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आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला: जांच में दो पूर्व सेनाध्यक्षों के नाम आए सामने

By Rahul Sankrityayan
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मुंबई। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई स्थित टोनी कोलाबा इलाके में कुख्यात आदर्श आवास सोसायटी घोटाले की एक उच्च स्तरीय रक्षा मंत्रालय कमेटी ने दो पूर्व सेना प्रमुखों सहित कई शीर्ष सैन्य अधिकारियों को दोषी ठहराया है। इन पर कमीशन लेने समेत कई अन्य तरह के आरोप हैं।

उठाएं 'उचित प्रशासनिक कदम'

उठाएं 'उचित प्रशासनिक कदम'

अंग्रेजी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार पूर्व सेना प्रमुखों में एनसी विज (2002-2005) और दीपक कपूर (2007-2010), तीन लेफ्टिनेंट जनरलऔर चार मेजर जनरल समेत कई अन्य सैन्य और रक्षा प्रतिष्ठान कार्यालय (डीईओ) के अधिकारियों की आलोचना करते हुए 199 पेज की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को उनके खिलाफ 'उचित प्रशासनिक कदम' उठाने चाहिए।

सामने आए थे 6 और नाम

सामने आए थे 6 और नाम

रिपोर्ट में नामित अधिकांश लोगों को आदर्श सहकारी आवास सोसाइटी (एसीएचएस) में एक विशाल 31-मंजिली इमारत में फ्लैट्स को आवंटित किया गया था वो कोलाबा सैन्य स्टेशन में मौजूद रक्षा प्रतिष्ठानों और हेलिपैड के लिए सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गया है। इससे पहले तीन सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल जी एस शिहोता, तेजिंदर सिंह और शांतनु चौधरी और मेजर जनरल ए आर कुमार, वी एस यादव, टी के कौल और आर के हुड्डा का नाम भी 2011 में रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई एक आंतरिक सेना की जांच में उल्लेख किया गया था।

लेकिन नहीं हुई कोई कार्रवाई

लेकिन नहीं हुई कोई कार्रवाई

छह अधिकारी (मेजर जनरल एआर कुमार और टीके कौल, ब्रिग्स टीके सिन्हा और एमएम वांचू, कर्नल आरके बख्शी और पूर्व डीईओ अधिकारी आर.सी. ठाकुर, जो कथित सरगना थे) जुलाई 2012 में सीबीआई की ओर से आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। भले ही जांच अभी शुरू हो गई है, दूसरों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

अशोक चव्हाण का नाम भी सामने आया

अशोक चव्हाण का नाम भी सामने आया

घोटाले में नवंबर 2010 में तत्कालीन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का नाम भी सामने आया था जब शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने सरकारी जमीन को एसीएचएस को आंवटित करने के लिए राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के साथ मिलकर सभी नियमों को ताक पर रख दिया था। इस जमीन पर बनने वाले फ्लैट्स युद्ध में शहीद हुए जवानों की विधवाओं, बच्चों और पूर्व सैनिकों को दिए जाने थे।

तब नहीं हो पाएगी कार्रवाई

तब नहीं हो पाएगी कार्रवाई

अप्रैल 2016 में मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश के बाद रक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित की गई नई जांच , ने सिफारिश की है कि सरकार 'उपयुक्त प्रशासनिक कदम' उठाए क्योंकि सेना अधिनियम के तहत सेवानिवृत्ति के कारण रिपोर्ट में नामित शीर्ष सैन्य अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही तीन साल बाद संभव नहीं हो पाएगी।

भविष्य में नौकरी या किसी भी सरकारी अनुबंध से करें बाहर

भविष्य में नौकरी या किसी भी सरकारी अनुबंध से करें बाहर

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 'इन अधिकारियों को अपने आचरण और मामले में गड़बड़ियों को आसान करने की भूमिका के लिए उचित रूप से असन्तोष व्यक्त करने के अलावा उन्हें सरकार या किसी भी निकाय और समितियों के साथ किसी भी भविष्य की नौकरी या किसी भी सरकारी अनुबंध से बाहर किया जाना चाहिए।'

उच्च स्तर के अधिकारी हैं रोल मॉडल

उच्च स्तर के अधिकारी हैं रोल मॉडल

पूर्व आईएएस अधिकारी राजन काटोच और लेफ्टिनेंट जनरल रवि थॉज (सेवानिवृत्त) द्वारा किए गए जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष स्तर के अधिकारी रोल मॉडल हैं और उन्हें एक उदाहरण स्थापित करना है। इस प्रकार उनके पास गलत कामकाज की जांच करने की जिम्मेदारी है। वे इस तरह गलत तरीके से निहित स्वार्थ का लाभ नहीं उठा सकते हैं।

नौसेना के अधिकारियों का भी नाम

नौसेना के अधिकारियों का भी नाम

रिपोर्ट में पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल माधवेंद्र सिंह (2001-2004) और वाइस एडमिरल मदनजीत सिंह का भी नाम है जिन्हें उन्हें फ्लैट भी मिलते हैं। इनका भी नाम बतौर 'लाभार्थी' है। लेकिन घोटाले में उनकी कोई भूमिका नहीं है क्योंकि नौसेना मुंबई में जमीन के मामलों की जिम्मेदार नहीं है।

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English summary
Adarsh scam probe report blamed several top military officers, including two former Army chiefs,
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