईआईएससी में जेएनयू हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन
इस पोस्टर पर लिखा गया है, 'अगर आप अन्याय के वक्त तटस्थ हैं तो आपने उत्पीड़न करने वाले का पक्ष चुना है।' व्हाट्सऐप सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ये मैसेज वायरल हो रहा है जिसमें छात्रों से अपील की है कि वे 'जेएनयू में राज्य प्रायोजित हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन' में शामिल हों। बता दें कि जेएनयू हिंसा का कई यूनिवर्सिटी में विरोध हुआ है और आईआईएससी में भी घटना वाले दिन शिक्षकों और छात्रों के एक वर्ग ने कैंपस में विरोध दर्ज कराया।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने क्या कहा?
आईआईएससी में राजनीतिक बयानबाजी और विरोध प्रदर्शन बहुत ही कम देखने को मिलता है, ये देश का प्रमुख विज्ञान संस्थान है। आईआईएससी में कोई छात्र इकाई नहीं है क्योंकि यहां कोई छात्र संगठन नहीं है। कुछ छात्रों ने 'सीमा रेखा पार हो चुकी है', ऐसा मानते हुए ये कदम उठाया। एक प्रदर्शनकारी छात्र ने कहा कि ये उस विश्वविद्यालय पर फासीवादी हमला था जहां गरीब छात्रों को शिक्षा मिलती है। इस छात्र ने कहा, 'हमारा कर्तव्य है कि बतौर नागरिक हम आवाज उठाएं। कौन कह सकता है कि आगे ऐसा आईआईएससी में नहीं होगा?'
400 छात्र विरोध प्रदर्शन में हुए शामिल
बताया जा रहा है कि करीब 400 छात्र इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल साइंस के प्रोफेसर सुव्रत राजू ने मार्च की अगुवाई की। प्रोफेसर ने कहा, 'ये अभूतपूर्व था, मैंने कभी भी आईआईएससी के छात्रों को ऐसे मुखर होते नहीं देखा। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जेएनयू में जो हमले हुए हैं, वे हैरान करने वाले हैं। ये विरोध उसे मापने का एक पैमाना भर है।' बता दें कि जेएनयू मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है लेकिन अभी तक किसी हमलावर की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिसको लेकर छात्रों में रोष व्याप्त है।