मुंबई की इन दो झुग्गियों में मलेरिया रोधी दवा HCQ का परीक्षण कर सकता है प्रशासन?
नई दिल्ली। देश की वित्तीय राजधानी और एशिया की सबसे भीड़-भाड़ वाली झुग्गी-झोपड़ियों वाली मुंबई के आस-पास के इलाकों में बहुचर्चित मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) का बड़े पैमाने पर प्रयोग करने की योजना है, जिसके बारे में अभी तक यह पुष्टि नहीं हो सकी है कि यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में प्रभावी है अथवा नहीं।
नगर निगम ग्रेटर मुंबई के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी के अनुसार शहर के अधिकारी एक लक्षित समूह की पहचान कर रहे हैं, जिन्हें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि चिकित्सा विशेषज्ञों से खुराक की अवधि पर सलाह ली जा रही है। उनके मुताबिक कुछ दिनों में परीक्षण के निर्णय पर पहुंचने की उम्मीद है।
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गौरतलब है मुंबई में यह कदम जानलेवा नोवल कोरोना वायरस के खिलाफ स्वास्थ्य अधिकारियों पर बढ़ती हताशा और उन पर बढ़ रहे दबावों को रेखांकित करता है, जिसने विश्व स्तर पर 23 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित किया है और लगभग 146,000 से अधिक लोग मारे गए हैं।
दशकों पुरानी मलेरिया रोधी दवा का परीक्षण उनके एक उन्मादी उत्तेजना को ही स्पष्ट करता है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने HCQ को वायरस के खिलाफ लड़ाई में "गेम चेंजर" कह दिया है, बावजूद इसके कि कुछ छोटे अध्ययनों में मलेरिया रोधी दवा की प्रभावकारिता का रिकॉर्ड और उसके साइड इफेक्ट्स की एक दस्तावेज सूचीबद्ध है।
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बकौल काकानी, यह दवा हमारे लिए उपलब्ध एक उम्मीद की खिड़की है और दुनिया जिस महामारी से जूझ रही है, यह उसका जवाब दे सकती है, हालांकि हम इसके परीक्षण से पहले दुष्प्रभावों को समझने के लिए अत्यधिक सावधानी बरत रहे हैं।"
उल्लेखनीय है कोरोना वायरस महाारी से सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में अब तक 13,800 से अधिक मरीज पाए जा चुके हैं और 507 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। महाराष्ट्र में संक्रमित लोगों का आकंड़ा पूरे भारत मिले मरीजों का दसवां हिस्सा और वहां हुईं मौत पूरे देश में हुई मौत का चौथाई है।
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दरअसल, देश में सबसे बड़े वायरस हॉटस्पॉट के रूप में उभरे महाराष्ट्र कई समूहों में फैले संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन के हाथ-पांव बुरी तरह से फूल गए हैं और अब प्रशासन बिना समय गंवाएं बीमारी के निदान का रास्ता खोज रही है। शायद यही कारण है कि प्रशासन अब तेजी से समय के खिलाफ दौड़ लगा रहा है।
धारावी कीघनी बस्तियों में से एक वर्ली Covid19 से बुरी तरह से प्रभावित है
एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी धारावी की घनी-घनी बस्तियाँ दो स्थानों में से एक वर्ली कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह से प्रभावित है, जहां बीमारी को दूर करने के लिए शहर के अधिकारियों ने एक प्रोफिलैक्सिस या प्रीमेप्टिव दवा के रूप में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या एचसीक्यू-डोजिंग ड्राइव शुरू करने की योजना बनाई है। हालांकि मलेरिया रोधी दवा HCQ की अभी तक कोई निर्णायक वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि दवा Covid19 वायरस के रोगियों पर काम करती है। इसके अलावा अभी तक निवारक चिकित्सा के रूप में इसके उपयोग का उल्लेख ही कहीं है।
हॉटस्पॉट में प्रोफिलैक्सिस के रूप में HCQ के उपयोग के पर्याप्त सबूत नहीं हैं
नई दिल्ली स्थित एक्टिविस्ट विद डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (मेडिसिन के फ्रंटियर) में लीना मेंघेनी ने बताया कि हॉटस्पॉट में प्रोफिलैक्सिस के रूप में एचसीक्यू के उपयोग के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। इसके पक्ष में निवारक अध्ययन भी प्रकाशित नहीं किया गया है कि यह दवा लोगों को वास्तव में बचाता है। उन्होंने कहा कि यह दवा गैर-संक्रमित लोगों को देकर उन्हें बीमारी की संभावित जोखिम बाहर निकाल जा सकता है।
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर 'बहुत ज्यादा अनिश्चितताएं' हैं
लीना मेन्घेनी के अनुसार हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के उपयोग से फ्रांस में कुछ लोगों में हॉर्ट रिदम की समस्याओं की रिपोर्ट की गई है, खासकर यदि इसका उपयोग एक बड़ी खुराक में किया जाता है या अन्य दवाओं के साथ दिया जाता है। कोरोनो वायरस के प्रकोप के खिलाफ यह कहने में बहुत अनिश्चितताएं हैं कि क्या यह मदद करेगा अथवा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया में इसका उपयोग निरर्थक साबित होगा।
HCQ लेने वाले समूह में अधिक दुष्प्रभाव थे, लेकिन वे ज्यादातर हल्के थे
चीन में एक अध्ययन के अनुसार मलेरिया-रोधी दवा ने रोगियों को मानक देखभाल की तुलना में वायरस को बेहतर तरीके से साफ करने में मदद नहीं की और इसके साइड इफेक्ट की संभावना अधिक थी। अध्ययन में पाया गया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाले समूह में अधिक दुष्प्रभाव थे, लेकिन वे ज्यादातर हल्के थे, जिसमें सबसे आम डायरिया (दस्त) थे। यही कारण है कि इस दवा के बारे में विभाजित रुख से सावधान मुंबई के शहर के अधिकारी इस दवा के उपयोग पर सावधान बरत रहे हैं।
18 से 55 साल के बीच के 50,000 लोगों को खुराक देने की है मूल योजना
कहा जा रहा है कि पहले से मौजूद जिगर और दिल की बीमारियों वाले 18 साल और 55 साल के बीच के 50,000 लोगों को खुराक देने की मूल योजना को अब नियमित फॉलो-अप के रूप में बढ़ाया गया है। हालांकि इतने बड़े समूह की निगरानी एक बड़ी चुनौती होगी। काकनी ने जोर देकर कहा कि मरीज के व्यक्तिगत और चिकित्सा इतिहास को रिकॉर्ड करने और उनके द्वारा वर्तमान ली जा रही दवाओं के परीक्षण के बाद यह दवा केवल उन लोगों को दी जाएगी जो इसके इच्छुक हैं।
परीक्षण के दौरान मुंबई के 4,500 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारी होंगे शामिल
इस पहल में मुंबई के 4,500 से अधिक स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को शामिल किया जा सकता है। प्रत्येक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को दवा के कार्यकाल के दौरान ट्रैक करने के लिए 25-30 घर आवंटित किए जाएंगे और तीन से सात सप्ताह के लिए परीक्षण में शामिल लोगों में किसी भी दुष्प्रभाव को ठीक करने के लिए उन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाएगा।
धारावी और वर्ली के चुनाव इसलिए नहींकिया गया कि वो झुग्गी बस्तियां हैं
नगर निगम ग्रेटर मुंबई के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने खंडन किया कि धारावी और वर्ली के चुनाव इसलिए किया गया कि वो झुग्गी बस्तियां हैं। उन्होंने कहा, हमने उच्च जोखिम वाले रोगियों के साथ आइसोलेशन क्षेत्र बनाया है। हम वैसे भी 14 दिनों के लिए उस समूह की निगरानी कर रहे हैं, इसलिए हम इन लोगों का निरीक्षण करने और चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हैं," उन्होंने कहा। "हम सिर्फ इसलिए आगे नहीं बढ़ रहे हैं क्योंकि यह एक झुग्गी है।"