अफगानिस्तान के साथ होगी प्रत्यर्पण संधि, परेशान होगा पाकिस्तान!
नई दिल्ली। अगले कुछ दिनों के अंदर भारत में दो अहम नेता होंगे और दो देशों से रिश्तों में और करीबी आएगी। बुधवार यानी 14 सितंबर को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी भारत पहुंच रहे हैं। राष्ट्रपति घनी के बाद यानी अगले दिन नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' भारत में होंगे। दो सार्क देशों के प्रमुखों का भारत आना काफी अहम साबित होने वाला है।
घनी के पास होगी शॉपिंग लिस्ट भी
राष्ट्रपति घनी जब भारत आएंगे तो उनके पास एक लंबी चौड़ी शॉपिंग लिस्ट होगी। घनी भारत से हथियारों की डील करना चाहते हैं ताकि अफगान पुलिस और आर्म्ड फोर्सेज को ताकतवर बनाया जा सके।
वहीं भारत, अफगानिस्तान के साथ एक ऐसी डील को साइन करने की ओर बढ़ सकता है जिसके बाद अफगानिस्तान से आतंकियों और अपराधियों का प्रत्यपर्ण आसान हो जाएगा।
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सूत्रों की मानें तो भारत, अफगानिस्तान के साथ काउंटर-टेररिज्म में सहयोग बढ़ाना चाहता है, खासतौर पर ऐसे समय में जब पाकिस्तान की ओर से तनाव लगातार बढ़ रहा है। राष्ट्रपति घनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान मुलाकात करेंगे।
भारत-अफगान एनएसए की मुलाकात
अधिकारियों के मुताबिक अफगानिस्तान के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) हनीफ अतमार नवंबर में भारत आए थे।
उस समय उन्होंने भारत के एनएसए अजित डोवाल से मुलाकात की थी और पिछले 10 माह से दोनों के बीच मुलाकात और बातचीत का सिलसिला जारी।
एक अधिकारी की ओर से बताया गया कि भारत और अफगानिस्तान के एनएसए की जब पहली मुलाकात हुई थी दोनों ने राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्रों के बारे में चर्चा की थी।
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इसके अलावा दोनों ने अफगानिस्तान और इस क्षेत्र में मौजूद स्थिति के बारे में भी बात की थी। उस समय ही दोनों ने तय किया था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक दूसरे का सहयोग करना जरूरी है।
कैबिनेट दे दी है संधि को मंजूरी
यूनियन कैबिनेट ने सोमवार को इस संधि को मंजूरी दी है और माना जा रहा है कि घनी के दौरे पर इस पर साइन हो सकते हैं।
इस संधि के बाद उन तमाम आतंकियों, आर्थिक अपराधी और ऐसे तमाम दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी जो अफगानिस्तान के हैं या फिर अफगानिस्तान चले गए हैं।
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अफगानिस्तान के साथ क्यों अहम संधि
भारत की 37 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि है। अफगानिस्तान के साथ यह संधि इसलिए और अहम हो जाती है क्योंकि अफगानिस्तान की सीमा पाकिस्तान से सटी हुई है। कई आतंकी संगठन अफगान-पाक बॉर्डर पर सक्रिय हैं।
प्रत्यर्पण संधि यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी अपराधी दोनों देशों में ही कानून के तहत सजा का हकदार और और उसे कम से कम एक वर्ष तक की सजा हो सकती है।