लोकसभा चुनाव में हार के बाद मध्य प्रदेश सरकार बचाने में जुटी कांग्रेस, मंत्रियों को मिला खुफिया टास्क
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस पार्टी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है उसके बाद पार्टी मध्य प्रदेश में अपनी सरकार को बचाने में जुट गई है। सूत्रों की मानें तो पार्टी की ओर से हर मंत्री को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह 5-5 विधायकों पर पैनी नजर रखें। रविवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तमाम मंत्रियों से मुलाकात की, जिसके बाद उन्होंने विधायक दल के संग भी बैठक की। इस दौरान तमाम मंत्रियों से कहा गया कि वह 5-5 विधायकों पर नजर रखें।
कमलनाथ
ने
दी
जिम्मेदारी
बैठक
में
शामिल
पार्टी
के
एक
आला
नेता
ने
बताया
कि
कमलनाथ
ने
तमाम
मंत्रियों
को
सावधान
रहने
को
कहा
है,
साथ
ही
निर्देश
दिया
है
कि
किसी
भी
तरह
की
साजिश
को
नाकाम
करने
के
लिए
पूरी
तरह
से
अलर्ट
रहिए।
बता
दें
कि
चुनाव
नतीजों
के
बाद
कमलनाथ
ने
प्रदेश
कांग्रेस
अध्यक्ष
के
पद
से
इस्तीफे
का
पेशकश
की
थी।
उन्होंने
कहा
था
कि
अब
उनके
उपर
भार
काफी
बढ़
गया
है।
वहीं
जिस
तरह
से
कांग्रेस
की
वर्किंग
कमेटी
में
राहुल
गांधी
ने
कमलनाथ
सहित
अन्य
नेताओं
पर
आरोप
लगाया
कि
इन
लोगों
ने
पार्टी
की
बजाए
अपने
बेटों
को
आगे
बढ़ाने
पर
ध्यान
दिया
है।
राहुल
के
इस
बयान
पर
कमलनाथ
ने
कहा
कि
उन्होंने
इस
तरह
का
बयान
नहीं
दिया
है
और
पार्टी
इसपर
जल्द
ही
स्पष्टीकरण
देगी।
पार्टी
से
उपर
बेटों
को
रखा
गया
कांग्रेस
की
वर्किंग
कमेटी
की
बैठक
हार
की
समीक्षा
के
लि
बुलाई
गई
थी।
इस
दौरान
राहुल
गांधी
ने
वरिष्ठ
नेताओं
के
खिलाफ
नाराजगी
जाहिर
करते
हुए
कहा
कि
उन्होंने
पार्टी
हित
से
उफर
अपने
बेटों
को
टिकट
दिलवाना
रखा।
राहुल
ने
आरोप
लगाया
कि
अपने
बेटों
को
टिकट
दिलाने
के
लिए
इन
नेताओं
ने
जोर
लगाया।
दरअसल
जब
बैठक
के
दौरान
ज्योतिरादित्य
सिंधिया
ने
कहा
कि
स्थानीय
नेताओं
को
तैयार
करना
चाहिए,
इसपर
राहुल
गांधी
ने
वरिष्ठ
नेताओं
के
खिलाफ
नाराजगी
जाहिर
की।
राहुल
ने
जमकर
निकाली
भड़ास
राहुल
ने
कहा
कि
मुख्यमंत्री
अशोक
गहलोत,
मध्य
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
कमलनाथ,
पूर्व
केंद्रीय
मंत्री
पी
चिदंबरम
ने
अपने
बेटों
को
टिकट
दिलाने
के
लिए
जोर
लगाया।
उन
राज्यों
में
भी
पार्टी
का
प्रदर्शन
खराब
रहा
जहां
पर
कांग्रेस
की
सरकार
है।
राहुल
ने
कहा
कि
मैं
इन
नेताओं
के
बेटों
को
टिकट
दिए
जाने
के
पक्ष
में
नहीं
था।
उन्होंने
कहा
कि
चुनाव
प्रचार
के
दौरान
जिन
मुद्दों
को
आगे
बढ़ाकर
भाजपा
और
पीएम
मोदी
के
खिलाफ
प्रचार
करना
था
उसे
लेकर
नेताओं
में
आम
राय
नहीं
बन
सकी।