कोरोना के कोहराम के बीच चीन से आया अफ्रीकी स्वाइन फ्लू, असम में कहर शुरू
नई दिल्ली- कोरोना वायरस के कहर के बीच असम में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के तेजी से फैलने का पता चला है। कोरोना वायरस की तरह ही यह वायरस भी चीन से ही आया है, जो खासतौर पर सुअरों को इंफेक्टेड कर रहा है। असम में अबतक इस वायरस की चपेट में आकर करीब 2,500 सुअरों की मौत हो चुकी है। असम सरकार ने बड़े पैमाने पर इस वायरस की टेस्टिंग शुरू करवा दी है और सुअरों की आवाजाही को लेकर पड़ोसी राज्यों को भी सतर्क कर दिया है। असम सरकार फिलहाल ज्यादा से ज्यादा अफ्रीकी स्वाइन फ्लू से संक्रमित सुअरों की ट्रेसिंग में जुटी है, ताकि उन्हें फौरन मारा जा सके, नहीं तो यह बाकी सुअरों को भी संक्रमित करते चले जाएंगे।
असम में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू से 2,500 सुअरों की मौत
देश कोरोना वायरस के कहर से परेशान है, लेकिन उसी दौरान असम में एक और संक्रामक रोग फैलने से हड़कंप मच गया है। राज्य में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू फैलने की पुष्टि हुई है। जब तक इस बीमारी के फैलने की भनक लगी है तब इसकी चपेट में आकर करीब 2,500 सुअरों की मौत हो चुकी है। हालांकि, केंद्र सरकार से फौरन सुअरों के सफाए की मंजूरी मिलने के बावजूद राज्य सरकार ने इस अत्यधिक संक्रमणशील बीमारी की रोकथाम के लिए फिलहाल वैकल्पिक उपायों को अपनाने का फैसला किया है। असम के पशुपालन और पशुचिकित्सा मंत्री अतुल बोरा ने कहा है कि, 'भोपाल के दी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सेक्युरिटी एनिमल डिजीजेज (NIHSAD) ने पुष्टि की है कि ये अफ्रीकी स्वाइन फ्लू (ASF) है। केंद्र सरकार ने हमें सूचना दी है कि देश में इस बीमारी की यह पहली घटना है।'
सुअरों की 30 लाख आबादी पर खतरा
असम सरकार की ओर से कराए गए 2019 के गणना के मुताबिक राज्य में सुअरों की आबादी 21 लाख है, लेकिन बोरा के मुताबिक फिलहाल यह संख्या बढ़कर करीब 30 लाख हो चुकी है। उन्होंने कहा है कि, 'हमनें एक्सपर्ट्स से बात की है कि क्या हम इन सुअरों का सफाया किए बगैर इन्हें बचा सकते है। इस बीमारी की चपेट में आने वाले सुअरों की मृत्यु दर लगभग 100 फीसदी है। इसलिए हमने उन सुअरों को बचाने के लिए कुछ रणनीति तैयार की है, जो अभी तक इस वायरस की चपेट में नहीं आए हैं। ' हालांकि, उनके मुताबिक अभी तक यह बीमारी बहुत ज्यादा नहीं फैली है।
वायरस से मृत्यु की दर 100 फीसदी
मंत्री के मुताबिक असम के सात जिलों के 306 गांवों में यह बीमारी फैली है, जहां ढाई हजार सुअरों की इसके चलते मौत हो चुकी है। अब राज्य सरकार ने फैसला किया है कि जो भी इलाका अफ्रीकी स्वाइन फ्लू से संक्रमित पाया जाएगा उसके एक किलो मीटर के दायरे से सैंपल लेकर उसकी जांच की जाएगी। बोरा के मुताबिक, 'जांच के बाद हम सिर्फ उन सुअरों को मारेंगे जो इंफेक्टेड होंगे। हम तत्काल उनके सफाए को टाल रहे हैं। हम रोजाना अपडेट लेंगे और जैसे भी हालात होंगे उसी के अनुसार कदम उठाएंगे।' उन्होंने कहा है कि इस समय असम के तीन लैब में टेस्टिंग चल रही है, जो कि वायरस का पता लगाने के लिए काफी नहीं है और इसके लिए स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया जा रहा है।
यह वायरस भी चीन से ही पहुंचा
इस बीच असम ने पड़ोस राज्यों का आगाह किया है, ताकि सुअरों की आवाजाही रोकी जा सके। मंत्री ने कहा, 'ये वायरस सुअर के मांस, सलाइवा, खून और टिशू से फैलता है। इसलिए जिलों के बीच सुअरों की आवाजाही नहीं होगी। हम उन्हें भी चेक करेंगे जो सुअर हमारे राज्य से होकर गुजरेंगे। ' इसके लिए राज्य सरकार जीपीएस मैपिंग के जरिए 10 किलो मीटर के दायरे में निगराने करेगी। सबसे बड़ी बात ये है कि असम सरकार के मुताबिक यह वायरस भी अप्रैल 2019 में पहली बार अरुणाचल प्रदेश से सटे चीन के शिजांग प्रांत के एक गांव से ही शुरू हुई और पिछले फरवरी में भारत आया। असम सरकार को संदेह है कि चीन से यह वायरस पहले अरुणाचल प्रदेश पहुंचा फिर असम आया। एक बड़ा खुलासा उन्होंने ये किया है कि इस वायरस का इंसान भी वाहक बन सकता है, हालांकि उनके मुताबिक यह इंसान को प्रभावित नहीं कर सकता, इसलिए उसके मांस से कोई खतरा नहीं है।
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