आखिर क्यों गोवा का ये डॉक्टर कोरोना को मात देकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों को लगा रहे गले
आखिर क्यों गोवा का ये डॉक्टर कोरोना को मात देकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों को लगा रहे गले
पणजी। देश में कोरोना वायरस का संक्रमण को लेकर खौफ बरकरार है। इस महामारी में कई लोगों के अपनों ने उनका साथ छोड़ दिया वहीं कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे एक डाक्टर ऐसे हैं जो कोरोना महामारी को मात देकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों को गले मिलकर विदा कर रहे हैं।
पिछले तीन महीने में 190 रोगियों को लगा चुके हैं गले
ये कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के साथ ये व्यवहार करने वाले गोवा मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर एडविन गोम्स हैं जो COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए मार्गो स्थित ESI अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम का नेतृत्व कर हरे हैं। पिछले तीन महीनों में वो अब तक ऐसे 190 रोगियों को गले लगाया है।
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डाक्टर एडविन देना चाहते हैं ये संदेश
गोवा के डाक्टर एडविन से जब इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं करके मरीजों के घर वालों और लोगों को ये संदेश देना चाहता हूं कि वह कोरोना से मात देकर बिलकुल स्वस्थ्य हो चुके हैं उनसे दूर न भागे और उन्हें अस्वीकार करने की जगह पहले की तरह स्वीकार करें।
ठीक हो चुके मरीजों को इस काम के लिए कर रहे प्रेरित
अस्पताल में ड्यूटी के 98 दिनों तक लगातार ड्यूटी करके घर लौटे डॉक्टर गोम्स ने बताया, "मैं सभी रोगियों को उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें अस्तताल से छट्टी देते समय गले लगाता हूं। ताकि लोग उनको सामान्य और स्वस्थ्य समझे साथ ही मैं ठीक हो चुके मरीजों को समझाता हूं कि उनके प्लाज्मा से अन्य COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए उपयोग किया जा सकता है क्योंकि उनके पास एंटीबॉडी हैं।
मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिए
कोरोनावायरस मामलों के इलाज के अपने अनुभव को शेयर करते हुए डॉक्टर गोम्स ने कहा कि कोरोना बीमारी में 'सांस की तकलीफ' नामक एक लक्षण है। "यदि किसी मरीज को अत्यधिक सांस लेने में समस्या होती है तो व्यक्ति को बचाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि सांस की तकलीफ होने पर चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। जिसे कोरोना से ठीक हो चुके मरीज अच्छे से समझते हैं।
कोरोना से जान बचने के बाद इस व्यक्ति ने की मरीजों की सेवा, डाक्टर ने की तारीफ
उन्होंने एक मरीज की भी सराहना की, जिसने संक्रमण से उबरने के बाद अस्पताल में अन्य रोगियों की मदद की। उन्होंने बताया कि ठीक होने के बाद, मंगर हिल (गोवा के वास्को शहर में एक कोविड -19 हॉटस्पॉट) के इस मरीज ने अन्य रोगियों को बिस्तर पर खाना खिलाकर उनकी मदद की। मरीजों के बेड के पैन हटाया उसने एक नर्स की तरह अस्पताल में कोराना मरीजों की सेवा की। अगर किसी मरीज को कोई प्रश्न होता था तो वह उसका जवाब देता था। कोरोना से ठीक हो चुके इस मरीज से बात करके और मरीजों का मनोबल बढ़ जाता था। डॉक्टर गोम्स ने कहा कि इस तरह के लोगों को राज्य सरकार द्वारा स्थापित COVID देखभाल केंद्रों में काम करने के लिए उतारा जा सकता है। उन्होंने बताया कि कोरोना को मात दे चुके मंगर हिल के उक्त मरीज जब अस्पताल लाया गया तो उसकी हालत बहुत खराब थी लेकिन वो इलाज से ठीक हो गया और उसे दूसरी जिंदगी मिली। उन्होंने कहा, "मंगर हिल के कम से कम 25 फीसदी मरीजों को दूसरी जिंदगी मिली है।"
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