आखिर आंध्र प्रदेश सरकार तीन राजधानियां क्यों बनाना चाहती हैं, जानें क्या हैं विवाद ?
After All, Why Does Andhra Pradesh Want to Make 3 Capitals, Know What is The Dispute?आखिर आंध्र प्रदेश 3 राजधानियां क्यों बनाना चाहता है, जानें अमरावती के किसान और विपक्षी पार्टी टीडपी क्यों कर रही विरोध
बेंगलुरु। आंध्र प्रदेश विधानसभा ने सोमवार को देर रात राज्य में तीन राजधानी बनाने के संबंधी बिल को मंजूरी दे दी। कैबिनेट से मंजूरी के बाद वाईएस जगनमोहन रेड्डी सरकार ने यह बिल विधानसभा में पेश किया था। विधानसभा में पास हुए विधेयक के अनुसार विशाखापट्टनम को कार्यकारी, अमरावती को विधायी और कुर्नूल को न्यायिक राजधानी बनाया जाएगा। विधानसभा से पास होने के बाद सरकार के इस नए विधेयक को विधान परिषद में पेश किया जाएगा। विधान परिषद में इस बिल के पास होने के बाद आंध्र देश का पहला राज्य होगा जिसकी तीन राजधानियां होंगी। सरकार इस कदम को राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी बता रही हैं। वहीं दूसरी ओर आंध्र प्रदेश में सरकार के इस फैसले का व्यापक विरोध भी शुरू हो गया है।
बता दें सोमवार को राज्य की राजधानी स्थानांतरित करने संबंधी विधेयक पेश किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए अमरावती क्षेत्र के सैकड़ों किसान व महिलाएं, सशस्त्र कर्मियों की ओर से की गई सुरक्षा घेराबंदी को तोड़ते और निषेधाज्ञा की अवज्ञा करते हुए विधानसभा परिसर के करीब तक पहुंच गए। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने पथराव भी किया। इसमें छह लोग घायल हुए हैं। वहीं विपक्ष के नेता एन चंद्रबाबू नायडू ने विधानसभा के मुख्य प्रवेश द्वार से कुछ दूरी पहले तक तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के विधायकों के साथ पैदल यात्रा कर विरोध जताया।
राज्य के सर्वागीण विकास के लिए अगर है जरुरी तो क्यों हो रहा विरोध
इतना ही सदन में सत्र चल रहा था और टीडीपी के विधायकों के नारेबाजी करने लगे उन्हें मार्शलों ने सदन से बाहर करना पड़ा। मुख्यमंत्री जगनमोहन के संबोधन के दौरान व्यवधान डालने के लिए टीडीपी के 17 विधायकों को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। इसके बाद विधायकों के साथ सदन के गेट पर नेता चंदबाबू नायडू पर धरने पर बैठ गए। नायडू ने कहा कि दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां तीन राजधानी हों। यह एक काला दिन है, हम अमरावती और आंध्र प्रदेश को बचाना चाहते हैं। केवल वह ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और सड़कों पर हैं। सरकार सबको गिरफ्तार कर रही है। यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। सरकार जहां तीन राजधानी बनाए जाने के फैसले को राज्य के सर्वागीण विकास के लिए जरुर बता रही हैं वहीं विपक्षी ही नहीं राज्य की जनता भी इस पर विरोध जता रही हैं। बता दें महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की भी दो राजधानी हैं। ऐसे में सवाल उठता लाज़मी है कि देश भर में जब हर राज्य की एक या दो राजधानी है तो आंध्र प्रदेश में ऐसा क्या कारण हैं जो कि वहां की प्रदेश सरकार तीन राजधानियां बनाना चाहती हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे विवाद की असली वज़ह क्या है?
तीन राजधानी होने पर ये होगा बदलाव
गौरतलब है कि विधानसभा में पास हुए इस विधेयक के अनुसार आंध्र प्रदेश के लिए तीन राजधानी होगी जिसमें कार्यकारी राजधानी विशाखापट्टनम होगी, विधायी राजधानी अमरावती और न्यायिक राजधानी कुर्नूल होगी। इसके अनुसार कार्यकारी राजधानी में मुख्यमंत्री कार्यालय, सचिवालय राजभवन समेत सभी सरकारी कार्यालय स्थानान्तरित किए जाएंगे। वहीं विधायी राजधानी कुर्नूल में हाईकोर्ट शिफ्ट किया जाएगा। इस विधेयक के अनुसार आंध्र प्रदेश का विधानसभा अमरावती में ही रहेगा। मालूम हो कि आंध्र प्रदेश सरकार तीन राजधानी के कान्सेप्ट को लेकर यह तर्क दे रही है कि प्रदेश के तीनों क्षेत्रों - उत्तरी तट, दक्षिणी तट और रायलसीमा का समान विकास चाहती है। तीन राजधानी होने से आंध्र प्रदेश के इन तीनों क्षेत्रों का समान विकास होगा।
तो इसलिए टीडीपी कर रही विरोध
सरकार द्वारा पास किए गए इस विधेयक का मुख्य विरोधी पार्टी टीडीपी जमकर विरोध कर रही हैं। आपको बता दें आंध्र प्रदेश में पिछली सरकार टीडीपी की थी। जब चंदबाबू नायडू मुख्यमंत्री थे उन्होंने अपनी सरकार में अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाने की घोषणा की थी। इतना ही पिछली सरकार में अमरावती को 33 हजार रुपये की लागत राशि भी मंजूर कर दी गयी थी। दरअसल, सत्ताधारी पार्टी और टीडीपी दोनों पार्टियां एक दूसरे पर समुदाय (जाति) को ध्यान में रखकर राजधानी के चुनाव का आरोप लगा रही हैं। अमरावती जिसे टीडीपी राजधानी बनाना चाहती थी वहां नायडू समुदाय की आबादी अधिक है, वहीं विजयवाड़ा-गुंटूर क्षेत्र में रेड्डी समुदाय की बहुलता है। हालांकि विधानसभा में तो यह बिल पास हो चुका हैं लेकिन विधान परिषद में इस विधेयक के पास होने में मुश्किल होगी। क्योंकि राज्य में सत्तारूढ़ वाईएसआर के पास विधानपरिषद में बहुमत नहीं है। प्रदेश के उच्च सदन में वाईएसआर के पास महज 9 सदस्य हैं।
तो इसलिए अमरावती के किसान कर रहे विरोध
आपको बता दें सोमवार को प्रमुख विपक्षी पार्टी टीडीपी के विरोध जताने के साथ अमरावती के सैकड़ों किसानों , महिलाओं ने विधान सभा से कुछ मीटर की दूर तक पहुंच कर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर उन्हें हिरासत में भी लिया। बता दें पिछली सरकार में अमरावती के सैकड़ों किसानों ने अमरावती को ड्रीम कैपिटल बनाने के लिए 33 हजार एकड़ जमीन दी थी। लेकिन प्रदेश सरकार के तीन राजधानी के प्रस्ताव को सुनकर वह आग बबूला हो गये। वह स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं। मालूम हो कि सरकार पहले से ही अमरावती पर 5500 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है लेकिन विवाद के बाद मेगा प्रॉजेक्ट से अधिकतर बाहरी फंडिंग वापस ली जा चुकी है।
आंध्र प्रदेश में सीमाएं बदलने के साथ बतलती रही राजधानियां
राजधानी बदलने का किस्सा आंध्र प्रदेश में बहुत पुराना हैं। आंध्र प्रदेश को सीमाएं बदलने के साथ ही हर बाद इस प्रदेश को राजधानी के लिए समझौता करना पड़ा। सबसे पहले 1953 में आंध्र अलग हुआ जो मद्रास वर्तमान में जिसे चेन्नई के नाम से जाने हैं वो तमिलनाडु में चला गया था और तमिलनाडु की राजधानी बन गया इसलिए आंध्रप्रदेश को नयी राजधानी बनानी पड़ी। 1956 में आंध्र प्रदेश गठित होने के साथ ही कुर्नूल, हैदराबाद में मिल गया जिससे एक बार फिर प्रदेश को राजधानी के रूप में कुर्नूल खोना पड़ा। इसी तरह 2014 में तेलंगाना के अलग राज्य बनने पर हैदराबाद तेलंगाना की सीमा में आ गया। अमरावती को राज्य की राजधानी बनाए जाने की दिशा में काम होना था जिसके लिए 33 हजार करोड़ रुपये का बजट तय हुआ। लेकिन प्रदेश में टीडीपी के बजाय वाईएसआर की सरकार बन गयी और अमरावती को राजधानी बनाने का फैसला खटाई में पड़ गया।
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