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बिहार के बाद अब बंगाल में TMC का रास्ता काट सकते हैं ओवैसी, 30% मुस्लिम पर है नज़र

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नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव मुस्लिम बहुल इलाकों में परंपरागत मुस्लिम वोटरों को अपने पक्ष में खींचकर कुल 5 सीटों पर जीत कर चुकी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) अब पश्चिम बंगाल विधानसभा के 100 से अधिक मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव लड़कर सत्तारूढ़ त्रृणमूल कांग्रेस की चीफ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धूल चटा सकती है। इसके आसार बिहार विधानसभा चुनाव में 5 मुस्लिम बहुल सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज करने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने नतीजों के बाद ही कर दी थी।

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बिहार चुनाव में ओवेसी का पार्टी ने महागठबंधन की जीत में पलीता लगाया

बिहार चुनाव में ओवेसी का पार्टी ने महागठबंधन की जीत में पलीता लगाया

गौरतलब है बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाली महागठबंधन की जीत में पलीता लगाने में ओवैसी की पार्टी AIMIM का बड़ा हाथ रहा है, जिसने आरजेडी के परंपरागत मुस्लिम वोटों को अपने पाले में करके महागठबंधन के अरमानों पर तुषारापात कर दिया था। खुद को मुस्लिमों को एकमात्र नेता शुमार कराने पर अमादा ओवैसी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 मुस्लिम बहुल वाले सीटों पर चुन-चुन कर अपने कैंडीडेट उतारे, जिसका खामियाजा सभी जानते हैं कि न केवल राजद की 5 सीटें कम हुईं, बल्कि पिछले कांग्रेस के 8 सीटों पर हार की वजह बनी।

बिहार में AIMIM चुनाव नहीं लड़ी होती तो नतीजे अप साइड डाउन होते?

बिहार में AIMIM चुनाव नहीं लड़ी होती तो नतीजे अप साइड डाउन होते?

यहां ध्यान रखने वाली बात यह है अगर बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एआईएमआईएस चुनाव नहीं लड़ी होती तो चुनाव नतीजे अप साइड डाउन भी हो सकती थी। पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन 178 सीटों पर जीत दर्ज की थी और आरजेडी सर्वाधिक 80 सीट जीतकर नंबर वन पार्टी बनी थी और सहयोगी कांग्रेस के पाले में 27 सीटें आईं थी, जिसमें मुस्लिम वोटों का बड़ा हाथ था, लेकिन इस बिहार चुनाव में एआईएमआईएम की एंट्री के बाद मुस्लिम वोट बंट गए, जिससे महागठबंधन को नुकसान सीधा हुआ।

बिहार में 24 सीटों पर लड़कर ओवैसी ने RJD की उम्मीदों पर पानी फेरा

बिहार में 24 सीटों पर लड़कर ओवैसी ने RJD की उम्मीदों पर पानी फेरा

बिहार में 24 सीटों पर कैंडीडेट उतारकर पांच सीट जीतने वाली ओवैसी ने आरजेडी की उम्मीदों पर पानी फेरने में बड़ी भूमिका निभाई थी। बिहार विधानसभा चुनाव के आखिरी यानी तीसरे चरण में ओवैसी के 20 उम्मीदारों ने जमकर उत्पात मचाते हुए आरेजडी के MY फैक्टर पर चोट पहुंचाते हुए आरजेडी की उम्मीदों को आखिरी चरण में ही धूल धूसरित कर दिया। यही कारण है कि ओवैसी अब पश्चिम बंगाल में मुस्लिम बहुल सीटों पर उम्मीदवार उतारकर एक बार फिर इतिहास दोहाराना चाहते हैं।

ओवैसी ने ममता बनर्जी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन का दांव जरूर खेला है

ओवैसी ने ममता बनर्जी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन का दांव जरूर खेला है

हालांकि ओवैसी ने बड़ा दिल दिखाते हुए पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनाव पूर्व गठबंधन का दांव जरूर खेला, लेकिन टीएमसी नेता सौगत राय ने ओवैसी की पार्टी को वोट कटुवा पार्टी करार देते हुए तुरंत ऑफर को खारिज कर दिया। हालांकि टीएमसी जानती है कि ओवैसी की पार्टी अगर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में एंट्री लेती है, तो उसके मुस्लिम बहुल सीटों पर सेंध लगना तय है। यह डर टीएमसी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस को भी साल रही है, क्योंकि बिहार में कांग्रेस को 8 सीटों पर पहुंचाने में काफी हद तक एआईएमआईएम की भूमिका थी।

ओवैसी ने पार्टी के खिलाफ टीएमसी की बयानबाजी के बाद भेजा प्रस्ताव

ओवैसी ने पार्टी के खिलाफ टीएमसी की बयानबाजी के बाद भेजा प्रस्ताव

हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने आगामी विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के सामने चुनाव पूर्व गठबंधन का प्रस्ताव उस बयान के बाद दिया था, जिसमें टीएमसी द्वारा ओवैसी की पार्टी के खिलाफ बयानबाजी की गई है। टीएमसी ने अपने कहा था कि कुछ बाहरी लोग लोगों को परेशान और आंतकित करेंगे और राज्य के लोगों से कहा था कि वो बाहरियों का विरोध करें। यही नहीं, ओवैसी का बिना नाम लिए टीएमसी ने यह भी कहा था कि अल्पसंख्यक समुदाय के अंदर कुछ उग्रवादी लोग हैं। उन्हें भाजपा पैसे दे रही है, वो हैदराबाद के हैं। मेरे अल्पसंख्यक भाईयों और बहनों उनकी बातों में न आना।

वोटकटुवा पार्टी बुलाने पर ओवैसी बोले, महागठबंधन को प्रस्ताव दिया था

वोटकटुवा पार्टी बुलाने पर ओवैसी बोले, महागठबंधन को प्रस्ताव दिया था

उधर, एआईएमआईएम को बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में वोटकटुवा पार्टी पुकारे जाने पर ओवैसी कहते हैं उन्होंने चुनाव से पहले संसद परिसर में महागठबंधन के साथियों को गठबंधन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन वो नहीं मानें और अब जब पार्टी अपने दम पर पांच सीटें जीतकर आई हैं तो हम पर उंगली उठाई जा रही है। ओवैसी ने कहा कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन उन्हें क्या कहता है और उनकी पार्टी बंगाल में भी चुनाव लड़ेगी और हम यूपी के लिए भी तैयार हैं।

अगर ओवैसी अकेले बंगाल में उतरते हैं तो 30% मुस्लिम वोटर छिटकेंगे

अगर ओवैसी अकेले बंगाल में उतरते हैं तो 30% मुस्लिम वोटर छिटकेंगे

माना जा रहा है कि अगर ओवैसी पश्चिम बंगाल में भी अकेले उतरते हैं तो 30 फीसदी मुस्लिम वोटर, जो सीधे-सीधे 100-110 सीटों पर दखल रखते हैं, उनमें सेंध लगाकर ममता को बड़ा नुकसान पहुंचाने का दम रखते हैं, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा, जो इस बार विधानसभा चुनाव में ममता को सत्ता से हटाने के लिए पूरी तरह से कमर कसकर उतरी है। बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने अभी हाल में बंगाल में शीर्ष बीजेपी पदाधिकारियों को दौरे के लिए उतारा है, जो बंगाल में घूम-घूमकर बंगाल के मुद्दे से केंद्रीय नेतृत्व को एक रिपोर्ट जल्द सौंपेंगे।

ओवैसी के ऐलान से तृणमूल ही नहीं, कांग्रेस-लेफ्ट गठबधन में खलबली मची

ओवैसी के ऐलान से तृणमूल ही नहीं, कांग्रेस-लेफ्ट गठबधन में खलबली मची

वैसे, ओवैसी के पश्चिम बंगाल में एंट्री के ऐलान से तृणमूल को ही नहीं, कांग्रेस और लेफ्ट गठबधन दोनों में खलबली मची हुई है। हालांकि सौगत राय का मानना है कि भाजपा ने ही टीएमसी का वोट शेयर घटाने के लिए ओवैसी को बंगाल में एंट्री करवाई है। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस और वाम दल यही बात बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी के बारे में कह रहीं थी और ओवैसी बिहार में उनके गले की फांस बनकर उभरा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधिरंजन चौधरी के मुताबिक ओवैसी की पार्टी समाज में ध्रुवीकरण कराना चाहती है, लेकिन बंगाल हमेशा ऐसे लोगों को नकारती रही है।

बीजेपी लोकसभा चुनाव 2019 में 18 सीटों पर विजय के बाद उत्साहित है

बीजेपी लोकसभा चुनाव 2019 में 18 सीटों पर विजय के बाद उत्साहित है

उल्लेखनीय है बीजेपी लोकसभा चुनाव 2019 में 18 सीटों पर विजय के बाद उत्साहित है और पहली बार पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने के लिए हर मुमकिन कोशिश में जुटी है और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम मौजूदा परिस्थिति में बंगाल में बीजेपी को मदद करती हुई दिख रही है जबकि सत्तारूढ़ टीएमसी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और वाममोर्च के गठबंधन का काम भी बिगाड़ सकती है, जो पिछले एक दशक से टीएमसी के हाथों पराजित होकर विपक्ष में बैठे हुए है।

30% मुस्लिम वोट के बल पर दो पर सत्ता तक पहुंचने में कामयाब हुईं TMC

30% मुस्लिम वोट के बल पर दो पर सत्ता तक पहुंचने में कामयाब हुईं TMC

माना जाता है कि बंगाल के करीब 30 फीसदी मुस्लिम वोटर के बल पर दो पर सत्ता तक पहुंचने में कामयाब हुईं हैं, लेकिन ओवैसी की एंट्री से वोटों का ध्रुवीकरण का होना तय है, जिसका फायदा टीएमसी, कांग्रेस-वामदल गठबंधन को मिलना मुश्किल है। ओवैसी की एंट्री का सीधा फायदा बीजेपी को होगा। 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा में से 110 सीटों पर 30 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या का सीधा प्रभाव है, जिन्हें बीजेपी को छोड़कर सभी अपना वोट बैंक मानती हैं। मसलन, टीएमसी से छूटा तो कांग्रेस या वाममोर्च को वोट देंगे, लेकिन ओवैसी की एंट्री से मुस्लिमों के पास एआईएमआईएम भी विकल्प होगा।

एआईएमआईएम तेजी से देश में मुस्लिमों की आवाज बनकर उभर रहा है

एआईएमआईएम तेजी से देश में मुस्लिमों की आवाज बनकर उभर रहा है

निः संदेह एआईएमआईएम तेजी से देश में मुस्लिमों की आवाज बनकर उभर रहा है, जिसकी बानगी बिहार चुनाव में मिल चुकी है। ओवैसी के मुताबिक पार्टी के विस्तार योजनाओं के लिए बंगाल को ऊपजाऊ जमीन पाया है। पार्टी माल्दा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण दिनाजपुर, उत्तरी दिनाजपुर, दक्षिण 24 परगा के अल्पसंख्यक बहुल जिलों में अच्छा जन समर्थन आधार बना चुकी है। सभी पांच जिलों 60 से अधिक विधानसभा सीटें शामिल हैं। संयोग ही कहेंगे कि दक्षिण 24 परगना को छोड़कर शेष चार जिलों की सीमा बिहार के उस इलाके से लगती है, जहां एआईएमआईएम ने बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के परंपरागत वोटरों पर सेंध लगाकर 5 सीटें जीती हैं। भाजपा की बंगाल में जीत के लिए मुस्लिम वोटों का विभाजन जरूरी है, जिसमें ओवैसी सक्षम दिखते हैं।

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English summary
The All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen (AIMIM), which had won a total of 5 seats by pulling the traditional Muslim voters in its favor in the Bihar assembly elections in Muslim-dominated areas, is now ruling the ruling Trinamool Congress by contesting more than 100 Muslim-majority seats in the West Bengal Assembly. Chief Minister and Chief Minister Mamata Banerjee can be dusted off. This was followed by the results of Asaduddin Owaisi, who had won 5 Muslim-majority seats in Bihar assembly elections.
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