"आखिरकार मैं अपनी दोनों बेटियों को साथ में खेलते हुए देख पा रहा हूं, मैं बयां नहीं कर सकता हूं अपनी खुशी, अपनी दोनों बच्चियों को मैं इस तरह से साथ में कभी खेलते देख पाऊंगा, इस बात की उम्मीद ही मैंने छोड़ दी थी लेकिन ऐसा हो रहा है जिसके लिए मैं हर एक डोनर को दिल से धन्यवाद देता हूं जिनकी वजह से ये दिन मुझे नसीब हो पाया है।"
ये कहना है पिता राजेश का जिनकी एक साल की बेटी पिछले एक साल से हृदय की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। आपको बता दें अपनी छोटी बेटी कनिश्री के जन्म के बाद राजेश पूरे साल अपने आप को असहाय और बेबस महसूस कर रहे थे क्योंकि उनकी बेटी को जानलेवा ह्रदय रोग था। मालूम हो कि कनिश्री का जन्म मई 2017 को हुआ था, वो बस 22 दिन की ही हुई थी, जब उसके माता-पिता उसे पोलियो वैक्सीनेशन के लिए ले गए थे, जहां डॉक्टर ने नोटिस किया कि उसकी दिल की धड़कन बहुत तेज़ है इसलिए उसने राजेश को कहा कि वो बेटी का स्कैन करवाए। और लंबे इलाज के बाद वह अंतत: ठीक होकर अपने घर पहुंच गई।
आज कनिश्री की मुस्कुराहट सिर्फ और सिर्फ आपकी वजह से है। जिस तरह से बतौर वनइंडिया के पाठक आपने कनिश्री के इलाज के लिये दान देकर उसका जीवन लौटाया है, उसके लिये उसने आपके लिये धन्यवाद भेजा है। आपने कनिश्री को नया जीवन लौटाया, उसी की तरह दो और बच्चे हैं, जो जिंदगी की जंग अस्पताल में लड़ रहे हैं। एक का नाम वीर है, जो थैलेसीमिया से ग्रसित है। उसकी उम्र महज 7 वर्ष है। वहीं एक साल की धनश्री को सांस लेने में दिक्कत है।
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एक साल की बच्ची को हार्ट सर्जरी की जरुरत थी
ये बच्चे भी कनिश्री की तरह खेल सकेंगे। कुछ समय पहले कनिश्री के माता-पिता उसे चेन्नई के आसपास अस्पताल में पहुंचे। जांच में जो सामने आया उसे सुनने के बाद राजेश और उनकी पत्नी के पैर की नीचे की जमीन ही खिसक गई थी क्योंकि उन दोनों की नन्हीं गुड़िया को फैलोट हाइपोप्लास्टिक पीवी नामक बीमारी है, जिसे हार्ट सर्जरी की तत्काल जरुरत थी, उसके दिल को शरीर के लिए खून साफ करने में दिक्कत आ रही थी। इस वजह से बच्ची का शरीर नीला पड़ रहा था। वो दिन-रात दर्द से कराहती रहती थी और कुछ खा-पी नहीं पाती थी। उसकी हार्ट सर्जरी के लिए 5 लाख रुपए की जरुरत थी।
राजेश एक नाई की दुकान में काम करते हैं, उनकी माली हालत ऐसी नहीं थी कि वो सर्जरी का खर्चा उठा सकें, उनकी बड़ी बेटी चार साल की है, राजेश कहते हैं कि वो जब भी पूछती कि उसकी छोटी बहन इतनी बीमार क्यों है,तो उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलते थे और आंखें भर जाती थी कि वो अपनी बेटी को क्या जवाब दें, राजेश कहते हैं कि पिछला एक साल हमारे लिए किसी वज्रपात से कम नहीं था, मैंने अपने रिश्तेदार, दोस्तों से मदद मांगी लेकिन फिर भी मैं सर्जरी करवाने के लिए असमर्थ था क्योंकि सर्जरी के लिए बहुत रकम चाहिए थी।
मैंने लोगों से मदद की गुहार लगाई
मैं अपनी बेटी को तिल-तिल कर मरता हुआ भी देख नहीं सकता था इसलिए मैंने लोगों से मदद की गुहार लगाई और उनसे क्राउड फंडिग करने को कहा। राजेश की मदद के लिए काफी लोग आगे आए जिन्होंने बिना कोई सवाल और शर्त के एक गरीब और बेबस पिता की मदद की। जिसके लिए राजेश ने हर उस व्यक्ति के प्रति अपना आभार व्यक्त किया है।
आप लोगों के सहयोग से बची मेरी 1 साल की बच्ची की जान
आज राजेश की आंखें खुशी से छलछला उठती हैं, जब वो अपनी नन्ही सी कनिश्री को उसकी मां की बांहों मे झूलते हुए देखते हैं। राजेश कहते हैं कि मैं अपनी खुशी बयां नहीं कर सकता हूं , मैं उन लोगों का शुक्रिया कैसे अदा करूं, मैं जितना भी कहूं वो कम हैं, भगवान मेरी मदद करने वालों को हमेशा खुश, स्वस्थ और सुखी रखें, मैं सभी को कोटि-कोटि प्रणाम करते हुए आभार व्यक्त करता हूं।