2020 तक 21 शहरों में होगा पीने के पानी का भारी संकट
नई दिल्ली। जल ही जीवन है, यह आपने अक्सर सुना होगा, लेकिन बावजूद इसके हम पानी की बर्बादी को रोकने की कोशिश नहीं करते हैं। अगर हालात बदलने के लिए हम खुद आगे नहीं आए तो आने वाले कुछ सालों में देश की तकरीबन आधी आबादी को पीने के पानी के लिए तरसना होगा। हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट सामने आई है जिसमे कहा गया है कि अगले एक वर्ष में यानि 2020 तक देश के 21 शहरों का ग्राउंड वॉटर लेवल खत्म हो जाएगा। जिसकी वजह से देश की 10 करोड़ आबादी को पीने के पानी के लिए तरसना होगा। जिन 21 शहरों में ग्राउंड लेवल वॉटर अगले वर्ष खत्म हो जाएगा उसमे दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद जैसे शहर भी शामिल हैं।
40 फीसदी आबादी के लिए नहीं होगा पानी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2030 तक देश की 40 फीसदी आबादी के लिए पीने का पानी नहीं होगा। जिस तरह से नीति आयोग की यह रिपोर्ट सामने आई है उससे साफ है कि स्थिति काफी भयावह हो गई है। अगले वर्ष देश के 21 शहरों को पीने के पानी के लिए जूझना होगा। चेन्नई की तीन नदियों, चार जल स्रोत, पांच तालाब, छह जंगल पूरी तरह से सूख चुके हैं। चेन्नई के यह हालात तब हैं जब अन्य मेट्रोल शहरों की तुलना में यहां पर बेहतर वॉटर रिसोर्स और बारिश के पानी को बचाने की बेहतर व्यवस्था है।
आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचना होगा
नेशनल वॉटर अकादमी के पूर्व डायरेक्टर मनोहर खुसलानी ने कहा कि सरकार चेन्नई के विलवणीकरण पर निर्भर है जोकि काफी महंगा है, यही नही सरकार शायद यह भूल गई है कि धरती पर सीमित पानी है, समुद्र भी सूख जाएंगे। हम अपने बच्चों के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए क्या छोड़कर जाएंगे। हमारे पास बहुत सा पैसा हो सकता है लेकिन हम अपने बच्चों से यह नहीं कह सकते हैं कि पैसा पी लो। समुद्र के पानी का इस्तेमाल करना, उसका विलवणीकरण करना समाधान नहीं है, बल्कि हमे पानी की उपज को बढ़ाना होगा।
हमे मिलकर काम करना होगा
मनोहर खुसलानी ने कहा कि यह हमारी और सरकार की जिम्मेदारी है कि हम पानी को बचाएं, साथ ही ग्राउंड लेवल वॉटर को बढ़ाने की देशवासियों को मिलकर कोशिश करनी चाहिए। बारिश के पानी को संरक्षित करना बहुत मुश्किल काम नहीं है। आप आसानी सेस पानी को बचा सकते हैं। हमे इसके लिए अपना दिल बड़ा करना होगा, खुद की जिम्मेदारी को समझना होगा, आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचना होगा।
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