क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

'2002 के बाद 15 साल वोट डाला, अब नहीं डालेंगे'

सभी पार्टियों के नेताओं से नाउम्मीद मुस्लिम परिवारों को है अब किसपर भरोसा?

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
रेशमा अपा
BBC
रेशमा अपा

अहमदाबाद के बॉर्डर तक पहुंचते-पहुंचते अचानक एक पहाड़-सा दिखाई देता है. ये रोज़ाना बढ़ता ढेर है, अहमदाबाद शहर के सारे कूड़े का. चारों तरफ़ गैस, धुंआ और बदबू और उसके बगल में रहती हैं रेशमा आपा.

रेशमा समेत दंगों से विस्थापित 100 परिवारों का 'सिटिज़न नगर' मेन सड़क से काफ़ी दूर, कई गलियों की भूलभुलैया से गुज़रकर मिलता है.

शाम के छह बजे हैं मैं उन्हें 'सिटिज़न नगर' के 'राहत क्लीनिक' के सामने मिलती हूं.

जैसे 'सिटिज़न नगर' को समाज ने बसाया वैसे ही मोहल्ले का ये इकलौता क्लीनिक भी सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से ही खुला है.

सरकार का इसमें कोई योगदान नहीं.

गुजरात चुनाव: न कांग्रेस के न भाजपा के, तो किसके हैं वाघेला?

गुजरात में चुनाव से पहले घरों पर दिखे लाल निशान

गुजरात: व्यापारियों का जीएसटी पर ग़ुस्सा, चुनाव पर चुप्पी

गुजरात
BBC
गुजरात

शहर के बीचोबींच नरोडा-पाटिया से अब यहां बसने को मजबूर रेशमा कहती हैं, "दंगों के बाद सरकार ने हमें कुछ नहीं दिया, ना विपक्ष की पार्टियों ने, ना घर, ना स्कूल, ना क्लीनिक, ना रोज़गार, 15 साल वोट करके देख लिया, इस साल नहीं डालेंगे."

पंक्तिबद्ध तरीके से एक मंज़िल के दो कमरे वाले घर हैं जिनके बाहर बिजली का मीटर लग गया है.

लेकिन गंदे पानी के निकास के लिए कोई नाली नहीं है और घरों के बीच की गलियां कच्ची हैं.

बिलक़िस नगर
BBC
बिलक़िस नगर

एक सरकारी स्कूल तीन किलोमीटर दूर है तो ज़रूर, लेकिन मोहल्ला ऐसे बसा है कि स्कूल तक पहुंचने के लिए कोई रिक्शा-बस जैसी सुविधा नहीं है और वहां तक रोज़ जाना बहुत मंहगा है.

एक मतदाता के लिए सरकार के और क्या मायने होते हैं?

कुछ नहीं बदला

'राहत क्लीनिक' जैसी सुविधा के बारे में सोचने और उसके लिए पैसा और डॉक्टर की सुविधा करनेवाले अबरार अली सैयद, 22 साल के थे जब 2002 में दंगे भड़के.

बिलक़िस नगर
BBC
बिलक़िस नगर

फ़रवरी-मार्च के उन तीन दिनों के कुछ महीने बाद तक कई बार उन्हें अहमदाबाद के शाह आलम इलाके के अपने घर को छोड़ सुरक्षित जगह भागना पड़ा था.

कई साल तक रात में डरावने सपने आते थे. फिर से हिंसा भड़कने का डर और 'मुल्लाह-मिंया' के ताने लगातार साथ बने रहे.

अब अबरार अहमदाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं. उनके मुताबिक पिछले 15 साल के उनके अनुभव ने यही सिखाया है कि किसी पार्टी से उम्मीद ना रखें और लोगों में ख़ूब विश्वास करें.

बिलक़िस नगर
BBC
बिलक़िस नगर

वो कहते हैं, "2002 के दंगों के बाद बीजेपी सरकार ने हिंदू-मुस्लिम समुदायों में फ़र्क किया ये तो साफ़ है, पर अस्सी के दशक में कांग्रेस ने ही साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया था और आज भी राहुल गांधी मुस्लिम नेताओं से कहां मिल रहे हैं?"

नेता, मीडिया - सबसे है नाराज़गी

15 साल में अहम् बदलाव शायद साफ़गोई से पूछे इन सवालों में ही है.

अहमदाबाद से चार घंटे की दूरी पर 36 दंगा-विस्थापित परिवार बसाए गए हैं.

बिलकिस नगर में बसी इस कॉलोनी को भी सरकार ने नहीं, क़ौम के लोगों ने बसाया है. यहां भी नालियां नहीं हैं, ख़ूब गंदगी है, गैस की लाइन नहीं है बल्कि खाना अब भी चूल्हे पर ही पकाया जा रहा है.

बिलक़िस नगर
BBC
बिलक़िस नगर

पर 17 साल की इक्रा असलम शिकारी ने स्कूल की पढ़ाई पूरी की है.

वो मुस्लिम समाज की तरफ़ से चलाए जा रहे 'ग्रांट इन एड' स्कूल में पढ़ीं.

जब मैं मिलती हूं तो तपाक़ से पूछती हैं, "पांच साल पहले भी आए थे, मीडियावाले भी, नेता भी, आज तक तो कुछ नहीं हुआ, क्यों बात करें तुमसे, क्या बदलेगा?"

यहां बसे परिवारों में से ज़्यादातर वडोदरा से भागकर यहां आए. अब सिलाई का काम करते हैं और अगरबत्ती की फ़ैक्टरी में मज़दूरी करते हैं.

यहां 'सिटिज़न नगर' से भी छोटे घर हैं. 34 साल की समीरा हुसैन बताती हैं कि जगह इतनी कम है कि कई बार घर के मर्द खेतों में सोने चले जाते हैं.

बिलक़िस नगर
BBC
बिलक़िस नगर

समीरा की शादी यहीं हुई, विस्थापित परिवारों में से एक में. कोई चारा भी नहीं था.

समीरा आठवीं तक पढ़ी हैं. वो बताती हैं कि दंगों से पहले मुस्लिम लड़कियां इतना ही पढ़ती थीं.

अब उनकी 10 साल की बेटी है और एक छोटा बेटा भी. दोनों स्कूल जाते हैं.

समीरा कहती हैं, "ना मुआवज़ा मिला, ना घर मिले, किसी पार्टी ने कुछ नहीं किया, अब बच्चों के लिए कुछ करवाओ, नौकरी करने लायक हों, कुछ कमा सकें."

बिलक़िस नगर
BBC
बिलक़िस नगर

आदिवासी और मुस्लिम समुदायों में बच्चों और युवा के साथ पिछले कई सालों से ग़ैर-सरकारी संस्था 'ऊर्जा घर' के साथ काम कर रहे व़कार क़ाज़ी मानते हैं कि मुस्लिम समाज की औरतें बहुत मज़बूत हुई हैं.

वो कहते हैं, "दंगों के बाद मुस्लिम समाज में मर्द इतने ख़ौफ़ में थे कि चाहे पुलिस, राहत कमेटी, न्यायपालिका, रोज़गार- जो भी हो औरतों को आगे आना पड़ा और समय के साथ उन्होंने अपना अस्तित्व क़ायम किया."

अब शिक्षा की अहमियत समझी जा रही है और लड़कियों को पूरी शिक्षा दी जा रही है.

अबरार अली
BBC
अबरार अली

हालांकि इस सब में अहम् भूमिका मुस्लिम समाज और संगठनों की ही है.

अबरार भी क्लीनिक के बाद अब 'सिटिज़न नगर' में बच्चों की पढ़ाई का कुछ इंतज़ाम करना चाहते हैं.

उनके मुताबिक इन सभी कोशिशों में ग़ैर-मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हैं और इसीलिए इन 15 सालों में राजनीति से जितना विश्वास उठा है, इंसानियत पर उतना ही क़ायम भी हुआ है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
After 2002 years voted 15 years will not do it now
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X