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लोकसभा चुनाव- 2019: ADR ने 347 सीटों पर किया वोटों के आंकड़ों में गड़बड़ी का दावा, SC पहुंचा मामला

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नई दिल्ली- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और कॉमन कॉज की ओर से संयुक्त रूप से एक पीआईएल के जरिए 2019 के लोकसभा चुनाव में देश की 347 सीटों पर वोटों की विसंगतियों का दावा किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि वह चुनाव आयोग को निर्देश दे कि आगे से तभी चुनाव परिणामों की घोषणा की जाय जब पूरी पड़ताल कर लेने के बाद सभी तरह की विसंगतियों को दूर कर लिया जाए। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि उनके रिसर्च में ये जानकारी सामने आई है कि 6 लोकसभा सीटों पर चुनाव आयोग की वोटों की विसंगतियों का अंतर हार या जीत के अंतर से कहीं ज्यादा है।

347 सीटों पर ईसी के वोटों के आंकड़ों में गड़बड़ी-एडीआर

347 सीटों पर ईसी के वोटों के आंकड़ों में गड़बड़ी-एडीआर

सुप्रीम कोर्ट में एडीआर और कॉमन कॉज ने अपनी रिसर्च के आधार पर दायर जनहित याचिका में दावा किया है कि पिछले आम चुनावों में देशभर की 347 लोकसभा सीटों पर वोटों के आंकड़ों में विसंगतियां रह गई थी। उनका दावा है कि यह विसंगतियां चुनाव आयोग के मुताबिक कुल डाले गए वोटों और कुल गिने गए वोटों में पाई गई हैं। दावे के मुताबिक यह गड़बड़ी 1 से 10 फीसदी के बीच है, जिसमें उन्होंने कुल मिलाकर 7,39,104 वोटों का अंतर पाया है। नेहा राठी नाम की वकील के जरिए दायर इस याचिका में यहां तक दावा किया गया है कि 347 सीटों में से 6 सीटें ऐसी भी मिली हैं, जहां वोटों में पाई गई विसंगतियां उस सीट से जीतने वाले उम्मीदवार की जीत के अंतर से भी ज्यादा है। मतलब, उनके दावे के हिसाब से अगर वहां इन विसंगतियों को दूर करने के बाद परिणाम निकाले जाते तो नतीजे कुछ दूसरे भी आ सकते थे।

फिर उठाया गया ईवीएम पर सवाल

फिर उठाया गया ईवीएम पर सवाल

याचिका में ये भी दावा किया गया है कि उनके रिसर्च के मुताबिक इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) 'दुर्भावनापूर्ण बदलाव' के लिए असुरक्षित थीं। मसलन, इसके डिजाइनर, प्रोग्रामर्स, निर्माता और मेंटेनेंस करने वाले टेक्नीशियन इससे छेड़छाड़ कर सकते थे, लेकिन चुनाव आयोग ने इन संदेहों को खारिज करके वोटों की गिनती की और परिणाम घोषित कर दिए। हालांकि, याचिका में कहा गया कि परिणामों पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा रहा है, लेकिन वे सिर्फ इतना चाहते हैं कि चुनाव आयोग इन हालातों से निपटने के लिए एक पारदर्शी प्रोटोकॉल तैयार करे। पीआईएल में कहा गया है, "यदि नागरिक परिणामों पर भरोसा नहीं करते हैं और यह दिखाने का कोई आधार नहीं है कि उनके डर निराधार हैं तो चुनाव परिणामों की वैधता पर संदेह के बादल छाए रहेंगे।"

जनता का संदेह दूर करना जरूरी-पीआईएल

जनता का संदेह दूर करना जरूरी-पीआईएल

याचिका में ये भी दलील दी गई है कि आंकड़ों को पूरी तरह से पुख्ता किए बिना चुनाव नतीजे घोषित करने की मौजूदा व्यवस्था से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या जनता का मैनडेट पूरी तरह से सामने आया है। आरोपों के मुताबिक, 'मौजूदा व्यवस्था बहुत ज्यादा असमंजस और संभावित मनमानी की स्थिति पैदा करता है। मौजूदा प्रणाली की दुर्बलताएं कहीं अधिक गंभीर हैं और एक खतरनाक प्रवृत्ति है और इसकी अवहेलना नहीं की जा सकती है। इस तरह के प्रोटोकॉल से संदेह, भ्रम, संघर्ष और बहुत बदनाम चुनावी प्रक्रिया की संभावना पैदा होती है।' इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट में इस जनहित याचिका के जरिए यह मांग की गई है कि वह चुनाव आयोग को निर्देश दे कि परिणाम घोषित करने से पहले वह वोटों से संबंधित सभी विसंगतियों को दूर कर ले।

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English summary
ADR claims to have discrepancies in votes in 347 Lok sabha seats in 2019 Elections,PIL filed
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