छत्तीसगढ़: बसपा के बाद अब गोंगपा ने भी कांग्रेस से किया किनारा, 14 सीटों पर पड़ेगा प्रभाव
रायपुर। छत्तीसगढ़ में किसी भी राजनीतिक दल को कांग्रेस का साथ पसंद नहीं आ रहा है तभी तो बसपा के बाद अब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी कांग्रेस का दामन ठुकरा दिया है। कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका लगा है। गोंगपा के महासचिव लाल बहादुर कोर्राम ने बताया कि मरकाम ने दिल्ली में ही दूसरे आदिवासी संगठनों से चर्चा की है। उसके बाद यह तय किया कि कांग्रेस सम्मानजनक सीटें नहीं दे रही है। इस कारण राहुल से मिलने का औचित्य ही नहीं समझा।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी औऱ कांग्रेस के गठबंधन नहीं होने पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता शिवरतन शर्मा ने कहा कि गठबंधन पर चर्चा करने के लिए गोंगपा के राष्ट्रीय महासचिव श्यामसिंह मरकाम व दीगर नेताओं को दिल्ली बुलाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बिना उनसे चर्चा किए मध्यप्रदेश के दौरे पर चले गए। ऐन चुनाव से पहले गठबंधन के मुद्दे पर आंखमिचौली करके राहुल ने गोंगपा नेताओं के साथ भद्दा मजाक किया है। उन्होंने आगे कहा कि दरअसल कांग्रेस नेतृत्व आज भी सत्तावादी राजनीतिक अहंकार की अपनी प्रवृत्ति से उबर नहीं पायी है।
इन सीटों पर प्रभाव
2013 के विधानसभा चुनाव में गोंगपा 14 सीट भरतपुर सोनहत, मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर, भटगांव, प्रतापपुर, रामानुजगंज, अंबिकापुर, पाली-तानाखार, मरवाही, कोटा, सक्ती, लैलुंगा, पंडरिया और डोंगरगढ़ में तीसरे नम्बर पर थी। लेकिन, इसमें से सात सीटें ही ऐसी हैं, जहां मतदान प्रतिशत ठीकठाक था। पाली-तानाखार में 26.69, भरतपुर सोनहत में 15.82, बैकुंठपुर 15.52, भटगांव 5.18, कोटा 5.41 और सक्ती में 9.68 फीसद मतदान प्राप्त हुआ था। कांग्रेस का साथ छोडने की वजह सीटों के बंटवारा बताया जा रहा है।
इस बार चुनाव के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ने वाली गोंगपा ने राज्य गठन से पहले साल 1998 में हुए चुनाव में एक सीट हासिल की थी। पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम चुनाव जीतकर विधायक बने थे, लेकिन राज्य गठन के बाद हुए तीन चुनावों में उनके हाथों कोई सफलता नहीं लगी।
ये भी पढ़ें- 444 साल बाद अब इलाहाबाद कहलाएगा 'प्रयागराज' यूपी कैबिनेट ने दी मंजूरी