आखिर क्यों हो रहा है साइड इफैक्ट रहित आयुर्वेदिक CORONIL का विरोध, इन प्रदेशों में हुआ बैन?
नई दिल्ली। भारत की शुद्ध देसी चिकित्सा पद्धित आयुर्वेद के बारे में मान्यता है कि जहां सारे संभावनाएं खत्म हो जाती है, वहां आयुर्वेद सहारा बनता है, क्योंकि आर्युर्वेद में रोग निवारण क्षमता की असीम संभावनाएं हैं। ज्यादा दूर नहीं गया वह वक्त जब ऐलोपैथ ने रैपिड रिलीफ के मामले में दूसरे चिकित्सा पद्धतियों को पीछे ढकेल दिया था, लेकिन जल्द समय पलटा और लोगों ने एक बार फिर आयुर्वेद की ओर रूख करना शुरू कर दिया। इनमें ज्यादा संख्या उनकी थी, जिन्होंने रैपिड रिलीफ चिकित्सा पद्धित के चक्कर में शऱीर को प्रयोगशाला बना दिया था।
वैश्विक महामारी नोवल कोरोनावायरस के बीच जब संक्रमितों की संख्या पूरी दुनिया में एक करोड़ को पार कर गई है और पूरी दुनिया में कोरोनावायरस की चपेट में आकर अब तक 5 लाख से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं, तो महत्वपूर्ण मुद्दा यह हो जाता है कि जब तक कोरोनावायरस का अंतिम इलाज अथवा टीका विकसित नहीं हो जाता है तब तक साइड इफैक्ट रहित आयुर्वेद चिकित्सा की ओर लौटने में क्या बुराई है।
योग और आयुर्वेद को भारत में दोबारा लोगों के बीच पहुंचाने के लिए कोई भी बृद्धिजीवी योग गुरू बाबा रामदेव के योगदानों को कभी नकार नहीं सकता है। 4 दिन पहले बाबा रामदेव द्वारा लांच किए गए CORONIL नामक दवा भले ही दावे के अनुरूप 100 फीसदी परिणाम न दें सके, लेकिन यह 100 फीसदी तय है कि वह शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने में जरूर सहायक होगी, जो कि कोरोनावायरस से लड़ने के लिए और उसे हराने के लिए अभी तक का सबसे बड़ा और सर्वमान्य इलाज और नुस्खा है।
कोरोना की दवा को लेकर आया बाबा रामदेव का ट्वीट, कहा-नफरत करने वालों के लिए घोर निराशा की खबर
कोरोनिल एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से तैयार दवा है
बाबा रामदेव द्वारा लांच की गई दवा कोरोनिल एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से तैयार दवा है, जिसके साइड इफ़ेक्ट की भी कोई संभावना नहीं है, इसलिए इसकी बिक्री पर विभिन्न राज्यों पर थोपे जा रहे प्रतिबंध हास्यास्पद लगते हैं। अभी तक कोरोनिल पर प्रतिबंध लगाने वाले दोनों राज्य कांग्रेस शासित सरकारें हैं, जिसका उद्देश्य राजनीतिक अधिक दीख पड़ता है, क्योंकि भगवा धारी बाबा रामदेव का केंद्र में शासित मोदी सरकार की भगवा से मैच करता है। यह सच है अथवा नहीं, लेकिन दोनों राज्य सरकारों एक बार आईने में जरूर खुद को देखना चाहिए।
बिना कानूनी और शोध की प्रक्रियाओं के बाजार में उपलब्ध नहीं होगी दवा
भले ही बाबा रामदेव का भगवा रंग राजनीतिक लिहाज से गैर-कांग्रेसी प्रादेशिक सरकारों के लिए चुनौती बन जाता हो, लेकिन एक बात तो तय है कि बिना कानूनी और शोध की प्रक्रियाओं से गुजरे बाजार में कोरोनिल उपलब्ध नहीं होने वाली है। आयुष मंत्रालय पहले ही कोरोनिल की बिक्री और उसके प्रचार पर रोक लगा चुकी है, जिसको ही आधार बनाकर पहले राजस्थान और फिर महाराष्ट्र की सरकार ने बाजार में पहुंचने से पहले ही उसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर किसे खुश कर रहे हैं, पता नहीं।
देश में महामारी का संकट घटने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है
पिछले 2-3 महीनों में देश में कोरोनावायरस महामारी संकट का प्रभाव घटने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है। यही नहीं, यह जानलेवा वायरस रूप बदल-बदल कर लोगों को अपना शिकार बना रहा है। ऐसे में अगर कोरोनिल सहायक (सप्लीमेंट्री) दवा के रूप में कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों द्वारा लिया जाता है, तो इसमें हर्ज ही क्या है, क्योंकि आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल से लाभ नहीं, तो हानि की तो बिल्कुल संभावना नहीं है।
कहा जा रहा है कि कोरोनिल क्लिीनिकल ट्रायल मानदंडों पर खऱा नहीं
कहा जा रहा है कि कोरोनिल क्लिीनिकल ट्रायल मानदंडों पर खऱा नहीं है। ठीक है यह सब सरकार देख लेगी, उसके बाद कोरोनिल को बाजार में उतारने की मंजूरी मिलेगी। यह बात दीगर है कि अब तक कोरोनोवायरस के खिलाफ एंटी डोज बनाने के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों द्वारा भांति-भांति के प्रयोग हुए हैं और लगातार हो रहे हैं, लेकिन अभी तक आशा की कोई उम्मीद नहीं जगी है। चीन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन के अंतिम चरण में होने का दावा जरूर किया है, लेकिन वैक्सीन कब उपलब्ध नहीं होगी, इसका पता नहीं है।
अभी वैक्सीन को लोगों को पहुंचने में करीब 6 महीने का वक्त लगेगा
माना जा रहा है कि अगर वैक्सीन विकसित भी कर लिया गया तो वैक्सीन को लोगों को पहुंचने में करीब 6 महीने का वक्त लग जाएगा। क्या गांरटी हैं अगले एक-दो महीने में वह खुशखबरी आ जाएगी और अगर कोरोनावायरस का एंटी डोज अथवा वैक्सीन बनाने में वैज्ञानिक सफल भी हो जाते हैं तो बाजार में वह वैक्सीन दिसंबर, 2020 अथवा जनवरी 2021 के आसपास उपलब्ध हो सकेगा। तो क्या तब तक सरकारें हाथ पर हाथ रखकर मौत के मुंह में लोगों को जाते देखती रहेगी। वैसे, भी वैक्सीन के बारे में कहा जा रहा है कि यह बुजुर्गों पर असरकारी नहीं होगी।
वर्तमान में भारत में रोजाना 17000-18000 नए मामले सामने आ रहे हैं
वर्तमान में भारत में रोजाना 17000-18000 नए मामले सामने आ रहे हैं और प्रति दिन यानी 24 घंटे में संक्रमण से मरने वालों की संख्या 300 से अधिक हो गई है। गत शुक्रवार को आंकड़ा बेहद भयावह रहा है। भारत में शुक्रवार को पिछले 24 घंटे में 18556 नए मरीज सामने आए और कुल 384 लोगों की मौत की सूचना मिली है। शुक्रवार को अकेले महाराष्ट्र में 24 घंटे में 5000 से अधिक नए मामले सामने आए और 173 से अधिक लोगों की मौत हुई है। कमोबेश यही हाल राजधानी दिल्ली का भी रहा जहां शुक्रवार को 24 घंटे में लगभग 3000 नए केस सामने और 65 लोगों की मौत हुई है।
पूरे देश को वापस पूर्ण लॉकडाउन की ओर जाना पड़ सकता है
बड़ा और मुश्किल सवाल यह है कि आगे क्या? क्योंकि जिस गति से देश में कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं, उसको देखते हुए पूरे देश को वापस पूर्ण लॉकडाउन की ओर जाना पड़ सकता है। कई राज्य सरकारों ने तो 31 जुलाई तक पू्र्ण लॉकडाउन की घोषणा भी कर दी है। देर-सबेर पूरे देश को एक बार फिर लॉकडाउन का खतरा आसन्न है। ऐसे में अगर बाबा रामदेव की दवा कोरोनिल लोगों को नोवल कोरोनावायरस की घातकता से बचाने में सहायक ही सिद्ध होती है, तो कोरोनावायरस संक्रमितों का इलाज की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों पर कम प्रभावी होती है कोरोना
अभी तक के चिकित्सीय और वैज्ञानिक तथ्य इशारा करते हैं कि कोरोनावायरस उन लोगों पर निष्प्रभावी होता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और बाबा रामदेव के दावे के विपरीत अगर कोरोनिल रामबाण नहीं भी है और उसका सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से सहायक होती हैं, तो अधिकांश लोगों को इसकी मदद से बचाया जा सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आयुर्वेदिक होने के कारण कोरोनिल को लेकर कोई जोखिम भी नहीं है।
कोरोना वायरस की प्रकृति और स्वभाव काफी बदलाव आ चुका है
मौजूदा समय और पिछले तीन महीने पहले के समय की तुलना में कोरोना वायरस की प्रकृति और स्वभाव काफी बदलाव आ चुका है, जिससे वह आसानी से पकड़ में नहीं आ रहा है और अब लगभग सभी राज्यों में कोरोना की टेस्टिंग भी खूब हो रही है, जिससे मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होता दिख रहा है, लेकिन संक्रमितों के इलाज में देरी, चाहे वह सप्लीमेंट्री दवा ही क्यों न हो, जरूरी है। आयुर्वेदिक होने के नाते कोरोनिल संक्रमित और असंक्रमित दोनों इसका सेवन कर सकते है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधिक क्षमता मजबूत बनी रहेगी। हां, कोरोनिल पर बाबा रामदेव के दावे की जब तक पुष्टि नहीं हो जाती है, तब तक भ्रामक कोरोनिल दवा का नाम बदला जा सकता है।
इम्युनिटी के लिए आय़ुष मंत्रालय भी काढ़ा बनाकर पीने की सलाह देता है
दिव्य फार्मेसी, हरिद्वार द्वारा निर्मित कथित कोरोनावायरस निवारक दवा कोरोनिल में उन्हीं जड़ी-बूटियों का समन्वय है, जिसे पिछले 3 महीने से आय़ुष मंत्रालय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उबालकर काढ़ा बनाकर पीने की सलाह देता आया है। इनमें गिलोय, जिसे आयुर्वेद में अमृतवल्ली कहा गया है, प्रमुख जड़ी-बूटी है, जो शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में रामबाण की तरह काम करती है।
कोरोनावायरस के इलाज के मामले एक बात पानी की तरह साफ हो चुका है
कोरोनावायरस के इलाज के मामले एक बात पानी की तरह साफ हो चुका है कि एक सीमा के बाद सब कुछ व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता पर ही निर्भर करता है, तो जो चीज प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए, वह आज अमृततुल्य है। कोरोनिल का दावा भले ही अतिरेकपूर्ण मालूम होता हो, लेकिन इससे अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और सेवन करने वाला कोरोना के संक्रमण से बचता है, तो वैक्सीन आने तक इसके बिक्री और सेवन से लोगों को वंचित रखना 100 फीसदी अनुचित है।
रेमिडिसीवर, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और प्लाजा थैरेपी को गेमचेंजर कहा गया
फिर यह कोई पहली दवाई या उपचार नहीं है, जो खुद 100 फीसदी इलाज का दावा कर रही है। इससे पहले रेमिडिसीवर को गेमचेंजर कहा जा रहा था। उसके पहले प्लाज़्मा थैरेपी, और फिर उससे पहले होम्योपैथिक की थूजा, इग्नेशिया, आर्सेनिक अल्ब और न्यूमोकोकिनम के कॉम्बिनेशन को जादुई बताया गया और उससे भी पहले मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के लिए भी ऐसा ही कुछ दावा किया गया था। अमेरिका के लिए तो हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन अमृतवटी हो गई थी, लेकिन क्या हुआ, डाक्टर आज भी रोग प्रतिरोधक क्षमता की मजबूती को आधार बनाकर मरीजों को ठीक कर पा रहा है।
रोग निवारक न सही, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है कोरोनिल
कोरोनावायरस के इलाज के लिए आज पूरी दुनिया संर्घषरत है और इसका अभी कोई इलाज नहीं हैं, तो 100 फीसदी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कोरोनिल प्रभावी है तो सरकार को उसकी बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने की जल्द से जल्द कोशिश करनी चाहिए। वैसे भी कहते हैं कि दवा से अधिक परहेज काम करता है और जब तक कोरोनिल को 100 फीसदी कोरोना निवारक दवा के रूप में सरकार और आयुष मंत्रालय कस रही है, तब तक कोरोनिल को सप्लीमेंट्री ड्रग के रूप में बाजार में बिक्री के लिए मंजूरी दे देनी चाहिए।
कोरोनिल पर प्रतिबंध लगाने वाला राजस्थान के बाद महाराष्ट्र दूसरा राज्य बना
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बाबा रामदेव की कोरोनिल औषधि की विक्री पर राज्य में पाबंदी लगा दी है। देशमुख ने कहा है कि इस औषधि को आयुष मंत्रालय ने मंजूरी नहीं दी है, इसलिए यह औषधि लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। कोरोनिल औषधि को नेशनल इंस्टीट्युट ऑफ मेडिकल साइंस ने अभी तक मान्यता नहीं दी है। इसलिए इस औषधि की विक्री आम नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। वहीं, बाबा रामदेव के कथित कोरोनावायरस निवारक दवा कोरोनिल पर रोक लगाने वाला राज्य राजस्थान है। राजस्थान सरकार ने कहा कि कोविड-19 महामारी के उपचार की दवा के तौर पर किसी भी औषधि का विक्रय पाए जाने पर विक्रेता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।